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अमेठी को योगी की सौगात, 20 साल बाद शुरू हुआ कंबल कारखाना

बेरोजगारी की मार झेल रहे अमेठी में रोजगार की रौनक लौट आई है. एक तरफ जहां देश में मंदी के कारण कल कारखाने बन्द हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में 20 साल से बंद पड़े कंबल कारखाने में हैंडलूम फिर से चलने लगे हैं. इसी के साथ अमेठी और आसपास के लोगों में उम्मीदों की रोशनी भी जगी है.

अमेठी में शुरू हुआ कम्बल कारखाना.
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Published : Sep 21, 2019, 12:08 PM IST

अमेठी: एक तरफ जहां देश में मंदी के कारण कल-कारखाने बंद हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मृत्यु के बाद से जनपद अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में पिछले बीस वर्षों से बंद पड़े कंबल कारखाने में कंबल बुनाई का कार्य दोबारा से शुरू हो गया है. ऊन के अभाव के कारण यह कारखाना बंद हो गया था.

शुरू हुआ कम्बल कारखाना.
कंबल कारखाने का इतिहास
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के समय में अमेठी की जनता को रोजगार उपलब्ध कराने और लाभ दिलाने की दृष्टि से बहुत सारे कारखाने स्थापित हुए थे, लेकिन राजीव गांधी की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे कई कारखाने बंद हो गए, जिससे जिले के हजारों लोग बेरोजगार हो गए. इसी में से अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में सन 1985 में स्थापित किया गया कंबल कारखाना भी शामिल है, जिसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से हजारों की संख्या में अमेठी की जनता लाभान्वित होती थी.

ये भी पढ़ें: अखिलेश के शिवपाल के प्रति नरम रुख का कांग्रेस ने किया स्वागत

15 वर्षो तक राहुल गांधी थे सांसद
सन 2004 से 2019 तक राहुल गांधी अमेठी के सांसद थे, मगर अपने पिता राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उन्होंने अमेठी में बंद पड़े कारखानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे अमेठी की जनता को रोजगार मिल सके.

ये भी पढ़ें: पूर्व विधायक विजमा यादव की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने तय किए आरोप

सन 1985 में कंबल कारखाना शुरू हुआ था. यहां ऊन की खरीदारी कमीशन पर हुई थी, जिसके कारण कम्बल का रेट बढ़ गया और कम्बल की सप्लाई होना बंद हो गई. कम्बल की सप्लाई बंद होने और ऊन के अभाव में कारखाना बंद हो गया. आज पुनः जब कंबल कारखाना खुला तो इसमें केवल बुनाई, तागा खुलना और बारबिन में तागा भरना, यही तीन काम यहां हो रहे हैं.
- रमाशंकर सिंह, बुनकर

जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी राकेश कुमार पांडे ने बताया कि 20 वर्षों से अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में कंबल कारखाना बंद पड़ा था, जिसमें अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के प्रयास से कंबल बुनाई का कार्य शुरू हो गया है.

कंबल की बुनाई का कार्य जनपद अमेठी के स्थानीय बुनकरों के माध्यम से हो रहा है. वर्तमान समय में कंबल कारखाना गुंगवाछ टीकरमाफी में केवल बुनाई का कार्य होगा. कम्बल की रेजिंग, वाशिंग का कार्य कम्बल कारखाना मिर्जापुर और गोपीगंज में कराया जाएगा.
-राकेश कुमार पांडेय, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी

आने वाले समय में जब कारखाना पूरी तरह काम करने लगेगा तो उम्मीद है कि जिले में रोजगार के मौके बढ़ेंगे और पलायन भी रुकेगा.

अमेठी: एक तरफ जहां देश में मंदी के कारण कल-कारखाने बंद हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मृत्यु के बाद से जनपद अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में पिछले बीस वर्षों से बंद पड़े कंबल कारखाने में कंबल बुनाई का कार्य दोबारा से शुरू हो गया है. ऊन के अभाव के कारण यह कारखाना बंद हो गया था.

शुरू हुआ कम्बल कारखाना.
कंबल कारखाने का इतिहासपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के समय में अमेठी की जनता को रोजगार उपलब्ध कराने और लाभ दिलाने की दृष्टि से बहुत सारे कारखाने स्थापित हुए थे, लेकिन राजीव गांधी की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे कई कारखाने बंद हो गए, जिससे जिले के हजारों लोग बेरोजगार हो गए. इसी में से अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में सन 1985 में स्थापित किया गया कंबल कारखाना भी शामिल है, जिसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से हजारों की संख्या में अमेठी की जनता लाभान्वित होती थी.

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15 वर्षो तक राहुल गांधी थे सांसद
सन 2004 से 2019 तक राहुल गांधी अमेठी के सांसद थे, मगर अपने पिता राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उन्होंने अमेठी में बंद पड़े कारखानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे अमेठी की जनता को रोजगार मिल सके.

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सन 1985 में कंबल कारखाना शुरू हुआ था. यहां ऊन की खरीदारी कमीशन पर हुई थी, जिसके कारण कम्बल का रेट बढ़ गया और कम्बल की सप्लाई होना बंद हो गई. कम्बल की सप्लाई बंद होने और ऊन के अभाव में कारखाना बंद हो गया. आज पुनः जब कंबल कारखाना खुला तो इसमें केवल बुनाई, तागा खुलना और बारबिन में तागा भरना, यही तीन काम यहां हो रहे हैं.
- रमाशंकर सिंह, बुनकर

जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी राकेश कुमार पांडे ने बताया कि 20 वर्षों से अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में कंबल कारखाना बंद पड़ा था, जिसमें अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के प्रयास से कंबल बुनाई का कार्य शुरू हो गया है.

कंबल की बुनाई का कार्य जनपद अमेठी के स्थानीय बुनकरों के माध्यम से हो रहा है. वर्तमान समय में कंबल कारखाना गुंगवाछ टीकरमाफी में केवल बुनाई का कार्य होगा. कम्बल की रेजिंग, वाशिंग का कार्य कम्बल कारखाना मिर्जापुर और गोपीगंज में कराया जाएगा.
-राकेश कुमार पांडेय, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी

आने वाले समय में जब कारखाना पूरी तरह काम करने लगेगा तो उम्मीद है कि जिले में रोजगार के मौके बढ़ेंगे और पलायन भी रुकेगा.

Intro:

अमेठी। एक तरफ जहा देश में मंदी के कारण कल कारखाने बन्द हो रहे है वही दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मृत्यु के बाद से जनपद अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में पिछले बीस वर्षों से बंद पडे कम्बल कारखाने में कम्बल बुनाई का कार्य शुरू हो गया है। आपको बता दें कि कम्बल का रेट बढ़ जाने के कारण कम्बल का सप्लाई बंद हो गया और ऊन के आभाव के कारण कम्बल कारखाना बन्द हो गया था। मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास ने पुनः बीस वर्षों से बन्द पड़े कम्बल के कारखाने को खुलवाया। जिसमे कम्बल की बनाई के लिए तीन लूम की शुरुआत की गई और 12 से 14 लोगो ने काम शुरू कर दिया है।




Body:कम्बल कारखाने का इतिहास-

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के समय में अमेठी की जनता को रोजगार उपलब्ध कराने तथा लाभ दिलाने की दृष्टि से बहुत सारे कारखाने स्थापित हुए थे। किन्तु राजीव गांधी की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे कई सारे कारखाने बंद हो गए। जिसमें अमेठी जिले की हजारों लोग बेरोजगार हो गए थे। इसी में से अमेठी के गुंगवाछ टीकरमाफी में सन 1985 में कंबल कारखाना स्थापित किया गया था। जिसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से हजारों की संख्या में अमेठी की जनता लाभान्वित होती थी।

15 वर्षो तक राहुल गांधी थे सांसद-

सन 2004 से 2019 तक राहुल गांधी अमेठी के सांसद थे। मगर उनके पिता राजीव गांधी के मृत्यु के बाद अमेठी में बंद पड़े कारखानों के लिए राहुल गांधी ने कोई ठोस कदम नही उठाया, जिससे अमेठी की जनता को रोजगार मिल सके।







Conclusion:वी/ओ 1- सन 1985 में कम्बल कारखाना शुरू हुआ था। यहा ऊन की खरीदारी कमीशन पर हुआ था। जिसके कारण कम्बल का रेट बढ़ गया और कम्बल की सप्लाई होना बंद हो गया। कम्बल की सप्लाई बंद होने और उन के अभाव में कारखाना बंद हो गया था। आज पुनः जब कंबल कारखाना खुला तो इसमें केवल बुनाई, तागा खुलना और बारबिन में तागा भरना यह तीन काम यहा हो रहे हैं।

बाइट- रमाशंकर सिंह (बुनकर)



वी/ओ 2- जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी राकेश कुमार पांडे ने बताया कि 20 वर्षों से जनपद अमेठी में कंबल कारखाना गुंगवाछ टीकरमाफी बंद पड़ा था जो अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रमुख सचिव के प्रयास से कंबल बुनाई का कार्य कारखाने में शुरू हो गया है। कंबल की बुनाई का कार्य जनपद अमेठी के स्थानीय बुनकरों के माध्यम से हो रहा है। वर्तमान समय में कंबल कारखाना गुंगवाछ टीकरमाफी में केवल बुनाई का कार्य होगा। कम्बल की रेजिंग, वाशिंग का कार्य कम्बल कारखाना मिर्ज़ापुर एवं गोपीगंज में कराया जाएगा।


बाइट- राकेश कुमार पांडेय (जिला खादी ग्रामोद्योग,अमेठी)
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