अयोध्या: शहर में कई ऐसे भौतिक जीते जागते प्रमाण हैं, जिनके आधार पर इसे राम नगरी कहा जाता है. रामनामी वृक्ष के बाद दूसरा सबसे बड़ा और प्रत्यक्ष प्रमाण 'सरयू' है. यहां हम बात सरयू नदी की नहीं बल्कि 'सरयू गाय' की हो रही है, जिसे लोग सरयू नाम से पुकारते हैं.
अयोध्या में 20 वर्षों से साधना कर रही है 'सरयू'
इस गाय की नियमित दिनचर्या को देखते हुए अयोध्या वासियों ने इसका नाम 'सरयू' रखा है. सरयू नाम की यह गाय पिछले 20 वर्षों से राम जन्मभूमि परिसर से सटे मंदिर में नित्य प्रदक्षिणा कर रही है. सरयू पौराणिक सीता जी के मंदिर रंग महल में रहती है. रोजाना शाम 4:00 बजे रामलला के प्रतीक स्वरूप स्थान की परिक्रमा करती है. परिक्रमा पूरे होने पर रामलला के गर्भगृह की ओर मुख करके ऐसी खड़ी हो जाती है, मानो वह भगवान राम को प्रणाम कर रही हो.
रंग महल के महंत रामशरण दास ने का कहना है कि यह गाय के रूप में भगवान राम का कोई भक्त है, जो नित्य सुबह 4:00 बजे रंग महल में प्रदक्षिणा करने के बाद रामलला की ओर सिर करके खड़ी हो जाती है. उन्होंने आगे बताया कि पिछले 20 वर्षों में सरयू में कोई बदलाव नहीं आया है.
वहीं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने बताया कि वह सरयू को लेकर राम जन्मभूमि परिसर गए. वहां रामलला के दरबार में 15 मिनट का समय बिताने के बाद सरयू पुनः रंग महल वापस लौट आई.
सरयू को लेकर लोग कई तरह की कहानियां बताते हैं. अयोध्या वासियों का मानना है कि सरयू 20 वर्षों से राम मंदिर निर्माण के लिए रोजाना परिक्रमा कर रही थी, जो सफल हुई. अब अयोध्या में रामलला के मंदिर का निर्माण होने जा रहा है.
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