अमरोहा: जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा पार्टी के विरोध में प्रचार करने वाले सात नेताओं को पार्टी ने छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है. सभी निष्कासित नेता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में चुनाव लड़ने और प्रत्याशी को लड़ाने का काम कर रहे थे. इसमें पूर्व जिला उपाध्यक्ष और दो निर्वतमान जिला पंचायत सदस्य शामिल हैं. प्रदेश नेतृत्व की कार्रवाई के बाद स्थानीय नेताओं में खलबली मची है.
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा में 19 अप्रैल को ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पद के लिए मतदान होगा. पिछले पंद्रह दिनों से जिले में चुनावी सरगर्मी तेज है. भाजपा समेत अन्य राजनैतिक पार्टियों ने जिला पंचायत सदस्य पद के लिए अपने अधिकृत प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. हालांकि इन प्रत्याशियों को पार्टी का सिंबल नहीं दिया गया है, लेकिन भाजपा के कई नेता अपने की प्रत्याशियों के खिाफ बगावत कर बैठे हैं. इतना ही नहीं तीन नेता खुद बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं, जबकि चार नेताओं पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है. जिसको लेकर भाजपा ने यह कदम उठाया है.
इसे भी पढ़ें- कोविड-19 प्रबंधन में लगे अफसरों को CM ने दिए निर्देश, युद्धस्तर पर करें इलाज
इन लोगों पर हुई कार्रवाई
शुक्रवार को जिलाध्यक्ष ऋषिपाल नागर ने बताया कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में चुनाव लड़ने और लड़ाने वाले पूर्व जिला उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चिकारा, भाजपा नेता विजय पाल सैनी, निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य हरीश सैनी, भाजपा कार्यकर्ता पारूल जाटव, पूर्व मंडल पदाधिकारी नरेश वाल्मीकि, भाजपा नेता कुंवरपाल सिंह और निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य रामपाल खड़गवंशी को प्रदेश नेतृत्व की अनुमति के बाद छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.