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गोबर से पेंट, डिस्टेंपर और पुट्टी बना रहीं गांव की महिलाएं: देश-प्रदेश में खासी डिमांड, लाखों में कमाई - ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

बाजार में घर और ऑफिस पेंट करने के लिए तरह तरह के पेंट उपलब्ध हैं, लेकिन अब बाजार में आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट भी आ गए हैं. अमेठी की धर्मजीत यादव ने ऐसे ही पेंट समेत 17 तरह उत्पाद तैयार किए हैं. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 9, 2023, 12:15 PM IST

Updated : Dec 9, 2023, 1:53 PM IST

अमेठी : घर पेंट करने की बात आती है तो बहुत से लोग "सुरक्षित" पेंट के बारे में चिंतित होते हैं. परिणामस्वरूप, ऑर्गेनिक पेंट ने बाजार में अपनी जगह बना ली है. ऑर्गेनिक पेंट प्राकृतिक अवयवों से बना होता है. ऐसे ही अमेठी में गाय के गोबर से निर्मित पेंट वा अन्य उत्पाद देश के विभिन्न कोनों में धूम मचा रहे हैं. गौ सेवा से शुरू हुआ यह सफर अब कई परिवारों के जीविका के साधन बन गया है. गाय के गोबर से निर्मित पेंट फ्लिपकार्ट और अमेजान पर बिक्री के साथ अन्य दुकानों पर भी बिक रहा है.

आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.
आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.

गोबर से बन रहा डिस्टेंपर व पुट्टी : यूपी के अमेठी जिले भादर विकासखंड क्षेत्र के भावापुर निवासी धर्म जीत यादव श्री कृष्णा वर्क के नाम से एक प्रतिष्ठान का संचालन कर रहे हैं. यहां गाय के गोबर से निर्मित पेंट की चर्चा खूब हो रही है. इस पेंट के निर्माण में नुकसानदायक केमिकल को दूर रखा गया है. इस पेंट के उपयोग पर आठ प्रकार के लाभ बताए गए हैं. पेंट के साथ डिस्टेंपर व पुट्टी भी बनाई जा रही है. यह पेंट बहुत महंगा भी नहीं है. बाजार व ऑनलाइन मार्केट में 290 प्रति लीटर यह पेंट उपलब्ध है. फिलहाल ग्रामीण इलाके में निर्माण होने से काफी कठिनाई होती है. बावजूद इसके बावजूद धर्मजीत तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए गौ सेवा के साथ गाय के गोबर से ही लगभग 17 प्रकार के आइटम बना रहे हैं. इस काम की शुरूआत लगभग दो साल पहले 10 लाख रुपये की पूंजी से की थी.

आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.
आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.

उत्पादों में सनातन धर्म की झलक : पेंट के साथ 17 गौ उत्पाद हैं. जिसमें सनातन धर्म के कुछ चिन्ह स्वास्तिक, शुभ-लाभ, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां गाय के गोबर से ईंटें, चप्पल, गाय के गोबर से होली के लिए गुलाल रक्षाबंधन के लिए राखी दीपावली, दीपक सहित कुल 17 उत्पाद हैं जो गोवंशों को संरक्षण देने में भी सहायक साबित हो रहे हैं. इसके अलावा हमारे आर्थिक आय का साधन भी हैं. प्लांट में लगभग 20 परिवारों को रोजगार मिला हुआ है. प्रत्येक व्यक्ति को इसके उत्पादन के माध्यम से पांच से सात हजार रुपये प्रति महीना आय भी हो जाती है. यह प्लांट खासकर गरीब महिलाएं चला रही हैं. काम करने के लिए उनको यहां पर आना भी नहीं पड़ता है. यहां से कच्चा माल ले जाकर के अपने घरों में उत्पाद का निर्माण कर लेती हैं.

आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.
आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.

पेंट में कोई हानिकारक केमिकल नहीं : इस पेंट में कोई हानिकारक केमिकल नहीं डाला जाता है. इसका एक लाट बनाने में लगभग तीन से चार घंटे का समय लगता है. उन्होंने बताया कि इसके निर्माण में केमिकल तो मिलाया जाता है लेकिन कोई ऐसा हानिकारक केमिकल नहीं मिलाया जाता जिससे मानव जीवन पर कोई दुष्प्रभाव पड़े. बिक्री के लिए यह मार्केट और अमेजॉन फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफार्म पर उपलब्ध है. इसकी कीमत ₹290 रुपये प्रति लीटर है. जबकि इसकी तुलना वाले पेंट बाजार में एक हजार रुपये प्रति लीटर में बिक रहे हैं. इस रेंज में मार्केट में कोई पेंट नहीं है. जिसकी लाइफ पांच साल के लिए गैरेंटेड हो. जबकि हमारा पेंट धूप बारिश को झेलते हुए 5 साल चलेगा. ग्रामीण इलाके में होने के चलते लाइट और ट्रांसपोर्ट की सुविधा उचित ढंग से नहीं मिल पा रही है. इसलिए ट्रांसपोर्ट के लिए दूर जाना पड़ता है. जिसके चलते लोगों तक पेंट पहुंचाने में लागत बढ़ जाती है.


यह भी पढ़ें : खादी प्राकृतिक पेंट के 'ब्रांड एम्बेस्डर' बने नितिन गडकरी

गाय के गोबर से बना 'खादी प्राकृतिक पेंट', किसान कमाएंगे 'गोबर से धन'

अमेठी : घर पेंट करने की बात आती है तो बहुत से लोग "सुरक्षित" पेंट के बारे में चिंतित होते हैं. परिणामस्वरूप, ऑर्गेनिक पेंट ने बाजार में अपनी जगह बना ली है. ऑर्गेनिक पेंट प्राकृतिक अवयवों से बना होता है. ऐसे ही अमेठी में गाय के गोबर से निर्मित पेंट वा अन्य उत्पाद देश के विभिन्न कोनों में धूम मचा रहे हैं. गौ सेवा से शुरू हुआ यह सफर अब कई परिवारों के जीविका के साधन बन गया है. गाय के गोबर से निर्मित पेंट फ्लिपकार्ट और अमेजान पर बिक्री के साथ अन्य दुकानों पर भी बिक रहा है.

आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.
आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.

गोबर से बन रहा डिस्टेंपर व पुट्टी : यूपी के अमेठी जिले भादर विकासखंड क्षेत्र के भावापुर निवासी धर्म जीत यादव श्री कृष्णा वर्क के नाम से एक प्रतिष्ठान का संचालन कर रहे हैं. यहां गाय के गोबर से निर्मित पेंट की चर्चा खूब हो रही है. इस पेंट के निर्माण में नुकसानदायक केमिकल को दूर रखा गया है. इस पेंट के उपयोग पर आठ प्रकार के लाभ बताए गए हैं. पेंट के साथ डिस्टेंपर व पुट्टी भी बनाई जा रही है. यह पेंट बहुत महंगा भी नहीं है. बाजार व ऑनलाइन मार्केट में 290 प्रति लीटर यह पेंट उपलब्ध है. फिलहाल ग्रामीण इलाके में निर्माण होने से काफी कठिनाई होती है. बावजूद इसके बावजूद धर्मजीत तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए गौ सेवा के साथ गाय के गोबर से ही लगभग 17 प्रकार के आइटम बना रहे हैं. इस काम की शुरूआत लगभग दो साल पहले 10 लाख रुपये की पूंजी से की थी.

आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.
आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.

उत्पादों में सनातन धर्म की झलक : पेंट के साथ 17 गौ उत्पाद हैं. जिसमें सनातन धर्म के कुछ चिन्ह स्वास्तिक, शुभ-लाभ, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां गाय के गोबर से ईंटें, चप्पल, गाय के गोबर से होली के लिए गुलाल रक्षाबंधन के लिए राखी दीपावली, दीपक सहित कुल 17 उत्पाद हैं जो गोवंशों को संरक्षण देने में भी सहायक साबित हो रहे हैं. इसके अलावा हमारे आर्थिक आय का साधन भी हैं. प्लांट में लगभग 20 परिवारों को रोजगार मिला हुआ है. प्रत्येक व्यक्ति को इसके उत्पादन के माध्यम से पांच से सात हजार रुपये प्रति महीना आय भी हो जाती है. यह प्लांट खासकर गरीब महिलाएं चला रही हैं. काम करने के लिए उनको यहां पर आना भी नहीं पड़ता है. यहां से कच्चा माल ले जाकर के अपने घरों में उत्पाद का निर्माण कर लेती हैं.

आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.
आर्गेनिक और प्राकृतिक पेंट.

पेंट में कोई हानिकारक केमिकल नहीं : इस पेंट में कोई हानिकारक केमिकल नहीं डाला जाता है. इसका एक लाट बनाने में लगभग तीन से चार घंटे का समय लगता है. उन्होंने बताया कि इसके निर्माण में केमिकल तो मिलाया जाता है लेकिन कोई ऐसा हानिकारक केमिकल नहीं मिलाया जाता जिससे मानव जीवन पर कोई दुष्प्रभाव पड़े. बिक्री के लिए यह मार्केट और अमेजॉन फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफार्म पर उपलब्ध है. इसकी कीमत ₹290 रुपये प्रति लीटर है. जबकि इसकी तुलना वाले पेंट बाजार में एक हजार रुपये प्रति लीटर में बिक रहे हैं. इस रेंज में मार्केट में कोई पेंट नहीं है. जिसकी लाइफ पांच साल के लिए गैरेंटेड हो. जबकि हमारा पेंट धूप बारिश को झेलते हुए 5 साल चलेगा. ग्रामीण इलाके में होने के चलते लाइट और ट्रांसपोर्ट की सुविधा उचित ढंग से नहीं मिल पा रही है. इसलिए ट्रांसपोर्ट के लिए दूर जाना पड़ता है. जिसके चलते लोगों तक पेंट पहुंचाने में लागत बढ़ जाती है.


यह भी पढ़ें : खादी प्राकृतिक पेंट के 'ब्रांड एम्बेस्डर' बने नितिन गडकरी

गाय के गोबर से बना 'खादी प्राकृतिक पेंट', किसान कमाएंगे 'गोबर से धन'

Last Updated : Dec 9, 2023, 1:53 PM IST
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