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विकास की राह देख रहा बाटूपूरा गांव, कीचड़ और गंदगी से परेशान हैं ग्रामीण

उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा हसनपुर (42) विधानसभा क्षेत्र के बाटूपुरा चहुमुखी विकास के लिए वर्षों से तरस रहा है. आजादी के 72 साल बाद भी गांव में विकास की किरण नहीं पहुंच पायी है. हसनपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत फतेहपुर के आश्रित ग्राम बाटूपूरा की आबादी लगभग 700 के आसपास है. यहां गांव में अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग बरसों से निवास करते हैं, मगर अभी भी गांव के लोगों को विकास की राह देख रहे हैं.

विकास की राह देख रहा बांटूपूरा गांव
विकास की राह देख रहा बांटूपूरा गांव
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Published : Sep 3, 2021, 5:09 PM IST

अमरोहा : जिले के हसनपुर (42) विधानसभा क्षेत्र का बाटूपुरा आज भी विकास की बाट जोह रहा है. आजादी के बाद से आज तक कितने विधायक-सांसद बने. लेकिन किसी ने इस क्षेत्र में निवास कर रहे उन गरीबों के बारे में नहीं सोचा. हाल ये है कि आजादी के 72 साल बाद भी, हसनपुर के ग्राम पंचायत फतेहपुर के आश्रित ग्राम बाटूपूरा के लोगों को आज तक सराकारी सुविधाएं मुहैया नहीं हुईं. इस गांव में निवास करने वाले करीब 700 लोग आज भी, सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अब भी कोई नेता व अधिकारी की उन पर नजर पड़ेगी और उनकी परेशानियों को समझा जाएगा.


आपको बता दें, कि जब ईटीवी भारत के संवाददाता विधानसभा हसनपुर विधानसभा (42) के गांव भाटीपुरा में जाकर लोगों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से गांव में विकास की किरण नहीं पहुंची है. गांव में हर 5 वर्ष में जनप्रतिनिधि चुना जाता है, मगर उसके बावजूद भी गांव में कोई विकास नहीं होता. फतेहपुर ग्राम पंचायत के गांव बाटूपूरा में आज भी लोगों को पक्की सड़कें नसीब नहीं है. लोग रास्ते में कीचड़ और बदबू के बीच होकर निकलते हैं. गांव की गलियां बरसात में कीचड़ से सराबोर हो जाती हैं. बारिश के दिनों में ग्रामीण व बच्चों को पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है.

विकास की राह देख रहा बांटूपूरा गांव

वहीं गांव में पेयजल की सुविधा भी खास नहीं है. गांव में लगे हैंडपंप भी खराब पड़े हुए हैं. ग्रामीणों को आज तक नल जल योजना का लाभ नहीं मिला है. वहीं शासन-प्रशासन द्वारा आज तक आंगनबाड़ी भवन में सामुदायिक भवन, संस्कृति भवन का निर्माण भी जर्जर हाल में हैं. ग्रामीण किसी की शादी-ब्याह, प्रतिभोज कार्यक्रम के समय घरों के बरामदे व गलियों का उपयोग करते हैं. गांव में मुक्तिधाम तक नहीं है. ग्रामवासी सबका खुले में दाह संस्कार करते हैं. बारिश के दिनों में तकलीफ होती है. स्वास्थ्य सुविधा भी गांव में नहीं है, जबकि गांव औद्योगिक क्षेत्र के समीप है. जूबिलेंट कंपनी पास में ही है, लेकिन कंपनियों से भी गांव में किसी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई है.


गांव के लोगों ने बताया कि केंद्र सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार गांव में विकास कराने की बात कहती है, मगर अभी तक गांव के लोग उसी कीचड़ व गंदे पानी से होकर गुजरते हैं. गांव में कोई विकास नहीं हुआ. समस्याएं जस की तस हैं. जब तक विधानसभा व लोकसभा के चुनाव आते हैं, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि गांवों में विकास करने की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, परंतु सब खोखला साबित होता है.

इसे भी पढ़ें- सरकार की बेरुखी: जर्जर हालत में हैं मथुरा-वृंदावन के पर्यटक आवास केंद्र


ग्रामीण रामपाल ने कहा कि हमारे गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ. गांव में स्वास्थ्य की सुविधा नहीं है. गलियों में सीसी रोड नहीं है. पानी की सुविधा नहीं है. सामाजिक भवन से भी कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है. विनोद कुमार ने कहा कि मेरी उम्र लगभग 30 वर्ष की हो गई है, मगर अभी तक मुझे विकास कार्य देखने को नहीं मिला है. सुविधाओं के लिए हम लोग तरस रहे हैं. एक ग्रामीण ने कहा कि ग्राम बाटूपुरा में मुक्तिधाम नहीं है. बारिश के दिनों में शव जलाने में भारी परेशानी होती है. गांव के हैंडपंपों से गंदा पानी भी आता है. गांव के जनप्रतिनिधि और क्षेत्र के विधायक भी इस बारे में कोई ध्यान नहीं देते हैं.

अमरोहा : जिले के हसनपुर (42) विधानसभा क्षेत्र का बाटूपुरा आज भी विकास की बाट जोह रहा है. आजादी के बाद से आज तक कितने विधायक-सांसद बने. लेकिन किसी ने इस क्षेत्र में निवास कर रहे उन गरीबों के बारे में नहीं सोचा. हाल ये है कि आजादी के 72 साल बाद भी, हसनपुर के ग्राम पंचायत फतेहपुर के आश्रित ग्राम बाटूपूरा के लोगों को आज तक सराकारी सुविधाएं मुहैया नहीं हुईं. इस गांव में निवास करने वाले करीब 700 लोग आज भी, सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अब भी कोई नेता व अधिकारी की उन पर नजर पड़ेगी और उनकी परेशानियों को समझा जाएगा.


आपको बता दें, कि जब ईटीवी भारत के संवाददाता विधानसभा हसनपुर विधानसभा (42) के गांव भाटीपुरा में जाकर लोगों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से गांव में विकास की किरण नहीं पहुंची है. गांव में हर 5 वर्ष में जनप्रतिनिधि चुना जाता है, मगर उसके बावजूद भी गांव में कोई विकास नहीं होता. फतेहपुर ग्राम पंचायत के गांव बाटूपूरा में आज भी लोगों को पक्की सड़कें नसीब नहीं है. लोग रास्ते में कीचड़ और बदबू के बीच होकर निकलते हैं. गांव की गलियां बरसात में कीचड़ से सराबोर हो जाती हैं. बारिश के दिनों में ग्रामीण व बच्चों को पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है.

विकास की राह देख रहा बांटूपूरा गांव

वहीं गांव में पेयजल की सुविधा भी खास नहीं है. गांव में लगे हैंडपंप भी खराब पड़े हुए हैं. ग्रामीणों को आज तक नल जल योजना का लाभ नहीं मिला है. वहीं शासन-प्रशासन द्वारा आज तक आंगनबाड़ी भवन में सामुदायिक भवन, संस्कृति भवन का निर्माण भी जर्जर हाल में हैं. ग्रामीण किसी की शादी-ब्याह, प्रतिभोज कार्यक्रम के समय घरों के बरामदे व गलियों का उपयोग करते हैं. गांव में मुक्तिधाम तक नहीं है. ग्रामवासी सबका खुले में दाह संस्कार करते हैं. बारिश के दिनों में तकलीफ होती है. स्वास्थ्य सुविधा भी गांव में नहीं है, जबकि गांव औद्योगिक क्षेत्र के समीप है. जूबिलेंट कंपनी पास में ही है, लेकिन कंपनियों से भी गांव में किसी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई है.


गांव के लोगों ने बताया कि केंद्र सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार गांव में विकास कराने की बात कहती है, मगर अभी तक गांव के लोग उसी कीचड़ व गंदे पानी से होकर गुजरते हैं. गांव में कोई विकास नहीं हुआ. समस्याएं जस की तस हैं. जब तक विधानसभा व लोकसभा के चुनाव आते हैं, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि गांवों में विकास करने की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, परंतु सब खोखला साबित होता है.

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ग्रामीण रामपाल ने कहा कि हमारे गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ. गांव में स्वास्थ्य की सुविधा नहीं है. गलियों में सीसी रोड नहीं है. पानी की सुविधा नहीं है. सामाजिक भवन से भी कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है. विनोद कुमार ने कहा कि मेरी उम्र लगभग 30 वर्ष की हो गई है, मगर अभी तक मुझे विकास कार्य देखने को नहीं मिला है. सुविधाओं के लिए हम लोग तरस रहे हैं. एक ग्रामीण ने कहा कि ग्राम बाटूपुरा में मुक्तिधाम नहीं है. बारिश के दिनों में शव जलाने में भारी परेशानी होती है. गांव के हैंडपंपों से गंदा पानी भी आता है. गांव के जनप्रतिनिधि और क्षेत्र के विधायक भी इस बारे में कोई ध्यान नहीं देते हैं.

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