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अमेठी: स्फटिक शिवलिंग के पूजन को उमड़े श्रद्धालु, दर्शन मात्र से होते हैं दुख दूर

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Published : Jul 22, 2019, 7:49 AM IST

उत्तर प्रदेश के अमेठी में शिव भक्तों का तांता लग गया है. सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने श्रद्धालु अमेठी स्थित स्फटिक की शिवलिंग की पूजा करने पहुंचे. यूपी में केवल दो स्फटिक की शिवलिंग है, जिसमें से अमेठी की शिवलिंग एक है. मान्यता के मुताबिक इस स्फटिक की शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने से सारे दुख दूर हो जाते है.

पहले सोमवार को श्रद्धालुओं ने की स्फटिक की शिवलिंग की पूजा

अमेठी: सावन के महीने में शिव के श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ चुका है. सावन के पावन महीने में लोग शिवलिंग की उपासना कर रहे है. श्रावण मास जप, तप और ध्यान के लिए उत्तम होता है, लेकिन इसमें सोमवार का विशेष महत्व है. अमेठी शहर में स्थित स्फटिक का शिवलिंग में लोग दूर-दूर से जल चढ़ाने आते हैं. यह शिवलिंग गौरीगंज संपर्क मार्ग से दो किलोमीटर दूर मुराई के पुरवा जंगल रामनगर में है.

लोंगो की मान्यता है कि इस स्फटिक शिवलिंग का दर्शन-पूजन करने से सुख-समृद्धि, वैभव की प्राप्ति और मन को शांति मिलती है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि स्फटिक का शिवलिंग पूरे प्रदेश में केवल दो जगह है, पहला इलाहाबाद और दूसरा अमेठी.

पहले सोमवार को श्रद्धालुओं ने की स्फटिक की शिवलिंग की पूजा

मंदिर की बनावट श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है
मंदिर के ऊपर चारों दिशाओं में विष्णु जी, हनुमान जी, कृष्ण-राधा और मां सरस्वती जी विराजमान है. भोलेनाथ की प्रतिमा मंदिर के सबसे ऊपर है. वहीं शिव सवारी नन्दी मंदिर के सामने विराजमान है. लोंगो की मान्यता और आस्था ने मंदिर को प्रसिद्धि दे रखी है. इसके कारण यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं.

सावन मास में स्फटिक की शिवलिंग की विधि-विधान से जलाभिषेक किया जाता है. शिवलिंग का दुग्ध, पंचामृत, शहद और भांग आदि से अभिषेक किया जाता है. अभिषेक के बाद बेलपत्र और धतूरा भगवान को चढ़ाया जाता है. स्फटिक शिवलिंग दुख हरण नाथ नाम से विख्यात है. दुख हरण नाथ मंदिर का निर्माण स्वर्गीय त्रियुगीनारायण पाल ने अपनी पत्नी स्वर्गीय रामकली के स्मृति में 30 जून 2017 को कराया था.

  • 17 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है.
  • सावन मास में भगवान शिव की पूजा की साथ गौरा माता की पूजा का भी विशेष महत्व होता है.
  • मान्यता के अनुसार सावन का पहला सोमवार व्रत रखने से मनोकामना पूरी होती है.
  • भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्त सावन महीने में ही कावड़ यात्रा पर निकलते है.
  • उत्तर प्रदेश में दो जगह है स्फटिक का शिवलिंग है, इलाहाबाद और अमेठी.
  • आध्यात्म के साथ-साथ वैज्ञानिक तौर पर स्फटिक के शिवलिंग का विशेष महत्व है.
  • स्फटिक शिवलिंग की पूजा-अर्चना से आयु,आरोग्यता, धन, सम्पति, यश, मान, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.

इस मंदिर की मान्यता यह है कि यह स्फटिक का शिवलिंग है. यहा जो भी श्रद्धालु दर्शन करने आते है उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और भगवान हर प्रकार का दुःख हरण करते है,जिसकी वजह से इनका नाम दुख हरण नाथ धाम है. स्फटिक का शिवलिंग उत्तर प्रदेश में केवल दो जगह मिलेंगे एक इलाहाबाद और दूसरा अमेठी.
-नागेंद्र नाथ, पुजारी

इस मंदिर की मान्यता यह है कि इस स्फटिक के शिवलिंग के दर्शन मात्र से बहुत प्रभाव पड़ता है. स्फटिक शिवलिंग के दर्शन से मानसिक शांति और गुस्सा कम काम कर देते है.
-विजयलक्ष्मी, श्रद्धालु

अमेठी: सावन के महीने में शिव के श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ चुका है. सावन के पावन महीने में लोग शिवलिंग की उपासना कर रहे है. श्रावण मास जप, तप और ध्यान के लिए उत्तम होता है, लेकिन इसमें सोमवार का विशेष महत्व है. अमेठी शहर में स्थित स्फटिक का शिवलिंग में लोग दूर-दूर से जल चढ़ाने आते हैं. यह शिवलिंग गौरीगंज संपर्क मार्ग से दो किलोमीटर दूर मुराई के पुरवा जंगल रामनगर में है.

लोंगो की मान्यता है कि इस स्फटिक शिवलिंग का दर्शन-पूजन करने से सुख-समृद्धि, वैभव की प्राप्ति और मन को शांति मिलती है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि स्फटिक का शिवलिंग पूरे प्रदेश में केवल दो जगह है, पहला इलाहाबाद और दूसरा अमेठी.

पहले सोमवार को श्रद्धालुओं ने की स्फटिक की शिवलिंग की पूजा

मंदिर की बनावट श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है
मंदिर के ऊपर चारों दिशाओं में विष्णु जी, हनुमान जी, कृष्ण-राधा और मां सरस्वती जी विराजमान है. भोलेनाथ की प्रतिमा मंदिर के सबसे ऊपर है. वहीं शिव सवारी नन्दी मंदिर के सामने विराजमान है. लोंगो की मान्यता और आस्था ने मंदिर को प्रसिद्धि दे रखी है. इसके कारण यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं.

सावन मास में स्फटिक की शिवलिंग की विधि-विधान से जलाभिषेक किया जाता है. शिवलिंग का दुग्ध, पंचामृत, शहद और भांग आदि से अभिषेक किया जाता है. अभिषेक के बाद बेलपत्र और धतूरा भगवान को चढ़ाया जाता है. स्फटिक शिवलिंग दुख हरण नाथ नाम से विख्यात है. दुख हरण नाथ मंदिर का निर्माण स्वर्गीय त्रियुगीनारायण पाल ने अपनी पत्नी स्वर्गीय रामकली के स्मृति में 30 जून 2017 को कराया था.

  • 17 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है.
  • सावन मास में भगवान शिव की पूजा की साथ गौरा माता की पूजा का भी विशेष महत्व होता है.
  • मान्यता के अनुसार सावन का पहला सोमवार व्रत रखने से मनोकामना पूरी होती है.
  • भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्त सावन महीने में ही कावड़ यात्रा पर निकलते है.
  • उत्तर प्रदेश में दो जगह है स्फटिक का शिवलिंग है, इलाहाबाद और अमेठी.
  • आध्यात्म के साथ-साथ वैज्ञानिक तौर पर स्फटिक के शिवलिंग का विशेष महत्व है.
  • स्फटिक शिवलिंग की पूजा-अर्चना से आयु,आरोग्यता, धन, सम्पति, यश, मान, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.

इस मंदिर की मान्यता यह है कि यह स्फटिक का शिवलिंग है. यहा जो भी श्रद्धालु दर्शन करने आते है उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और भगवान हर प्रकार का दुःख हरण करते है,जिसकी वजह से इनका नाम दुख हरण नाथ धाम है. स्फटिक का शिवलिंग उत्तर प्रदेश में केवल दो जगह मिलेंगे एक इलाहाबाद और दूसरा अमेठी.
-नागेंद्र नाथ, पुजारी

इस मंदिर की मान्यता यह है कि इस स्फटिक के शिवलिंग के दर्शन मात्र से बहुत प्रभाव पड़ता है. स्फटिक शिवलिंग के दर्शन से मानसिक शांति और गुस्सा कम काम कर देते है.
-विजयलक्ष्मी, श्रद्धालु

Intro:अमेठी। अमेठी शहर से गौरीगंज संपर्क मार्ग से दो किलोमीटर दूर मुराई का पुरवा जंगल रामनगर में स्थित है स्फुटिक का शिवलिंग। कहा जता है कि इस स्फुटिक के शिवलिंग का दर्शन, पूजन-अर्चन करने से सुख-समृद्धि, वैभव की प्राप्ति होती है, दुख दूर हो जाते है और मन को शांति मिलती है। मंदिर की बनावट श्रद्धालुओं का मन आकर्षित करता है। मंदिर के ऊपर चारो दिशाओं में विष्णु जी, हनुमान जी, कृष्ण राधा, माँ सरस्वती जी विराजमान है। वही मंदिर के सबसे ऊपर भगवान शिव की प्रतिमा है। मंदिर के सामने नन्दी जी विराजमान है। सावन में यहा विधि-विधान से भगवान शिव का अभिषेक एवं शिर्वाचन होता है। भगवान शिव का यहा दुग्धभिषेक,पंचामृत,शहद,भांग आदि के द्वारा अभिषेक किया जाता है इसके बाद बेलपत्र,धतूरा भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं। भगवान शिव के दर्शन से लोगो के दुःख दूर हो जाते है इसलिए इनका नाम दुख हरण नाथ पड़ा। सुबह-शाम पूरे विधि विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। दुख हरण नाथ मंदिर का निर्माण स्वर्गीय गंगाराम के सुपुत्र स्वर्गीय त्रियुगीनारायण पाल ने अपनी पत्नी स्वर्गीय रामकली के स्मृति में इस मंदिर का निर्माण 30 जून 2017 को कराया था।







Body:उत्तर प्रदेश में दो जगह है स्फटिक का शिवलिंग-

मंदिर के पुजारी बताते है कि स्फटिक का शिवलिंग पूरे उत्तर प्रदेश में केवल दो जगह है। पहला इलाहाबाद में और दूसरा अमेठी में।



स्फटिक शिवलिंग का महत्व-

स्फटिक का महत्व आध्यात्म के साथ-साथ वैज्ञानिक तौर पर स्फटिक के शिवलिंग का विशेष महत्व है। स्फटिक शिवलिंग की पूजा-अर्चना से भगवान शिव की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है। इनकी अनुकंपा से आयु,आरोग्यता,धन,सम्पति,यश,मान,प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।



स्फटिक पत्थर की विशेषता-

स्फटिक कई सदियों तक हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों में दबा एक ऐसा पत्थर होता है,जो कांच की तरह पारदर्शि होता है। इसकी विशेषता यह है कि गर्मी में भी ठंडा होता है।



Conclusion:वी/ओ-1 इस मंदिर की मान्यता यह है कि यह स्फटिक का शिवलिंग है। यहा जो भी श्रद्धालु दर्शन करने आते है उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और हर प्रकार का दुःख हरण करते है। इसलिए इनका नाम दुख हरण नाथ धाम है। स्फटिक का शिवलिंग उत्तर प्रदेश में केवल दो जगह मिलेंगे एक इलाहाबाद और दूसरा अमेठी में।

बाइट- नागेंद्र नाथ (पुजारी)



वी/ओ-2 इस मंदिर की मान्यता यह है कि इस स्फटिक के शिवलिंग के दर्शन मात्र से बहुत प्रभाव पड़ता है। स्फटिक शिवलिंग के दर्शन से मानसिक शांति और गुस्सा कम काम कर देते है।

बाइट- विजयलक्ष्मी (श्रद्धालु)
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