अमेठी: एक तरफ जहां देश में मंदी के कारण कल-कारखाने बंद हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मृत्यु के बाद से जनपद अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में पिछले बीस वर्षों से बंद पड़े कंबल कारखाने में कंबल बुनाई का कार्य दोबारा से शुरू हो गया है. ऊन के अभाव के कारण यह कारखाना बंद हो गया था.
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15 वर्षो तक राहुल गांधी थे सांसद
सन 2004 से 2019 तक राहुल गांधी अमेठी के सांसद थे, मगर अपने पिता राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उन्होंने अमेठी में बंद पड़े कारखानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे अमेठी की जनता को रोजगार मिल सके.
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सन 1985 में कंबल कारखाना शुरू हुआ था. यहां ऊन की खरीदारी कमीशन पर हुई थी, जिसके कारण कम्बल का रेट बढ़ गया और कम्बल की सप्लाई होना बंद हो गई. कम्बल की सप्लाई बंद होने और ऊन के अभाव में कारखाना बंद हो गया. आज पुनः जब कंबल कारखाना खुला तो इसमें केवल बुनाई, तागा खुलना और बारबिन में तागा भरना, यही तीन काम यहां हो रहे हैं.
- रमाशंकर सिंह, बुनकर
जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी राकेश कुमार पांडे ने बताया कि 20 वर्षों से अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में कंबल कारखाना बंद पड़ा था, जिसमें अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के प्रयास से कंबल बुनाई का कार्य शुरू हो गया है.
कंबल की बुनाई का कार्य जनपद अमेठी के स्थानीय बुनकरों के माध्यम से हो रहा है. वर्तमान समय में कंबल कारखाना गुंगवाछ टीकरमाफी में केवल बुनाई का कार्य होगा. कम्बल की रेजिंग, वाशिंग का कार्य कम्बल कारखाना मिर्जापुर और गोपीगंज में कराया जाएगा.
-राकेश कुमार पांडेय, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी
आने वाले समय में जब कारखाना पूरी तरह काम करने लगेगा तो उम्मीद है कि जिले में रोजगार के मौके बढ़ेंगे और पलायन भी रुकेगा.