ETV Bharat / state

...जाने क्यों दी जाती है बकरीद पर कुर्बानी - Eid al Adha 2019

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में बकरीद का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदा करके एक-दूसरे को बकरीद की बधाई दे रहे हैं.

एक-दूसरे को बकरीद की बधाई देते लोग.
author img

By

Published : Aug 12, 2019, 9:53 AM IST

अमेठी: नगर में स्थित जामा मस्जिद में हर्षोल्लास के साथ ईद-उल-अजहा की नमाज अदी की गई. नमाज अदा करने आए मुस्लिम भाइयों ने पैगंबर से सलामती की दुआ मांगी. नमाज अदा करने के बाद लोगों के चेहरे पर मुस्कान छाई हुई थी. इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे के गले मिलकर ईद-उल-अजहा की बधाई दी.

जानकारी देते मौलवी मोहम्मद कादरी.
जानें क्या है बकरीद का महत्वबकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है. इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं. ऐसा करके मुस्लिम समाज के लोग इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज को भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं.जानें क्यों मनाई जाती है बकरीदइस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्व है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे. तब अल्लाह ने उनके नेक जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया. यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है. इसके बाद अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया.क्यों दी जाती है कुर्बानीहजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं. इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद उन्होंने पट्टी हटाई तो अपने पुत्र को अपने सामने जिंदा खड़ा हुआ देखा. बेदी पर कटा हुआ दुंबा पड़ा हुआ था. तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है.

हमारे नवी ने इस त्यौहार को मनाने का हुक्म दिया है. इसे हम त्योहार के रूप में मनाते हैं. समाज में भाईचारे का पैगाम देते हैं. आज यह त्यौहार हम सब लोग मिल-जुल कर मना रहे हैं.
-मोहम्मद कादरी, मौलवी,जामा मस्जिद

अमेठी: नगर में स्थित जामा मस्जिद में हर्षोल्लास के साथ ईद-उल-अजहा की नमाज अदी की गई. नमाज अदा करने आए मुस्लिम भाइयों ने पैगंबर से सलामती की दुआ मांगी. नमाज अदा करने के बाद लोगों के चेहरे पर मुस्कान छाई हुई थी. इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे के गले मिलकर ईद-उल-अजहा की बधाई दी.

जानकारी देते मौलवी मोहम्मद कादरी.
जानें क्या है बकरीद का महत्वबकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है. इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं. ऐसा करके मुस्लिम समाज के लोग इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज को भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं.जानें क्यों मनाई जाती है बकरीदइस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्व है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे. तब अल्लाह ने उनके नेक जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया. यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है. इसके बाद अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया.क्यों दी जाती है कुर्बानीहजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं. इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद उन्होंने पट्टी हटाई तो अपने पुत्र को अपने सामने जिंदा खड़ा हुआ देखा. बेदी पर कटा हुआ दुंबा पड़ा हुआ था. तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है.

हमारे नवी ने इस त्यौहार को मनाने का हुक्म दिया है. इसे हम त्योहार के रूप में मनाते हैं. समाज में भाईचारे का पैगाम देते हैं. आज यह त्यौहार हम सब लोग मिल-जुल कर मना रहे हैं.
-मोहम्मद कादरी, मौलवी,जामा मस्जिद

Intro:अमेठी। अमेठी नगर के जामा मस्जिद में हर्षोल्लास के साथ ईद-उल-जहा का नमाज अदा किया गया। नवाज अदा में मुस्लिम भाइयो ने अपने पैगम्बर से सलामती की दुआ मांगी। नमाज अदा करने के बाद लोगो के चेहरे पर मुस्कान थी और लोगो ने गले मिलकर ईद-उल-जूहा की बधाई दी।


Body:बकरीद का महत्व-

बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है। इस्लाम में गरीबों और मजलूमो का खास ध्यान रखने की परंपरा है। इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं। ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज भी हम दूसरों को बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं।


बकरीद क्यों मनाई जाती है?

इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्व है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे। तब अल्लाह ने उनके नेक जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया। यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है। इसके बाद अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया।

क्यों दी जाती है कुर्बानी-

हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिंदा खड़ा हुआ देखा बेदी पर कटा हुआ दुंबा पडा हुआ था। तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है।


Conclusion:वी/ओ- हमारे नवी ने इसे मनाने का हुक्म दिया है। इसे हम त्योहार के रूप में मनाते है। भाईचारे का पैगाम देते है। सबलोग मिलजुलकर रहे।


बाइट- मोहम्मद कादरी (मौलबी,जामा मस्जिद अमेठी)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.