अयोध्या: चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी अर्थात रामनवमी को मध्यान्ह होते ही समूची अयोध्या मंगल ध्यनियों से गुंजायमान हो उठी. घंटे-घड़ियाल सहित मंगलध्वनियों के बीच ठीक 12 बजते ही कनक भवन, हनुमानगढ़ी, दशरथ महल, मणिराम दास जी की छावनी, श्रीरामवल्लभाकुंज, कोसलेश सदन, लक्ष्मण किला, राजसदन, सियाराम किला, अशर्फी भवन, उत्तर तोताद्रिमठ, तीन कलश मंदिर, दिगम्बर अखाड़ा, रंगमहल, राजगोपाल मंदिर, वेद भवन, लवकुश मंदिर, विजय राघव मंदिर नई छावनी, रघुनाथ दास जी की बड़ी छावनी, दंतधावन कुंड, श्यामा सदन, जानकी महल, दिव्यकजा कुंज, शेयावतार मंदिर, हनुमत सदन, हनुमत किला गहोई मंदिर, हनुमानबाग, काठिया मंदिर, बिरला मंदिर आदि स्थानों में रामलला का प्राकट्य हुआ. अधिग्रहीत परिसर में विराजमान रामलला का जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया.
महाआरती के साथ प्रभु का किया गया स्वागत
सरयू की पावन लहरों की उमंग, आकाश से आती शीतल, सुगंधित हवाएं इस कलि काल में भी इस पावन बेला का अहसास कराने वाली रही. कनक भवन में भगवान को शस्त्रों से सलामी दी गई. इसके साथ ही महाआरती के साथ संतों से प्रभु का स्वागत किया गया. इस अवसर पर भक्तों के लिए मंदिरों के कपाट बंद रहे. मंदिरों के अंदर कोविड-19 नियमों का पालन कर उत्सव मनाया गया.
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