औरैया: गांव बबाइन के किसान अजय तिवारी बीहड़ में फलों की अच्छी पैदावार कर लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. चंबल यमुना की घाटी में गांव सेंगनपुर में जन्मे अजय तिवारी की शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई. शुरू से ही नए-नए प्रयोगों का जुनून ने मन में बागवानी का शौक जगा दिया.
विषम परिस्थितियां भी नहीं डिगा पाई हौसला
विषम हालातों और प्रतिकूल मौसम की परवाह किए बगैर अजय ने अपनी निजी भूमि पर बागवानी की शुरुआत की. भूमि बिलायती बबूल और झाड़ियो से भरी हुई थी. झाड़ियों को साफ कर अजय ने वहां केला, अनार, नीबू, सन्तरा और मौसमी फसलों को लगाया. इस समय उनके लगाए गए पेड़ों पर फल आ गए हैं.
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किसान अजय तिवारी बताते हैं कि यमुना, सिंध और पहुज नदियों के संगम किनारे फैले दुर्गम चम्बल की बीहड़ जमीन कभी भी खेती के लिए मुफीद नहीं रही. कारण स्पष्ट है कि भौगोलिक विषमताएं और विलायती बबूल सहित कटीली झड़ियाँ जमीन की उर्वरा शक्ति के अत्यधिक दोहन ने हालातों को ज्यादा जटिल बना देते हैं. लेकिन मेहनत मन से की जाए तो कुछ भी असम्भव नहीं है.