अयोध्या: राजस्थान के करौली में पुजारी की निर्मम हत्या के मामले में संतों में आक्रोश है. अयोध्या के हनुमानगढ़ी परिसर में महंत राजू दास आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. महंत राजू दास पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग कर रहे हैं. साथ ही आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए आमरण अनशन को खत्म करने की बात कही है.
राजस्थान के करौली में एक मंदिर के पुजारी की पेट्रोल डालकर की निर्मम हत्या कर दी गई. इस मामले को लेकर पूरे देश के संतों में आक्रोश व्याप्त है और दोषियों के खिलाफ करने की बात कही जा रही है. वहीं राम नगरी अयोध्या में भी संतों ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है.
महंत राजू दास ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया है. इस पूरे प्रकरण को लेकर हनुमानगढ़ी के वरिष्ठ संत महंत राजू दास अपने आश्रम पर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. महंत राजू दास ने चेतावनी दी है कि अगर पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा नहीं दिया जाता और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे अपना अनशन समाप्त नहीं करेंगे.
महंत राजू दास ने बताया कि राजस्थान में कानून-व्यवस्था का राज नहीं है. मृतक पुजारी ने पूर्व में भी स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर अपनी जान को खतरा बताया था, लेकिन स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और आखिरकार भू माफियाओं ने पेट्रोल डालकर पुजारी की निर्मम हत्या कर दी. इस घटना के बाद कोई स्थानीय जनप्रतिनिधि और कांग्रेस का नेता पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करने नहीं पहुंचा, जबकि उत्तर प्रदेश में जातीय हिंसा फैलाने के लिए कांग्रेस और गांधी परिवार संघर्ष करते हुए पीड़िता के घर तक पहुंच गए थे.
कांग्रेस की सरकार राजस्थान में होने के बावजूद कोई भी कांग्रेस का बड़ा नेता पीड़ित परिवार से मिलने नहीं पहुंचा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. जाति धर्म देखकर सियासत करने वालों को राजस्थान के करौली में जाकर पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करनी चाहिए. आखिर यह लोग कहां चले गए हैं. उन्होंने कहा कि वे राज्य सरकार से मांग करते हैं कि मृतक पुजारी की 6 बेटियां हैं और एक विक्षिप्त बेटा भी है. परिवार के भरण-पोषण के लिए एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता की जाए. घटना में शामिल सभी आरोपियों की गिरफ्तारी पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दी जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो वे अपने अनशन नहीं तोड़ेंगे फिर चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाए.