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अमेठी: कोरोना से नहीं डरते हैं दिहाड़ी मजदूर, बोले - डरेंगे तो खाएंगे क्या - अमेठी दिहाड़ी मजदूर खबर

उत्तर प्रदेश के अमेठी में रविवार को जनता कर्फ्यू के बाद मंगलवार को फिर से रोज की तरह दिहाड़ी मजदूरों का जमावड़ा रामलीला मैदान में देखने को मिला. मजदूरों का कहना है कि हमको कोरोना से डर नहीं लगता क्योंकि अगर कोरोना से डर गए तो कमाएंगे क्या और बच्चों को क्या खिलाएंगे.

दिहाड़ी मजदूर
दिहाड़ी मजदूर को कोरोना से कोई डर नहीं है.
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Published : Mar 24, 2020, 6:50 PM IST

अमेठी: कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया थम सी गई है. विश्व के कई देशों में वहां की सरकारों ने पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया है. भारत में भी इस वायरस के रोकथाम के लिए सरकार हर सम्भव कदम उठा रही है. ऐसे में देश की गरीब जनता और दिहाड़ी मजदूरों के सामने जिन्दगी एक चुनौती बन गई है.

न ही उनको कोरोना का डर है और न ही उससे होने वाले खतरे का. वो अभी भी अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. ऐसा ही नजारा अमेठी तहसील के रामलीला मैदान पर देखने को मिला. जहां रोज की तरह सैकड़ों मजदूर काम के लिए वहां जमा हो गए.

दिहाड़ी मजदूर को कोरोना से कोई डर नहीं है.

दिहाड़ी मजदूरों का जमावड़ा

प्रधानमंत्री के आह्वान पर जनता कर्फ्यू का दिन रविवार छोड़ अब यहां रोज दिहाड़ी मजदूरों का जमावड़ा वैसे ही लग रहा जैसे पहले लगता था. मंगलवार को काम लेने के लिए जमा हुए मजदूर राहुल सरोज बताते हैं कि कोरोना वायरस से डर नहीं लग रहा है. अगर डरेंगे तो क्या खाएंगे, कहां रहेंगे. हमारे परिवार का क्या होगा.

राहुल ने ये भी बताया कि काम में कमी नहीं है, काम बराबर मिल रहा है. मजदूर गया प्रसाद यादव कहते हैं डर किस चीज का. हम लोग भूखे मर रहे हैं. हम लोग मजदूर आदमी हैं, रोज कमाने खाने वाले हैं. कमाएंगे नहीं तो कहां से खाएंगे और बच्चे कहां से जिलाएंगे. गया प्रसाद कहते हैं सरकार 1 हजार देगी उससे हमारा पेट नहीं भरेगा. फिर वो हम लोगों को मिलेगा भी नहीं.

इसे भी पढ़ें-योगी सरकार ने 20 लाख से ज्यादा मजदूरों को भेजी 1000 रुपये की पहली किस्त

हम लोगों को कोरोना से डर नहीं है. मौत अगर आ भी जाएगी तो उसको गले लगा लेंगे. हम बच्चों को भूखा रहने नही देंगे. जब तक हम लोग नहीं निकलेंगे बच्चों को खाना-पीना, राशन-पानी कहां से लाएंगे. हम लोगों का सरकारी वेतन तो बंधा नहीं है कि उसमें से बच्चे खाएंगे. इसमें गरीब जनता मरती है कोई बड़ा नहीं मरता है और कोई गरीब आदमी किसी बीमारी से नहीं डरता, हम तो अपनी गरीबी में परेशान रहते हैं.
महमूद आलम, दिहाड़ी मजदूर

अमेठी: कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया थम सी गई है. विश्व के कई देशों में वहां की सरकारों ने पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया है. भारत में भी इस वायरस के रोकथाम के लिए सरकार हर सम्भव कदम उठा रही है. ऐसे में देश की गरीब जनता और दिहाड़ी मजदूरों के सामने जिन्दगी एक चुनौती बन गई है.

न ही उनको कोरोना का डर है और न ही उससे होने वाले खतरे का. वो अभी भी अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. ऐसा ही नजारा अमेठी तहसील के रामलीला मैदान पर देखने को मिला. जहां रोज की तरह सैकड़ों मजदूर काम के लिए वहां जमा हो गए.

दिहाड़ी मजदूर को कोरोना से कोई डर नहीं है.

दिहाड़ी मजदूरों का जमावड़ा

प्रधानमंत्री के आह्वान पर जनता कर्फ्यू का दिन रविवार छोड़ अब यहां रोज दिहाड़ी मजदूरों का जमावड़ा वैसे ही लग रहा जैसे पहले लगता था. मंगलवार को काम लेने के लिए जमा हुए मजदूर राहुल सरोज बताते हैं कि कोरोना वायरस से डर नहीं लग रहा है. अगर डरेंगे तो क्या खाएंगे, कहां रहेंगे. हमारे परिवार का क्या होगा.

राहुल ने ये भी बताया कि काम में कमी नहीं है, काम बराबर मिल रहा है. मजदूर गया प्रसाद यादव कहते हैं डर किस चीज का. हम लोग भूखे मर रहे हैं. हम लोग मजदूर आदमी हैं, रोज कमाने खाने वाले हैं. कमाएंगे नहीं तो कहां से खाएंगे और बच्चे कहां से जिलाएंगे. गया प्रसाद कहते हैं सरकार 1 हजार देगी उससे हमारा पेट नहीं भरेगा. फिर वो हम लोगों को मिलेगा भी नहीं.

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हम लोगों को कोरोना से डर नहीं है. मौत अगर आ भी जाएगी तो उसको गले लगा लेंगे. हम बच्चों को भूखा रहने नही देंगे. जब तक हम लोग नहीं निकलेंगे बच्चों को खाना-पीना, राशन-पानी कहां से लाएंगे. हम लोगों का सरकारी वेतन तो बंधा नहीं है कि उसमें से बच्चे खाएंगे. इसमें गरीब जनता मरती है कोई बड़ा नहीं मरता है और कोई गरीब आदमी किसी बीमारी से नहीं डरता, हम तो अपनी गरीबी में परेशान रहते हैं.
महमूद आलम, दिहाड़ी मजदूर

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