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अयोध्या में भारतीय संस्कृति उत्सव का आयोजन, कई प्रमुख हस्तियों को मिला सम्मान - अयोध्या में भारतीय संस्कृति उत्सव 2020 का आयोजन

यूपी के अयोध्या में भारतीय संस्कृति उत्सव 2020 का आयोजन किया गया. आयोजन की अध्यक्षता श्रीराम वल्लभा कुंज वेदांती मंदिर के महंत रामशंकर दास वेदांती महाराज ने की.

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भारतीय संस्कृति उत्सव 2020 का आयोजन.
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Published : Oct 31, 2020, 10:20 PM IST

अयोध्या: भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृति के मूल आधार हैं. बिना श्रीराम के भारतीय संस्कृति की कल्पना करना संभव नहीं है. भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में अवतरित होकर मर्यादा की स्थापना की. वहीं इस कलयुग में भी भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित मर्यादा भारतीय संस्कृति विश्व के कई देशों में अनुसरण में लाई जा रही है. यह बात भारतीय संस्कृति उत्सव 2020 की अध्यक्षता करते हुए श्रीराम वल्लभा कुंज वेदांती मंदिर के महंत रामशंकर दास वेदांती महाराज ने कही.

उन्होंने कहा कि भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्राण हैं. वर्तमान युग में उनके चरित्र का प्रचार करना बहुत आवश्यक हो गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्य महंत कमल नयन दास, जगतगुरु रामानुजाचार्य, स्वामी वासुदेवाचार्य, महंत रामशंकर दास महाराज ने श्री रामवल्लभा कुंज के प्रांगण में दीप प्रज्वलित कर भारतीय संस्कृति उत्सव का शुभारंभ किया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति उत्सव से लोगों की निष्ठा जुड़ी हुई है. इसका प्रभाव हर तबके पर पड़ेगा, क्योंकि भगवान श्रीराम की जन्मस्थली से यह कार्यक्रम प्रारंभ होकर देश-विदेश के 51 स्थानों पर होगा. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की पहचान राम जी को छोड़कर नहीं जा सकती. रामजी के जीवन से ही सारी संस्कृतियों को पहचान मिली है. चाहे माता-पिता का प्रेम या पति-पत्नी का प्रेम हो या चचेरे भाइयों का प्रेम हो सभी संस्कृतियां मर्यादित रूप से रामजी से प्रारंभ हुई हैं.

वर्तमान समय में इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. भारतीय संस्कृति उत्सव इस प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रही है. मुख्य वक्ता मगध विश्वविद्यालय बोधगया के कुलपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृत के मूल आधार हैं. मां सरयू के तट पर स्थित अयोध्या नगरी से इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेरणादायी और मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा. रामकथा के मर्मज्ञ प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि रामजी के बिना संस्कृति और मर्यादा की कल्पना ही नहीं हो सकती है. यह भारतीय संस्कृति उत्सव लोगों में उत्साह और प्रेरणा भरने का कार्य करेगा.

संस्कृति उत्सव में सम्मानित हुईं कई हस्तियां
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में भारतीय संस्कृति उत्सव की तरफ से जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभाष्कर, वेदांती मंदिर के महंत राम शंकर दास महाराज, अधिकारी राजकुमार दास महाराज, रामकथा के मर्मज्ञ प्रेमभूषण महाराज, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद, महंत कमला दास रामायणी महंत शशिकांत दास, महामंडलेश्वर महंत गिरीश दास, वरिष्ठ पत्रकार रमेश मिश्र, समाज सेवा के क्षेत्र में अनामिका सोनी सहित अन्य विभूतियों को सम्मानित किया गया.

भारतीय संस्कृति उत्सव के संयोजक शैलेंद्र मणि त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार रमेश मिश्र और हिमा बिंदु नायक ने अंगवस्त्र और सम्मान पत्र देकर सभी को सम्मानित किया. इसके उपरांत दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह द्वारा रचित रक्षा तंत्र नामक पुस्तक का विमोचन भी मंच पर उपस्थित संतों ने किया. कार्यक्रम के मुख्य आयोजक वरिष्ठ पत्रकार डॉ. शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि भगवान श्रीराम की धरती से भारतीय संस्कृति उत्सव का शुभारंभ किया गया है, जो देश-प्रदेश के 51 स्थानों पर अनवरत चलता रहेगा. कार्यक्रम का संचालन सिद्धार्थ नाथ त्रिपाठी ने किया.

अयोध्या: भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृति के मूल आधार हैं. बिना श्रीराम के भारतीय संस्कृति की कल्पना करना संभव नहीं है. भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में अवतरित होकर मर्यादा की स्थापना की. वहीं इस कलयुग में भी भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित मर्यादा भारतीय संस्कृति विश्व के कई देशों में अनुसरण में लाई जा रही है. यह बात भारतीय संस्कृति उत्सव 2020 की अध्यक्षता करते हुए श्रीराम वल्लभा कुंज वेदांती मंदिर के महंत रामशंकर दास वेदांती महाराज ने कही.

उन्होंने कहा कि भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्राण हैं. वर्तमान युग में उनके चरित्र का प्रचार करना बहुत आवश्यक हो गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्य महंत कमल नयन दास, जगतगुरु रामानुजाचार्य, स्वामी वासुदेवाचार्य, महंत रामशंकर दास महाराज ने श्री रामवल्लभा कुंज के प्रांगण में दीप प्रज्वलित कर भारतीय संस्कृति उत्सव का शुभारंभ किया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति उत्सव से लोगों की निष्ठा जुड़ी हुई है. इसका प्रभाव हर तबके पर पड़ेगा, क्योंकि भगवान श्रीराम की जन्मस्थली से यह कार्यक्रम प्रारंभ होकर देश-विदेश के 51 स्थानों पर होगा. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की पहचान राम जी को छोड़कर नहीं जा सकती. रामजी के जीवन से ही सारी संस्कृतियों को पहचान मिली है. चाहे माता-पिता का प्रेम या पति-पत्नी का प्रेम हो या चचेरे भाइयों का प्रेम हो सभी संस्कृतियां मर्यादित रूप से रामजी से प्रारंभ हुई हैं.

वर्तमान समय में इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. भारतीय संस्कृति उत्सव इस प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रही है. मुख्य वक्ता मगध विश्वविद्यालय बोधगया के कुलपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृत के मूल आधार हैं. मां सरयू के तट पर स्थित अयोध्या नगरी से इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेरणादायी और मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा. रामकथा के मर्मज्ञ प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि रामजी के बिना संस्कृति और मर्यादा की कल्पना ही नहीं हो सकती है. यह भारतीय संस्कृति उत्सव लोगों में उत्साह और प्रेरणा भरने का कार्य करेगा.

संस्कृति उत्सव में सम्मानित हुईं कई हस्तियां
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में भारतीय संस्कृति उत्सव की तरफ से जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभाष्कर, वेदांती मंदिर के महंत राम शंकर दास महाराज, अधिकारी राजकुमार दास महाराज, रामकथा के मर्मज्ञ प्रेमभूषण महाराज, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद, महंत कमला दास रामायणी महंत शशिकांत दास, महामंडलेश्वर महंत गिरीश दास, वरिष्ठ पत्रकार रमेश मिश्र, समाज सेवा के क्षेत्र में अनामिका सोनी सहित अन्य विभूतियों को सम्मानित किया गया.

भारतीय संस्कृति उत्सव के संयोजक शैलेंद्र मणि त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार रमेश मिश्र और हिमा बिंदु नायक ने अंगवस्त्र और सम्मान पत्र देकर सभी को सम्मानित किया. इसके उपरांत दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह द्वारा रचित रक्षा तंत्र नामक पुस्तक का विमोचन भी मंच पर उपस्थित संतों ने किया. कार्यक्रम के मुख्य आयोजक वरिष्ठ पत्रकार डॉ. शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि भगवान श्रीराम की धरती से भारतीय संस्कृति उत्सव का शुभारंभ किया गया है, जो देश-प्रदेश के 51 स्थानों पर अनवरत चलता रहेगा. कार्यक्रम का संचालन सिद्धार्थ नाथ त्रिपाठी ने किया.

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