अयोध्या: कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने और बचाव के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लाॅकडाउन घोषित किया गया है. इस दौरान लोगों से केवल जरूरी काम के लिए ही घर से बाहर निकलने का निर्देश केंद्र और राज्य सरकार की ओर से दिया गया है. इस कारण देश के सभी धार्मिक स्थलों और मंदिरों को भी बंद कर दिया गया है.
वहीं रामजन्मोत्सव से पहले अयोध्या की सीमा को पूरी तरह सील कर दिया गया है. प्रशासनिक अधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं. सरयू नदी के घाट पर पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों की तैनाती की गई है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र टेस्ट ने श्रद्धालुओं से घरों में ही रहकर रामजन्मोत्सव मनाने और पूजा करने की अपील की है.
शहर की सीमा पर बैरिकेडिंग लगाकर लोगों को रोका जा रहा है. सआदतगंज और देवकाली एंट्री प्वाइंट पर बैरिकेडिंग लगा दी गई है. ग्रामीण क्षेत्र में एसपी ग्रामीण, सभी क्षेत्राधिकारी, नगर क्षेत्र में एसपी सिटी और सीओ सिटी लगातार निगरानी कर रहे हैं.
सरयू घाट पर PAC और RAF के जवान तैनात
कोरोना वायरस को लेकर सामूहिक स्नान को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है. जिला प्रशासन ने एडवाइजरी जारी कर सरयू नदी में होने वाले स्नान पर रोक लगा दी है. साथ ही घाट पर पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों की तैनाती की गई है.
संतों ने की अपील, घरों पर रहकर श्रद्धालु मनाएं रामजन्मोत्सव
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट समेत अयोध्या के सभी संतों ने श्रद्धालुओं से घरों पर रहकर रामजन्मोत्सव मनाने की अपील की है. वहीं विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि लोग घर पर रहकर भगवान राम का स्मरण करें. परिवार के साथ भजन कीर्तन करें और शाम के वक्त घरों में दीपक जलाएं.
दोपहर 12 बजे होता है रामलला का जन्म
चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन यानी नौमी तिथि को हर वर्ष अयोध्या में रामलला का भव्य जन्मोत्सव मनाया जाता है. राम जन्मभूमि परिसर में रामलला के जन्मस्थल पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है. जन्म की परिस्थितियों को प्रतीकात्मक रूप में प्रदर्शित किया जाता है. दोपहर 12 बजे जन्म के बाद उन्हें कनक भवन ले जाया जाता है. दिव्य उत्सव की एक झलक पाने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के संक्रमण को देखते हुए प्रमुख संतों और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस अनुष्ठान को भीड़ से पूरी तरह मुक्त रखा है.