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अयोध्या: आकाशीय बिजली गिरने के 40 मिनट पहले अलर्ट कर देगा 'दामिनी एप', जानें खासियत - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान पुणे

आकाशीय बिजली से बचने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान (IITM) ने दामिनी एप को तैयार किया है. यह एप बिजली गिरने से 30-40 मिनट पहले ही सचेत कर देगा. वहीं आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (NDUAT) ने लोगों से इस एप के प्रयोग के लिए कहा है.

बिजली गिरने की पूर्व सूचना देगा दामिनी एप.
बिजली गिरने की पूर्व सूचना देगा दामिनी एप.
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Published : Jul 4, 2020, 9:04 AM IST

अयोध्या: एंड्रॉयड मोबाइल एप के जरिए अब आकाशीय बिजली से लोगों की सुरक्षा की जा सकेगी. प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने लोगों से इस नवीन तकनीकि के प्रयोग करने का आग्रह किया है. यह एप 40 किलोमीटर की परिधि में आसपास अकाशीय बिजली गिरने की संभावना की सटीक जानकारी देगा.

48 सेंसर के साथ करेगा काम
आकाशीय बिजली गिरने से अभी हाल में पड़ोस के जनपद अम्बेडकर नगर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश व बिहार में अनेकों लोगों की मृत्यु हो चुकी है. इस आकाशीय विपत्ति से लोगों को पहले ही सचेत करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान पुणे ने एक लाइटनिंग लोकेशन नोटवर्क स्थापित किया है. यह नेटवर्क देश के विभिन्न हिस्सों में 48 सेंसर के साथ काम करेगी.

40 किमी. की परिधि तक सटीक अनुमान
साथ ही बिजली के लाइटनिंग व वज्रपात के बारे में पूर्वानुमान करने सटीक जानकारी प्रदान करता है. इस कार्यक्रम को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए और ज्यादा सेंसर लगाने पर अभी भी कार्य किया जा रहा है. इसी पूर्वानुमान उपायों व तकनीकियों के साथ आईआईटीएम ने वैज्ञानिक एप दामिनी विकसित किया है.

दामिनी एप लाइटनिंग हमलों की सटीक जानकारी के साथ वज्रपात की घटनाओं का 40 किमी की परिधि तक सटीक अनुमान देने में सक्षम है. यह एप विशेष रूप से आकाशीय विद्युत की गतिविधियों के विषय में अग्रिम जानकारी दे सकता है. यह एप बिजली गिरने से 30-40 मिनट पहले ही अलर्ट का संदेश भेज कर सावधान कर देता है.

एनडी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान को दामिनी एप की जानकारी आमजन को प्रसारित करने के निर्देश दिए हैं. इस एप के जरिए लोग आकाशीय बिजली व वज्रपात की घटना से स्वयं व अपनों की सुरक्षा कर सकेंगे.

गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग की मानें तो वज्रपात से देश में प्रतिवर्ष दो हजार से ढाई हजार लोगों की असामयिक मृत्यु होती है. वहीं बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून के दौरान वज्रपात से लगभग 110 लोगों की मृत्यु इस वर्ष हो चुकी है. एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वर्ष 2019 में 3 करोड़ 22 लाख 38 हजार 667 बार आकाशीय आकाशीय बिजली की घटनाएं घटी हैं. ऐसे में दामिनी एप बेहद उपयोगी है. यह एप गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध है.

अयोध्या: एंड्रॉयड मोबाइल एप के जरिए अब आकाशीय बिजली से लोगों की सुरक्षा की जा सकेगी. प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने लोगों से इस नवीन तकनीकि के प्रयोग करने का आग्रह किया है. यह एप 40 किलोमीटर की परिधि में आसपास अकाशीय बिजली गिरने की संभावना की सटीक जानकारी देगा.

48 सेंसर के साथ करेगा काम
आकाशीय बिजली गिरने से अभी हाल में पड़ोस के जनपद अम्बेडकर नगर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश व बिहार में अनेकों लोगों की मृत्यु हो चुकी है. इस आकाशीय विपत्ति से लोगों को पहले ही सचेत करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान पुणे ने एक लाइटनिंग लोकेशन नोटवर्क स्थापित किया है. यह नेटवर्क देश के विभिन्न हिस्सों में 48 सेंसर के साथ काम करेगी.

40 किमी. की परिधि तक सटीक अनुमान
साथ ही बिजली के लाइटनिंग व वज्रपात के बारे में पूर्वानुमान करने सटीक जानकारी प्रदान करता है. इस कार्यक्रम को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए और ज्यादा सेंसर लगाने पर अभी भी कार्य किया जा रहा है. इसी पूर्वानुमान उपायों व तकनीकियों के साथ आईआईटीएम ने वैज्ञानिक एप दामिनी विकसित किया है.

दामिनी एप लाइटनिंग हमलों की सटीक जानकारी के साथ वज्रपात की घटनाओं का 40 किमी की परिधि तक सटीक अनुमान देने में सक्षम है. यह एप विशेष रूप से आकाशीय विद्युत की गतिविधियों के विषय में अग्रिम जानकारी दे सकता है. यह एप बिजली गिरने से 30-40 मिनट पहले ही अलर्ट का संदेश भेज कर सावधान कर देता है.

एनडी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान को दामिनी एप की जानकारी आमजन को प्रसारित करने के निर्देश दिए हैं. इस एप के जरिए लोग आकाशीय बिजली व वज्रपात की घटना से स्वयं व अपनों की सुरक्षा कर सकेंगे.

गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग की मानें तो वज्रपात से देश में प्रतिवर्ष दो हजार से ढाई हजार लोगों की असामयिक मृत्यु होती है. वहीं बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून के दौरान वज्रपात से लगभग 110 लोगों की मृत्यु इस वर्ष हो चुकी है. एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वर्ष 2019 में 3 करोड़ 22 लाख 38 हजार 667 बार आकाशीय आकाशीय बिजली की घटनाएं घटी हैं. ऐसे में दामिनी एप बेहद उपयोगी है. यह एप गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध है.

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