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कारगिल विजय दिवस: जब दुश्मनों और बर्फ की पहाड़ियों के बीच फंस गए थे जवान... - 18 ग्रेनेडियर बटालियन

कारगिल विजय दिवस की बीसवीं सालगिरह पर कारगिल युद्ध में तैनात पूर्व सैनिक इन्द्रजीत यादव ने अपने उस खौफनाक अनुभव को ईटीवी भारत के साथ साझा किया.

कारगिल युद्ध के अनुभव को ईटीवी से सांझा करते हुएपूर्व सैनिक इन्द्रजीत यादव.
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Published : Jul 25, 2019, 11:37 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अम्बेडकर नगर: जिले के भीटी तहसील क्षेत्र घरवासपुर निवासी इन्द्रजीत यादव 18 ग्रेनेडियर बटालियन के सैनिक थे. इन्द्रजीत बताते हैं कि उनकी सैनिक टुकड़ी को बटालिक ग्रास सेंटर में तोलोलिंग पहाड़ी के प्वाइंट 5140 पर कब्जा करना था, जिसकी ऊंचाई 12 हजार फीट से अधिक है.

नीचे बर्फ और ऊपर दुश्मन-
इन्द्रजीत के मुताबिक उनकी सैन्य टुकड़ी ने इस पहाड़ी पर कब्जा करने के लिए कई बार आक्रमण किया, लेकिन अधिक ऊंचाई, नीचे बर्फ और ऊपर बंकरो में बैठे दुश्मनों द्वारा की जा रही गोलीबारी से सफलता नहीं मिल पाती थी.

हमला कर किया बंकरों को ध्वस्त-
इंद्रजीत बताते हैं कि रात में चढ़ाई करते थे, लेकिन अधिक बर्फ होने के कारण फिसलकर फिर नीचे आ जाते. जब हमें बोफोर्स तोप का साथ मिला तो उससे हम लोगों ने पहाड़ी पर हमला किया और ऊपर बने बंकरों को ध्वस्त कर उस पर कब्जा किया.

कारगिल युद्ध के अनुभव को ईटीवी भारत से सांझा करते पूर्व सैनिक इन्द्रजीत यादव.

26 जवानों ने दी प्राणों की आहुति-

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस जंग में हमारे 26 जवान शहीद हो गए. जबकि 46 जवान घायल हो गए. घायलों में इन्द्रजीत यादव भी शामिल थे. जो अब रिटायर होने के बाद इंडोगल्फ फर्टिलाइजर कम्पनी जगदीशपुर अमेठी में ट्रांसपोर्ट इंचार्ज के पद पर नौकरी कर रहे हैं.

सैनिक ने बयां किया दर्द-

  • इन्द्रजीत ने कहा कि जब वह कारगिल विजय के बाद घर आए तो पूरा प्रशासनिक अमला उनसे मिलने आया और जीत की बधाई दी.
  • इस दौरान उनके गांव तक तकरीबन एक किमी. चकरोड को पक्की सड़क बनाने का तत्कालीन डीएम ने आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक वह सड़क नहीं बनी. आज भी कीचड़ों से ही होकर गुजरना पड़ता है.
  • हल्की सी बरसात होने पर गाड़ी लेकर जाना मुश्किल है, इन सबके बावजूद इन्द्रजीत में हौसलों की कोई कमी नहीं है और वे अब अपने बेटों को भी फौज में भेजना चाहते हैं.

जब बात देश की अपने फर्ज की हो तो हमें परिवार याद नहीं आता. सिर्फ देश और दुश्मन निगाहों में होता है.
इन्द्रजीत यादव, पूर्व सैनिक, 18 ग्रेनेडियर बटालियन

अम्बेडकर नगर: जिले के भीटी तहसील क्षेत्र घरवासपुर निवासी इन्द्रजीत यादव 18 ग्रेनेडियर बटालियन के सैनिक थे. इन्द्रजीत बताते हैं कि उनकी सैनिक टुकड़ी को बटालिक ग्रास सेंटर में तोलोलिंग पहाड़ी के प्वाइंट 5140 पर कब्जा करना था, जिसकी ऊंचाई 12 हजार फीट से अधिक है.

नीचे बर्फ और ऊपर दुश्मन-
इन्द्रजीत के मुताबिक उनकी सैन्य टुकड़ी ने इस पहाड़ी पर कब्जा करने के लिए कई बार आक्रमण किया, लेकिन अधिक ऊंचाई, नीचे बर्फ और ऊपर बंकरो में बैठे दुश्मनों द्वारा की जा रही गोलीबारी से सफलता नहीं मिल पाती थी.

हमला कर किया बंकरों को ध्वस्त-
इंद्रजीत बताते हैं कि रात में चढ़ाई करते थे, लेकिन अधिक बर्फ होने के कारण फिसलकर फिर नीचे आ जाते. जब हमें बोफोर्स तोप का साथ मिला तो उससे हम लोगों ने पहाड़ी पर हमला किया और ऊपर बने बंकरों को ध्वस्त कर उस पर कब्जा किया.

कारगिल युद्ध के अनुभव को ईटीवी भारत से सांझा करते पूर्व सैनिक इन्द्रजीत यादव.

26 जवानों ने दी प्राणों की आहुति-

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस जंग में हमारे 26 जवान शहीद हो गए. जबकि 46 जवान घायल हो गए. घायलों में इन्द्रजीत यादव भी शामिल थे. जो अब रिटायर होने के बाद इंडोगल्फ फर्टिलाइजर कम्पनी जगदीशपुर अमेठी में ट्रांसपोर्ट इंचार्ज के पद पर नौकरी कर रहे हैं.

सैनिक ने बयां किया दर्द-

  • इन्द्रजीत ने कहा कि जब वह कारगिल विजय के बाद घर आए तो पूरा प्रशासनिक अमला उनसे मिलने आया और जीत की बधाई दी.
  • इस दौरान उनके गांव तक तकरीबन एक किमी. चकरोड को पक्की सड़क बनाने का तत्कालीन डीएम ने आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक वह सड़क नहीं बनी. आज भी कीचड़ों से ही होकर गुजरना पड़ता है.
  • हल्की सी बरसात होने पर गाड़ी लेकर जाना मुश्किल है, इन सबके बावजूद इन्द्रजीत में हौसलों की कोई कमी नहीं है और वे अब अपने बेटों को भी फौज में भेजना चाहते हैं.

जब बात देश की अपने फर्ज की हो तो हमें परिवार याद नहीं आता. सिर्फ देश और दुश्मन निगाहों में होता है.
इन्द्रजीत यादव, पूर्व सैनिक, 18 ग्रेनेडियर बटालियन

Intro:Exclusive story एंकर- कारगिल युद्ध का भयानक मंजर जिसके एहसास मात्र से रूह कांप जाय, बर्फ से ढकी पहाड़ी जहां न तो खाने की ब्यवस्था और न ही पीने के पानी की जिंदगी का एक मात्र सहारा बर्फ ,जिसे गला कर भारतीय जवान पानी पीते ,हाथ मुँह धोते और शौच जाते ,सामने 12 हजार से अधिक ऊंचाई की तोलोलिंग पहाड़ी जिस पर बैठा दुश्मन गोलियों की बौछार कर रहा था और इसी चोटी को भारतीय सेना को कब्जे में लेना था ,इस खौफनाक मंजर के बावजूद भी भारतीय जवानों ने अपना हौसला नही खोया और उन बर्फीली चोटियों पर तिरंगा फहरा दिया ,इस गौरमयी पल के गवाह बने अम्बेडकरनगर के निवासी सूबेदार इन्द्रजीत यादव ,जो दुश्मन की गोलियों से घायल होने के बावजूद अपने पैरों को डगमगाने न दिया ,आज कारगिल विजय दिवस की बीसवीं सालगिरह पर इन्द्रजीत यादव ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बात की और उस खौफनाक मंजर के दांस्ता को बयां किया देखिये ये रिपोर्ट----


Body:अम्बेडकरनगर नगर जिले के भीटी तहसील छेत्र घरवास पुर निवासी इन्द्रजीत यादव 18 ग्रेनेडियर बटालियन के सैनिक थे ,इन्द्रजीत बताते हैं कि उनकी सैनिक टुकड़ी को बटालिक ग्रास सेंटर में तोलोलिंग पहाड़ी के प्वाइंट 5140 पर कब्जा करना था जिसकी उचाई 12 हजार फिट से अधिक है ,इन्द्रजीत के मुताबिक उनकी सैन्य टुकड़ी ने इस पहाड़ी पर कब्जा करने के लिए कई बार आक्रमण किया लेकिन अधिक ऊंचाई ,नीचे बर्फ और ऊपर बंकरो में बैठे दुश्मनों द्वारा किये जा रहे गोली बारी से हमे सफलता नही मिल पाती ,हम रात्रि में चढ़ाई करते लेकिन अधिक बर्फ होने के कारण फिसल कर फिर नीचे आ जाते ,जब हमे बोफोर्स तोप का साथ मिला तो उससे हम लोगों ने पहाड़ी पर हमला किया और ऊपर बने बंकरो को ध्वस्त कर उस पर कब्जा किया ,इस जंग में हमारे 26 जवान शहीद हो गए जबकि 46 घायल हो गए घायलों में इन्द्रजीत यादव भी शामिल थे जो अब रिटार्यड होने के बाद इंडो गल्फ फर्टिलाइजर कम्पनी जगदीश पुर अमेठी में ट्रांसपोर्ट इंचार्ज के पद पर नौकरी कर रहे हैं।


Conclusion:ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बात चीत में इन्द्रजीत ने कारगिल के शौर्य की दांस्ता सुनाई तो अपने साथ शासन प्रशासन उदासीन रवैये के प्रति दर्द भी बयां किया ,इन्द्रजीत ने कहा कि जब वह कारगिल विजय के बाद घर आये तो पूरा प्रशासनिक अमला उनसे मिलने आया और जीत की बधाई दी ,इस दौरान उनके गांव तक तकरीबन एक किमी चकरोड को पक्की सड़क बनाने का तत्कालीन डीएम ने आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक वो सड़क बनी आज भी कीचड़ों से गुजर कर जाना पड़ता है ,हल्की सी बरसात होने पर गाड़ी लेकर जाना मुश्किल है ,इन सबके बावजूद इन्द्रजीत में हौसलों की कोई कमी नही है और वे अब अपने बेटों को भी फौज में भेजना चाहते हैं,इन्द्रजीत का कहना है कि जब बात देश की अपने फर्ज की हो तो हमे परिवार याद नही आता सिर्फ देश और दुश्मन निगाहों में होता है, इन चंद लाइनों के साथ ईटीवी भारत देश के वीर सपूतों को नमन करता है--किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूं , मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूं , अपनी छाती से तू लगा लेना ये भारत माँ , मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ ।। अनुराग चौधरी अम्बेडकरनगर 9451734102
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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