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अयोध्या में नहीं लगेगा सावन का मेला, संत बोले- करें मानसिक पूजा

यूपी के अयोध्या जिले में प्रसिद्ध सावन झूला मेला को प्रशासन ने रद्द कर दिया है. दरअसल, कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने यह फैसला लिया है. वहीं संत समाज ने भी लोगों से घरों पर रहकर ही पूजा-अर्चना करने की अपील की है.

अयोध्या प्रशासन.
अयोध्या प्रशासन.
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Published : Jul 2, 2020, 7:45 PM IST

अयोध्या: वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए प्रशासन ने कांवड़ यात्रा और सावन झूला मेला पर रोक लगा दी है. रामनवमी मेले के बाद अब सावन झूला मेला को भी रद्द कर दिया है. कोरोना वायरस के चलते प्रशासन के इस फैसले पर सहमति जताते हुए संतों ने भी लोगों से घरों पर रहकर पूजा करने की अपील की है.

जानकारी देते संत.

कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन भीड़भाड़ वाले किसी भी आयोजन को अनुमति नहीं दे रही है. एसपी सिटी विजय पाल सिंह ने बताया कि सरयू में सामूहिक स्नान पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में अयोध्या में कांवड़ यात्रा और सावन झूला मेला की अनुमति नहीं दी गई है. प्रशासन ने 1 जुलाई से श्रद्धालुओं को नगर में प्रवेश वर्जित करने का निर्देश दिया है. वहीं कांवड़ियों को भी अयोध्या में प्रवेश नहीं मिलेगा. एसपी सिटी ने बताया कि श्रद्धालुओं से अयोध्या के संतों ने भी घरों में रहकर पूजा-अर्चना करने की अपील की है.

संतों ने दी मानसिक पूजा की सलाह
संतों ने श्रावण मास में कांवड़ियों और अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं से घरों में रहकर पूजा करने की अपील की है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा है कि लोगों को वैश्विक महामारी से बचने का जतन करना चाहिए. भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए.

वहीं खड़ेश्वरी मंदिर के महंत दिलीप दास ने कहा है कि हमें शासन और प्रशासन के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है. इस समय देश वैश्विक महामारी के संकट से जूझ रहा है. उन्होंने देश भर के श्रद्धालुओं से पूजा-पाठ करने की अपील की है. महंत दिलीप दास ने कहा कि श्रद्धालु जहां पर है, वहीं रहे और साथ ही वैश्विक महामारी में बाहर निकलने से बचने का प्रयास करें.

बता दें, कि अयोध्या में प्राचीन सावन झूला मेला प्रसिद्ध है. यह झूलनोत्सव श्रावण महीने में अयोध्या के मणि पर्वत पर आयोजित किया जाता है. मान्यता है कि मिथिला के राजा जनक ने अपनी पुत्रियों को उपहार स्वरूप दिया था. इसे अयोध्या में मणि पर्वत पर स्थापित किया गया. बाद में राम और सीता श्रावण मास में यहां झूला झूलने आया करते थे. इसी मान्यता के चलते अयोध्या में श्रावण मास में मणि पर्वत पर झूलन उत्सव मनाने का प्रचलन आज भी है. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अयोध्या में मणि पर्वत को झूलनोत्सव आयोजित किया जाता है. इसके साथ ही सावन मेले की शुरुआत होती है.

इसे भी पढे़ं- सावन माह में राम मंदिर निर्माण की तैयारी, पीएम मोदी को भेजा आमंत्रण

अयोध्या: वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए प्रशासन ने कांवड़ यात्रा और सावन झूला मेला पर रोक लगा दी है. रामनवमी मेले के बाद अब सावन झूला मेला को भी रद्द कर दिया है. कोरोना वायरस के चलते प्रशासन के इस फैसले पर सहमति जताते हुए संतों ने भी लोगों से घरों पर रहकर पूजा करने की अपील की है.

जानकारी देते संत.

कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन भीड़भाड़ वाले किसी भी आयोजन को अनुमति नहीं दे रही है. एसपी सिटी विजय पाल सिंह ने बताया कि सरयू में सामूहिक स्नान पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में अयोध्या में कांवड़ यात्रा और सावन झूला मेला की अनुमति नहीं दी गई है. प्रशासन ने 1 जुलाई से श्रद्धालुओं को नगर में प्रवेश वर्जित करने का निर्देश दिया है. वहीं कांवड़ियों को भी अयोध्या में प्रवेश नहीं मिलेगा. एसपी सिटी ने बताया कि श्रद्धालुओं से अयोध्या के संतों ने भी घरों में रहकर पूजा-अर्चना करने की अपील की है.

संतों ने दी मानसिक पूजा की सलाह
संतों ने श्रावण मास में कांवड़ियों और अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं से घरों में रहकर पूजा करने की अपील की है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा है कि लोगों को वैश्विक महामारी से बचने का जतन करना चाहिए. भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए.

वहीं खड़ेश्वरी मंदिर के महंत दिलीप दास ने कहा है कि हमें शासन और प्रशासन के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है. इस समय देश वैश्विक महामारी के संकट से जूझ रहा है. उन्होंने देश भर के श्रद्धालुओं से पूजा-पाठ करने की अपील की है. महंत दिलीप दास ने कहा कि श्रद्धालु जहां पर है, वहीं रहे और साथ ही वैश्विक महामारी में बाहर निकलने से बचने का प्रयास करें.

बता दें, कि अयोध्या में प्राचीन सावन झूला मेला प्रसिद्ध है. यह झूलनोत्सव श्रावण महीने में अयोध्या के मणि पर्वत पर आयोजित किया जाता है. मान्यता है कि मिथिला के राजा जनक ने अपनी पुत्रियों को उपहार स्वरूप दिया था. इसे अयोध्या में मणि पर्वत पर स्थापित किया गया. बाद में राम और सीता श्रावण मास में यहां झूला झूलने आया करते थे. इसी मान्यता के चलते अयोध्या में श्रावण मास में मणि पर्वत पर झूलन उत्सव मनाने का प्रचलन आज भी है. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अयोध्या में मणि पर्वत को झूलनोत्सव आयोजित किया जाता है. इसके साथ ही सावन मेले की शुरुआत होती है.

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