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मनरेगा की मुसीबत, 175 रुपये में कैसे चलेगा परिवार

100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने वाली केंद्र सरकार की योजना मनरेगा को लेकर गरीब और मजदूरों में असंतोष है. न्यूनतम मजदूरी 175 रुपये मिलने से कई परिवारों को आर्थिक रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Feb 21, 2019, 3:52 PM IST

अमेठी: केंद्र सरकार कीमहत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी यानी मनरेगा के प्रति मजदूरों में असंतोष की भावना है. वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने इस योजना को लागू किया था. पर इस योजना के तहत प्रतिदिन काम न मिल पाने से मजदूर मुसीबत में है.

न्यूनतम मजदूरी 175 रुपये मिलने से कई परिवारों को आर्थिक रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मनरेगा में कम पैसा और प्रतिदिन काम न मिलने से गरीब परिवार मुश्किल में हैं. साथ ही जिन लोगों को वास्तविक में काम मिलना चाहिए उनको काम नहीं मिल रहा उनकी जगह ऐसे लोग लाभ उठा रहे हैं जिनको इस योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

मनरेगा मजदूरों का कहना है मजदूरी बहुत कम है इतनी कम मजदूरी में परिवार का पेट पालना कठिन है. जिसकी वजह से बाहर भी मजदूरी करने पड़ता है किसी तरह से घर का खर्चा चलता है. मनरेगा से मिलने वाला पैसा कुछ समय से लेट मिल रहा है. ऐसे में एक परिवार चलाना कठिन है. ही ग्राम प्रधान सरकारी खामियों को गिना रहे हैं. काम न मिलने के सवाल को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि नियमित रूप से काम मिल रहा है

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अमेठी: केंद्र सरकार कीमहत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी यानी मनरेगा के प्रति मजदूरों में असंतोष की भावना है. वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने इस योजना को लागू किया था. पर इस योजना के तहत प्रतिदिन काम न मिल पाने से मजदूर मुसीबत में है.

न्यूनतम मजदूरी 175 रुपये मिलने से कई परिवारों को आर्थिक रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मनरेगा में कम पैसा और प्रतिदिन काम न मिलने से गरीब परिवार मुश्किल में हैं. साथ ही जिन लोगों को वास्तविक में काम मिलना चाहिए उनको काम नहीं मिल रहा उनकी जगह ऐसे लोग लाभ उठा रहे हैं जिनको इस योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

मनरेगा मजदूरों का कहना है मजदूरी बहुत कम है इतनी कम मजदूरी में परिवार का पेट पालना कठिन है. जिसकी वजह से बाहर भी मजदूरी करने पड़ता है किसी तरह से घर का खर्चा चलता है. मनरेगा से मिलने वाला पैसा कुछ समय से लेट मिल रहा है. ऐसे में एक परिवार चलाना कठिन है. ही ग्राम प्रधान सरकारी खामियों को गिना रहे हैं. काम न मिलने के सवाल को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि नियमित रूप से काम मिल रहा है

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Intro:अमेठी। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एक रोजगार गारंटी योजना है, जो 2 अक्टूबर 2005 से लागू किया गया।लेकिन जब जनपद अमेठी में मनरेगा के प्राप्त मजदूरी करने वाले मजदूरों से मिला गया तो मनरेगा जैसे योजना से मजदूरों का असंतोष बढ़ता जा रहा है। मनरेगा के मजदूरों का कहना है कि 174 रुपये की मजदूरी बहुत कम है और रोज काम भी नही मिल पा रहा है। इतने कम मजदूरी में परिवार का पेट पालना कठिन है। जिसकी वजह से बाहर भी मजदूरी करने पड़ रहा है। मजदूरों का कहना है कि कुछ समय से मजदूरी भी लेट मिल रहा है। ऐसे में एक परिवार का पालन इतने कम रुपये में कैसे होगा।


Body:वी/ओ1- 175 रुपये के हिसाब से मजदूरी मिलता है। रोज काम भी नही मिलता इसी वजह से बाहर भी मजदूरी करनी पड़ती है तो किसी तरह के घर का खर्चा चलता है।

बाइट- रामकरन (मजदूर)

वी/ओ2- मनरेगा से 175 रुपये मजदूरी मिलती हैजबकी बाहर 300 रुपये मजदूरी मिलती है। मनरेगा में बराबर काम नही मिलता और खाते में समय से पैसा नही आता।

बाइट- रामसेवक (मजदूर)


वी/ओ3- मनरेगा से जब काम लगता है तो काम मिलता है।परिवार लंबा है खेत बहुत कम है मनरेगा की कमाई से परिवार चलता है।

बाइट- सितमनी (मजदूर)


वी/ओ-4 वही ग्राम प्रधान का कहना है कि निश्चित तौर पर इस बार मजदूरी में विलम्भ हुआ है।कुछ सरकारी खामियां रही है। विकास खंड अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि पिछले हफ्ते मजदूरों की मजदूरी खाते में भेज दी गयी है। जहाँ तक काम न मिलने का सवाल है निश्चित तौर पर बेबुनियाद है। मनरेगा से सभी मजदूर को काम मिल रहा है।

बाइट- देव प्रकाश पांडेय (प्रधान,डेढ़ पसार,अमेठी)


Conclusion:
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