अयोध्या: भगवान राम की जन्म स्थली पर 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद भव्य मंदिर बनने जा रहा है. यह मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. प्रसिद्ध आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा की ओर से बनाए गए मॉडल से राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा जिसे भूकंप भी नहीं हिला पाएगा. आर्किटेक्ट की मानें तो इस मॉडल से बना मंदिर 10 रिक्टर स्केल तीव्रता तक के भूकंप को झेलने की क्षमता रखता है.
भूकंप भी नहीं मिला पाएगा नींव
भव्य होगा मंदिरराम मंदिर समर्थकों, संतों, महंतों की मांग को ध्यान में रखते हुए राम मंदिर के पुराने मॉडल में परिवर्तन किया गया है. 2 एकड़ के क्षेत्र में रामलला का मंदिर बनेगा. वहीं 67 एकड़ के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे, म्यूजियम समेत अन्य निर्माण कार्य किए जाएंगे. मंदिर को लंबे समय तक टिकाऊ बनाने के लिए 200 फीट गहरी खुदाई कर मिट्टी की क्वालिटी की जांच की गई है.भारत की प्राचीनतम शैली नागर शैली से राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान राज्यों में स्थापित सभी मंदिर इसी शैली से निर्मित हैं. इस मंदिर में 10हजार से अधिक श्रद्धालु एक साथ रामलला के दर्शन के लिए प्रवेश कर सकेंगे.
10 रिक्टर स्केल तीव्रता का भूकंप भी नहीं डिगा पाएगा मंदिर
राम मंदिर बनाने वाले वास्तुविदों का कहना है कि भगवान राम का मंदिर लंबे समय तक अस्तित्व में रहेगा. करीब 1हजार वर्षों तक अयोध्या का राम मंदिर अपनी गौरव की अनुभूति कराएगा. यही नहीं भूकंप की हल्के झटके राम मंदिर का बाल भी बांका नहीं कर पाएंगे. नागर शैली से बन रहा यह मंदिर 10 रिक्टर स्केल पर भी भूकंप झेलने की क्षमता रखेगा.
1 हजार साल तक टिकेगा मंदिर
राम मंदिर निर्माण कार्यशाला के सुपरवाइजर अन्नू भाई सोमपुरा ने बताया कि यह मंदिर 1 हजार साल तक अपनी भव्यता और स्थापत्य कला का एहसास कराएगा. कार्यशाला में बने पत्थरों को राजस्थान से लाया गया है. इन तराशे हुए पत्थरों से ही मंदिर का निर्माण किया जाएगा.