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अम्बेडकर नगर: संविदा कर्मियों को नहीं मिली सेफ्टी किट - बिजली विभाग संविदा कर्मियों

उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर में बिजली विभाग संविदा कर्मियों को सेफ्टी किट नहीं दिला पा रहा है. संविदा कर्मियों को रोजी रोटी की लालच में मजबूरन काम करना पड़ रहा है. विभाग के आलाधिकारी सेफ्टी किट उपलब्ध कराने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में फेल हैं.

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संविदा कर्मियों के पास नहीं है सेफ्टी किट.
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Published : Jan 11, 2020, 6:06 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अम्बेडकरनगर: शहर की गलियों और गांव की झोपड़ियों तक बिजली पहुंचा कर लोगों की जिंदगी में उजाला करने वाला विद्युत महकमा अपने संविदा कर्मियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं. ठेकेदारी में पिस रहे ये संविदा कर्मी बिना सेफ्टी किट के ही विद्युत पोलों पर चढ़कर कार्य कर रहे हैं. विभागीय कर्मचारियों और ठेकेदारों की गठजोड़ से फाइलों में सेफ्टी किट बांट दी गई है, लेकिन हकीकत में ये दावे फेल हैं.

संविदा कर्मियों के पास नहीं है सेफ्टी किट.
जोखिम में संविदा कर्मियों की जान पूरे जिले में विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी संविदा कर्मियों के ऊपर ही है. जिले के चार डिविजनों में तकरीबन 500 संविदा कर्मी तैनात हैं. इन पर 23 लाख से अधिक की आबादी तक बिजली पहुंचाने का जिम्मा है. कर्मी अपनी जिंदगी जोखिम में डाल कर इसे बखूबी अंजाम भी दे रहे हैं. इसमें कइयों को अपनी जिंदगी भी गंवानी पड़ी है.

सेफ्टी में होनी चाहिए ये किट
संविदाकर्मियों की सुरक्षा के लिए भारी भरकम व्यवस्था है. लेकिन ये सब महज कागजों में ही है. नियमों के मुताबिक इन संविदा कर्मियों को सेफ्टी किट दिया जाना अनिवार्य है. सेफ्टी किट में ग्लब्ज ,जूता, सेफ्टी बेल्ट, चेन, हेलमेट, प्लास, शाक, अब्जरबिंग करने वाला यूनिफार्म आदि का होना आवश्यक है. ये सेफ्टी किट कार्यदायी संस्था को संविदाकर्मियों को उपलब्ध करानी है और इसके लिए तकरीबन 2 हजार रुपये प्रति किट ठेकेदार को मिलता है. यह केवल फाइलों में ही होता और मजबूरन कर्मी हाईवोल्टेज लाइन पर वगैर किट के ही कार्य करते हैं.

इसे भी पढ़ें-अम्बेडकरनगर: भाजपा प्रदेश महामंत्री बोले, CAA को लेकर विपक्षी फैला रहे भ्रम

चार पांच साल से कार्य कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सेफ्टी किट नहीं मिली है. इसकी वजह से जान जोखिम में डाल कर कार्य करना पड़ता है. रोजी-रोटी का सवाल है काम के लिए दबाव भी रहता है. अब तक कई घटनाएं हो चुकी हैं. कुछ घायल हुए तो कुछ की मौत हो गयी है.
-सन्तोष, संविदा कर्मी

अम्बेडकरनगर: शहर की गलियों और गांव की झोपड़ियों तक बिजली पहुंचा कर लोगों की जिंदगी में उजाला करने वाला विद्युत महकमा अपने संविदा कर्मियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं. ठेकेदारी में पिस रहे ये संविदा कर्मी बिना सेफ्टी किट के ही विद्युत पोलों पर चढ़कर कार्य कर रहे हैं. विभागीय कर्मचारियों और ठेकेदारों की गठजोड़ से फाइलों में सेफ्टी किट बांट दी गई है, लेकिन हकीकत में ये दावे फेल हैं.

संविदा कर्मियों के पास नहीं है सेफ्टी किट.
जोखिम में संविदा कर्मियों की जान पूरे जिले में विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी संविदा कर्मियों के ऊपर ही है. जिले के चार डिविजनों में तकरीबन 500 संविदा कर्मी तैनात हैं. इन पर 23 लाख से अधिक की आबादी तक बिजली पहुंचाने का जिम्मा है. कर्मी अपनी जिंदगी जोखिम में डाल कर इसे बखूबी अंजाम भी दे रहे हैं. इसमें कइयों को अपनी जिंदगी भी गंवानी पड़ी है.

सेफ्टी में होनी चाहिए ये किट
संविदाकर्मियों की सुरक्षा के लिए भारी भरकम व्यवस्था है. लेकिन ये सब महज कागजों में ही है. नियमों के मुताबिक इन संविदा कर्मियों को सेफ्टी किट दिया जाना अनिवार्य है. सेफ्टी किट में ग्लब्ज ,जूता, सेफ्टी बेल्ट, चेन, हेलमेट, प्लास, शाक, अब्जरबिंग करने वाला यूनिफार्म आदि का होना आवश्यक है. ये सेफ्टी किट कार्यदायी संस्था को संविदाकर्मियों को उपलब्ध करानी है और इसके लिए तकरीबन 2 हजार रुपये प्रति किट ठेकेदार को मिलता है. यह केवल फाइलों में ही होता और मजबूरन कर्मी हाईवोल्टेज लाइन पर वगैर किट के ही कार्य करते हैं.

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चार पांच साल से कार्य कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सेफ्टी किट नहीं मिली है. इसकी वजह से जान जोखिम में डाल कर कार्य करना पड़ता है. रोजी-रोटी का सवाल है काम के लिए दबाव भी रहता है. अब तक कई घटनाएं हो चुकी हैं. कुछ घायल हुए तो कुछ की मौत हो गयी है.
-सन्तोष, संविदा कर्मी

Intro:स्पेशल स्टोरी
कृपया वायस ओवर कर दें।

एंकर_शहर की गलियों और गांव की झोपड़ियों तक बिजली पहुँचा कर लोगों की जिंदगी में उजाला करने वाला विधुत महकमा अपने संविदा कर्मियों के भविष्य से खिलवाड़ कर उन्हें अंधेरे में धकेल रहा है ,ठेकेदारी के घनचक्कर में पिस रहे ये संविदा कर्मी वगैर सेफ्टी किट के ही विधुत पोलों पर चढ़कर कार्य कर रहे हैं ,विभागीय कर्मचारियों और ठेकेदारों की गठजोड़ से फाइलों में तो सेफ्टी किट दिया गया है लेकिन हकीकत में ये कर्मी वर्षों से किट मिलने की आस लगाए हैं और रोजी रोटी की लालच में मजबूरन कार्य करना पड़ रहा है ,विभाग के आलाधिकारी सेफ्टी किट उपलब्ध कराने का दावा तो कर रहे हैं लेकिन यह दावा हकीकत में बदल नही पा रहा है।


Body:पूरे जिले में विधुत व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी संविदा कर्मियों के ऊपर ही है ,जिले के चार डिवीजनों में तकरीबन 500 संविदा कर्मी तैनात हैं जिनके ऊपर जिले की 23 लाख से अधिक की आबादी के पास निर्वाध रूप से बिजली पहुचाने का जिम्मा है और कर्मी अपनी जिंदगी जोखिम में डाल कर इसे बखूबी अंजाम भी दे रहे हैं लेकिन इसमें कइयों को अपनी जिंदगी भी गवानी पड़ी है,वैसे तो इन कर्मियों की सुरक्षा के लिए भारी भरकम व्यस्था भी है लेकिन ये सब महज कागजो की शोभा बढ़ा रहे हैं ,नियमों के मुताबिक इन संविदा कर्मियों को सेफ्टी किट दिया जाना अनिवार्य है जिसमे ग्लब्ज ,जूता, सेफ्टी बेल्ट, चेन,हेलमेट ,पिलास ,शाक अब्जरबिंग करने वाला यूनिफार्म आदि का होना आवश्यक है ,ये सेफ्टी किट संविदा कर्मियों से कार्य लेने वाली कार्यदायी संस्था उपलब्ध कराती है और इसके लिए तकरीबन 2 हजार रुपये प्रति किट ठेकेदार को मिलता है लेकिन यह केवल फाइलों में ही होता और मजबूरन कर्मी हाईवोल्टेज लाइन पर भी वगैर किट के ही कार्य करते हैं ।


Conclusion:कार्यदाई संस्था इन कर्मियों से कार्य तो ले रही है लेकिन उनकी सुरक्षा के प्रति लापरवाह है यही नही कर्मियों को मुंह बंद रखने की हिदायत भी दी जाती है ,संविदा कर्मी सन्तोष का कहना है कि चार पांच साल से कार्य कर रहे हैं लेकिन अभी तक सेफ्टी किट नही मिला जिसकी वजह से जान जोखिम में डाल कर कार्य करना पड़ता है ,रोजी रोटी का सवाल है ,कार्य के लिए दबाव भी रहता है ,अबतक कई घटनाएं हो चुकी है कुछ घायल हुए कुछ की मौत हो गयी है।वही विभाग के अधीक्षण अभियंता ए के दोहरे का कहना है पुरानी कम्पनी ने किट दिया था अब नई कम्पनी का ठेका हुआ है सभी कर्मचारियों को सेफ्टी किट दिया जाएगा।

अनुराग चौधरी
अम्बेडकरनगर
9451734102

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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