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अयोध्या ने मनाया महर्षि वाल्मीकि जयंती

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामायण महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई गई. इस अवसर पर अयोध्या में रामायण का पाठ और भंडारे का आयोजन कर उनका स्मरण किया जा रहा है.

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Published : Oct 31, 2020, 7:51 PM IST

रामायण के पाठ का आयोजन.
रामायण के पाठ का आयोजन.

अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम कि जीवन की पावन कथा को जन जन तक पहुंचाने वाले रामायण महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की शनिवार को जयंती है. इस अवसर पर अयोध्या में अनुष्ठान के जरिए महर्षि वाल्मीकि का स्मरण किया गया. रामनगरी की प्राचीन पीठ श्री मणिराम छावनी समेत सभी प्रमुख पीठों और धार्मिक स्थलों में महर्षि के पुनीत कार्य के लिए उन्हें याद किया गया.

जानकारी देते कमलनयन दास

रामायण के थे रचयिता
हिंदी वर्ष के अश्वनी मास की पूर्णिमा तिथि को आदिकवि महर्षि वाल्मीकि का जन्म दिवस मनाया जाता है. आदि कवि महर्षि वाल्मीकि, ब्रह्मा जी के पुत्र प्रचेता के पुत्र थे. ब्रह्मर्षि महर्षि नारद की प्रेरणा से महर्षि वाल्मीकि ने जंगल में डाकू का पाप कर्म छोड़ा और अध्यात्म की ओर अग्रसर हुए. भगवान राम के प्रति अगाध श्रद्धा और दूरदर्शी दृष्टि का प्रयोग कर उन्होंने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की. भगवान राम के जीवन चरित्र की गाथा जन जन तक पहुंचाने में रामायण की अहम भूमिका है, ऐसे में भगवान राम के जन्म स्थान अयोध्या के मठ मंदिरों में उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है.

अयोध्या की प्राचीन पीठ श्री मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत और श्रीराम जन्म भूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य कमलनयन दास ने कहा कि मानस पुत्र महर्षि वाल्मीकि भगवान राम की पावन कथा को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया. अपने तपोबल के प्रभाव से वह घटनाओं के घटित होने से पूर्व ही उसकी जानकारी रखते थे. ऐसे में उनके जन्मदिवस पर राम नगरी में रामायठ का पाठ और भंडारे का आयोजन कर उनका स्मरण किया जा रहा है.

अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम कि जीवन की पावन कथा को जन जन तक पहुंचाने वाले रामायण महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की शनिवार को जयंती है. इस अवसर पर अयोध्या में अनुष्ठान के जरिए महर्षि वाल्मीकि का स्मरण किया गया. रामनगरी की प्राचीन पीठ श्री मणिराम छावनी समेत सभी प्रमुख पीठों और धार्मिक स्थलों में महर्षि के पुनीत कार्य के लिए उन्हें याद किया गया.

जानकारी देते कमलनयन दास

रामायण के थे रचयिता
हिंदी वर्ष के अश्वनी मास की पूर्णिमा तिथि को आदिकवि महर्षि वाल्मीकि का जन्म दिवस मनाया जाता है. आदि कवि महर्षि वाल्मीकि, ब्रह्मा जी के पुत्र प्रचेता के पुत्र थे. ब्रह्मर्षि महर्षि नारद की प्रेरणा से महर्षि वाल्मीकि ने जंगल में डाकू का पाप कर्म छोड़ा और अध्यात्म की ओर अग्रसर हुए. भगवान राम के प्रति अगाध श्रद्धा और दूरदर्शी दृष्टि का प्रयोग कर उन्होंने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की. भगवान राम के जीवन चरित्र की गाथा जन जन तक पहुंचाने में रामायण की अहम भूमिका है, ऐसे में भगवान राम के जन्म स्थान अयोध्या के मठ मंदिरों में उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है.

अयोध्या की प्राचीन पीठ श्री मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत और श्रीराम जन्म भूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य कमलनयन दास ने कहा कि मानस पुत्र महर्षि वाल्मीकि भगवान राम की पावन कथा को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया. अपने तपोबल के प्रभाव से वह घटनाओं के घटित होने से पूर्व ही उसकी जानकारी रखते थे. ऐसे में उनके जन्मदिवस पर राम नगरी में रामायठ का पाठ और भंडारे का आयोजन कर उनका स्मरण किया जा रहा है.

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