अम्बेडकरनगर: जिले की सहकारी कृषि ऋण समिति सद्दरपुर और हसवर में धान खरीद व्यवस्था सवालों के घेरे में है. निजी समितियों द्वारा विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में मनमाने तरीके से धान खरीद कर शासन की मंशा को तार-तार किया जा रहा है. सचिवों और कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की मिली भगत से खरीद में बरती गई धांधली उजागर होने के बाद अब महकमे में हड़कम्प मचा है. पूरे मामले की जांच के लिए जिला खाद्य विपणन अधिकारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया है.
एक महीने में हुई बड़े पैमाने पर खरीद
जिले में कुल 95 क्रय केंद्रों द्वारा धान खरीद की व्यस्था शुरू हुई थी. वैसे तो धान खरीद की शुरुआत एक नवम्बर से होती है, लेकिन जिले में खरीद 15 नवम्बर के बाद ही शुरू होती है. बताया जा रहा है कि धान खरीद शुरू होने के एक महीने के अंदर ही इतने बड़े पैमाने पर खरीद हो गई कि 23 दिसम्बर को तमाम क्रय एजेंसियों के खरीद की वेबसाइट पर आलाधिकारियों ने रोक लगा दी.
कुछ समितियों की वेबसाइट खोली गई
यह रोक 20 जनवरी तक जारी रही. इस दौरान जब किसान इन केंद्रों का चक्कर लगा रहे थे तो यही बताया जा रहा था कि खरीद बन्द हो गई है. 20 जनवरी के बाद अचानक कुछ समितियों की बेबसाइट खोल दी गई. इसी दौरान सहकारी कृषि ऋण समिति सद्दरपुर और हसवर की साइट पर एक ही दिन में 12 हजार क्विंटल धान की खरीद दिखा दी गई.
समितियों पर मेहरबान हुए अधिकारी
तकरीबन एक महीने तक खरीद बन्द रहने के बाद अचानक एक दिन में इतना धान कहां से आया, अधिकारी इसका सीधा जवाब देने के बजाय मामले को रफा दफा करने में जुट गए हैं. सूत्रों की मानें तो इन समितियों पर खाद्य विपणन विभाग के कुछ अधिकारी मेहरबान हैं. जिसके कारण ही गिने चुने केंद्रों की साइट खोली गई, जबकि कई केंद्रों के सचिव, साइट खोलने के लिए विभाग का चक्कर लगा रहे हैं.
जांच के लिए गठित हुई तीन सदस्यीय टीम
खरीद में धांधली उजागर होने पर अब विभाग में हड़कम्प मच गया. इसके बाद जिला खाद्य विपणन अधिकारी अजित सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है. इसमें एमओ अकबरपुर ज्ञान प्रकाश वर्मा और एमओ टांडा अवधेश शामिल हैं, लेकिन जिन पर उंगली उठ रही है उन्हीं पर जांच की जिम्मेदारी सौंपना जांच की मंशा पर सवाल उठा रहा है. जिला खाद्य विपणन अधिकारी अजित सिंह का कहना है कि मेरे नेतृत्व में टीम का गठन हुआ है. जांच रिपोर्ट के बाद ही यह उक्त केंद्रों द्वारा धान के भुगतान और इनके द्वारा उत्पादित चावल पर निर्णय होगा.