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मंदिर निर्माण में चंदा देना गुनाह नहींः इकबाल अंसारी

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर इकबाल अंसारी पहले भी मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले कंट्टरपंथियों को कड़ा जवाब दे चुके हैं. इनके वालिद मरहूम हाशिम अंसारी लंबे समय तक बाबरी के हक की लड़ाई लड़ते रहे हैं. लेकिन जिंदगी के आखिरी पलों में उन्होंने रामलला के प्रति नरमी दिखायी थी. इसके बाद उनके बेटे इकबाल अंसारी भी उन्ही की राह पर चल पड़े हैं.

मंदिर निर्माण में चंदा देना गुनाह नहींः इकबाल अंसारी
मंदिर निर्माण में चंदा देना गुनाह नहींः इकबाल अंसारी
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Published : Jan 13, 2021, 10:06 AM IST

Updated : Jan 13, 2021, 10:40 AM IST

अयोध्याः मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण की शुरूआत होने में अब चंद दिनों का वक्त और है. मंदिर निर्माण को लेकर भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी तमाम ऐसे राम भक्त और सेकुलर सोच के लोग हैं, जो इस ऐतिहासिक मंदिर के निर्माण में अपना आर्थिक सहयोग देना चाहते हैं. बीते दिनों राम मंदिर निर्माण में चंदा देने को लेकर उठे सवाल के बाद अब बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई इकबाल अंसारी ने एक बड़ा बयान दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान इकबाल अंसारी ने कहा कि चंदा देने में कोई बुराई नहीं है, सभी को इस पुनीत काम में सहयोग देना चाहिए. अयोध्या वैसे भी गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल रही है. हम लोग एक दूसरे के त्योहार को मिलकर मनाते रहे हैं. इसलिए मंदिर के लिए चंदा देने में कोई बुराई नहीं है.

मंदिर निर्माण का विरोध करने वालों को इकबाल अंसारी का जवाब

इक़बाल अंसारी ने की अपील

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या सदियों से हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रही है. राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद अब बीते जमाने की बात हो गई. जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है, और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है. ऐसे में बैर-भाव रखने का कोई मतलब ही नहीं है. इकबाल अंसारी ने कहा कि उनके घर के पास बिजली शहीद की मजार है, जहां हर साल उर्स होता है और इलाके के सभी हिंदू मुस्लिम भाई मिलकर इस आयोजन को संपन्न कराते हैं. खुद उनके घर के सामने भी होली के 1 दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है. जिसमें खुद उनकी भूमिका भी होती है. हर बार होलिका दहन के लिए वो चंदा भी देते हैं. उनके लिए कोई नई बात नहीं है, इस बार भी वो राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा देंगे.

विरोध करने वालों को नही है इस्लाम की जानकारी

चंदे के नाम पर बयानबाजी करने वाले लोगों को जवाब देते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि किसी भी मजहब में दूसरे मजहब का सम्मान करना और उसके धार्मिक कार्यक्रम में सहयोग देने को मना करना नहीं लिखा है. जो लोग चंदा देने के नाम पर लोगों को बरगला रहे हैं, वो राजनीति कर रहे हैं. इस्लाम ये जरूर कहता है कि चंदा और दान देकर उसका तमाशा नहीं किया जाना चाहिए. बल्कि इस्लाम में लिखा है कि एक हाथ से दान करो तो दूसरे हाथ को पता भी न चले. इसलिए चंदा देने में कोई मजहबी गुनाह नहीं है. मैं खुद राम मंदिर निर्माण में आर्थिक सहयोग करूंगा. लेकिन इसके लिए किसी को कुछ बताने और कहने की जरूरत नहीं है.

आखिरी लम्हों में मरहूम हाशिम अंसारी ने की थी रामलला की वकालत

आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर इकबाल अंसारी पहले भी मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले कट्टरपंथियों को कड़ा जवाब दे चुके हैं. भले ही इक़बाल अंसारी के वालिद मरहूम हाशिम अंसारी लंबे समय तक बाबरी के हक की लड़ाई लड़ते रहे हो. लेकिन अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हों में उन्होंने रामलला के प्रति बेहद नरमी दिखाई थी. उन्होंने कहा था कि वो चाहते हैं कि रामलला कैद से आजाद हों. इसके बाद मरहूम हाशिम अंसारी के बेटे भी अपने वालिद की राह पर चल पड़े और इस विवाद का हल आपसी भाईचारे के जरिए कराने की वकालत करते रहे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सबसे पहले इकबाल अंसारी ने ही इस फैसले का तहे दिल से स्वागत किया था. जबकि बाबरी के दूसरे पैरोकार फैसले पर अफ़सोस जता रहे थे.

अयोध्याः मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण की शुरूआत होने में अब चंद दिनों का वक्त और है. मंदिर निर्माण को लेकर भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी तमाम ऐसे राम भक्त और सेकुलर सोच के लोग हैं, जो इस ऐतिहासिक मंदिर के निर्माण में अपना आर्थिक सहयोग देना चाहते हैं. बीते दिनों राम मंदिर निर्माण में चंदा देने को लेकर उठे सवाल के बाद अब बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई इकबाल अंसारी ने एक बड़ा बयान दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान इकबाल अंसारी ने कहा कि चंदा देने में कोई बुराई नहीं है, सभी को इस पुनीत काम में सहयोग देना चाहिए. अयोध्या वैसे भी गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल रही है. हम लोग एक दूसरे के त्योहार को मिलकर मनाते रहे हैं. इसलिए मंदिर के लिए चंदा देने में कोई बुराई नहीं है.

मंदिर निर्माण का विरोध करने वालों को इकबाल अंसारी का जवाब

इक़बाल अंसारी ने की अपील

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या सदियों से हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रही है. राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद अब बीते जमाने की बात हो गई. जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है, और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है. ऐसे में बैर-भाव रखने का कोई मतलब ही नहीं है. इकबाल अंसारी ने कहा कि उनके घर के पास बिजली शहीद की मजार है, जहां हर साल उर्स होता है और इलाके के सभी हिंदू मुस्लिम भाई मिलकर इस आयोजन को संपन्न कराते हैं. खुद उनके घर के सामने भी होली के 1 दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है. जिसमें खुद उनकी भूमिका भी होती है. हर बार होलिका दहन के लिए वो चंदा भी देते हैं. उनके लिए कोई नई बात नहीं है, इस बार भी वो राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा देंगे.

विरोध करने वालों को नही है इस्लाम की जानकारी

चंदे के नाम पर बयानबाजी करने वाले लोगों को जवाब देते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि किसी भी मजहब में दूसरे मजहब का सम्मान करना और उसके धार्मिक कार्यक्रम में सहयोग देने को मना करना नहीं लिखा है. जो लोग चंदा देने के नाम पर लोगों को बरगला रहे हैं, वो राजनीति कर रहे हैं. इस्लाम ये जरूर कहता है कि चंदा और दान देकर उसका तमाशा नहीं किया जाना चाहिए. बल्कि इस्लाम में लिखा है कि एक हाथ से दान करो तो दूसरे हाथ को पता भी न चले. इसलिए चंदा देने में कोई मजहबी गुनाह नहीं है. मैं खुद राम मंदिर निर्माण में आर्थिक सहयोग करूंगा. लेकिन इसके लिए किसी को कुछ बताने और कहने की जरूरत नहीं है.

आखिरी लम्हों में मरहूम हाशिम अंसारी ने की थी रामलला की वकालत

आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर इकबाल अंसारी पहले भी मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले कट्टरपंथियों को कड़ा जवाब दे चुके हैं. भले ही इक़बाल अंसारी के वालिद मरहूम हाशिम अंसारी लंबे समय तक बाबरी के हक की लड़ाई लड़ते रहे हो. लेकिन अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हों में उन्होंने रामलला के प्रति बेहद नरमी दिखाई थी. उन्होंने कहा था कि वो चाहते हैं कि रामलला कैद से आजाद हों. इसके बाद मरहूम हाशिम अंसारी के बेटे भी अपने वालिद की राह पर चल पड़े और इस विवाद का हल आपसी भाईचारे के जरिए कराने की वकालत करते रहे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सबसे पहले इकबाल अंसारी ने ही इस फैसले का तहे दिल से स्वागत किया था. जबकि बाबरी के दूसरे पैरोकार फैसले पर अफ़सोस जता रहे थे.

Last Updated : Jan 13, 2021, 10:40 AM IST
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