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अंबेडकर नगर में फाइलों में ही संचालित है 'वन स्टॉप सेंटर'

सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी यूपी के अंबेडकर नगर जिले में वन स्टॉप सेंटर का संचालन शुरू नहीं हो सका है. एक तरफ जहां अधिकारी वन स्टॉप सेंटर खुलने की बात करे रहे हैं, वहीं ईटीवी भारत की पड़ताल में इसकी रिपोर्ट बिल्कुल अलग आई है.

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जिले में नहीं संचालित हो सका है वन स्टॉप सेंटर.
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Published : Mar 16, 2020, 1:52 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अंबेडकर नगर: निर्भया कांड के बाद हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मदद मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने हर जिले में वन स्टॉप सेंटर खोलने का निर्देश दिया था. शासन की बेबसाइट पर यह सेंटर संचालित भी हो गया, लेकिन जमीनी धरातल पर यह योजना अभी रसातल में ही है. सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना जिले में सिर्फ फाइलों की शोभा ही बढ़ा रही है. इस योजना के प्रति शासन की उदासीनता और जिम्मेदारों की लापरवाही का आलम यह है कि अभी तक न तो इसका भवन बना और न ही कर्मचारियों की नियुक्ति ही हुई है.

अंबेडकर नगर जिले में नहीं संचालित हो सका है वन स्टॉप सेंटर.

केंद्र सरकार ने इस मंशा से वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की थी कि इससे एक ही जगह हिंसा से पीड़ित महिलाओं को कानूनी मदद के साथ-साथ रहने की भी सुविधा मिलेगी. सरकारी फाइलों में तो जिले में वन स्टॉप सेंटर संचालित कर दिया गया है, लेकिन सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की हकीकत परखने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो सारी हकीकत सामने आ गई.

जिले में अभी तक वन स्टॉप सेंटर का संचाल नही हो सका है. दिखावा मात्र के लिए जिला अस्पताल से तकरीबन 12 किमी दूर महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज के ओपीडी भवन के दो कमरों में बैनर टांग कर वन स्टॉप सेंटर का कार्यालय खोल दिया गया. हालांकि इसमें बैठने वाले कर्मचारी हैं ही नहीं. कर्मचारी होंगे भी कैसे वन स्टॉप सेंटर के लिए जिले में कुल 11 पद सृजित हैं, लेकिन अभी तक एक भी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं हुई है. इस कमरे में डायल 181 महिला हेल्पलाइन के कर्मचारी बैठकर अपने कार्यों का संचालन कर रहे हैं.

वन स्टॉप सेंटर के तहत पीड़िताओं को रखने के लिए बगल में ही दो अन्य कमरे हैं, लेकिन उनमें हमेशा ताला ही लगा रहता है, क्योंकि आज तक किसी महिला को यहां रखा ही नहीं गया. बताया जा रहा है कि वन स्टॉप सेंटर के लिए जिला अस्पताल में जमीन का चयन कर आर डी एजेन्सी को भवन बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन अभी तक इसकी शुरुआत नही हुई है. कर्मचारियों की नियुक्ति के बारे में प्रोबेशन अधिकारी का कहना है कि इसके लिए डीएम साहब एक कमेटी बनाएंगी और वही नियुक्ति करेंगी. अधिकारियों के तरफ से दावे जो भी किये जा रहे हों, लेकिन वास्तविकता यही है कि वन स्टॉप सेंटर को लेकर सिर्फ औपचारिकता ही बरती जा रही है.

मेडिकल कॉलेज में चार कमरों में अस्थाई तौर पर वनस्टाप सेंटर संचालित हो रहा है. जिला अस्पताल में जमीन का चयन कर लिया गया और निर्माण के लिए एजेंसी को नामित किया गया है. शासन के निर्देश के अनुरूप अन्य प्रक्रियाएं की जा रही हैं.
-सुबोध सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर में अब तक नहीं खुल सका है 'वन स्टॉप सेंटर'

अंबेडकर नगर: निर्भया कांड के बाद हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मदद मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने हर जिले में वन स्टॉप सेंटर खोलने का निर्देश दिया था. शासन की बेबसाइट पर यह सेंटर संचालित भी हो गया, लेकिन जमीनी धरातल पर यह योजना अभी रसातल में ही है. सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना जिले में सिर्फ फाइलों की शोभा ही बढ़ा रही है. इस योजना के प्रति शासन की उदासीनता और जिम्मेदारों की लापरवाही का आलम यह है कि अभी तक न तो इसका भवन बना और न ही कर्मचारियों की नियुक्ति ही हुई है.

अंबेडकर नगर जिले में नहीं संचालित हो सका है वन स्टॉप सेंटर.

केंद्र सरकार ने इस मंशा से वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की थी कि इससे एक ही जगह हिंसा से पीड़ित महिलाओं को कानूनी मदद के साथ-साथ रहने की भी सुविधा मिलेगी. सरकारी फाइलों में तो जिले में वन स्टॉप सेंटर संचालित कर दिया गया है, लेकिन सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की हकीकत परखने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो सारी हकीकत सामने आ गई.

जिले में अभी तक वन स्टॉप सेंटर का संचाल नही हो सका है. दिखावा मात्र के लिए जिला अस्पताल से तकरीबन 12 किमी दूर महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज के ओपीडी भवन के दो कमरों में बैनर टांग कर वन स्टॉप सेंटर का कार्यालय खोल दिया गया. हालांकि इसमें बैठने वाले कर्मचारी हैं ही नहीं. कर्मचारी होंगे भी कैसे वन स्टॉप सेंटर के लिए जिले में कुल 11 पद सृजित हैं, लेकिन अभी तक एक भी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं हुई है. इस कमरे में डायल 181 महिला हेल्पलाइन के कर्मचारी बैठकर अपने कार्यों का संचालन कर रहे हैं.

वन स्टॉप सेंटर के तहत पीड़िताओं को रखने के लिए बगल में ही दो अन्य कमरे हैं, लेकिन उनमें हमेशा ताला ही लगा रहता है, क्योंकि आज तक किसी महिला को यहां रखा ही नहीं गया. बताया जा रहा है कि वन स्टॉप सेंटर के लिए जिला अस्पताल में जमीन का चयन कर आर डी एजेन्सी को भवन बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन अभी तक इसकी शुरुआत नही हुई है. कर्मचारियों की नियुक्ति के बारे में प्रोबेशन अधिकारी का कहना है कि इसके लिए डीएम साहब एक कमेटी बनाएंगी और वही नियुक्ति करेंगी. अधिकारियों के तरफ से दावे जो भी किये जा रहे हों, लेकिन वास्तविकता यही है कि वन स्टॉप सेंटर को लेकर सिर्फ औपचारिकता ही बरती जा रही है.

मेडिकल कॉलेज में चार कमरों में अस्थाई तौर पर वनस्टाप सेंटर संचालित हो रहा है. जिला अस्पताल में जमीन का चयन कर लिया गया और निर्माण के लिए एजेंसी को नामित किया गया है. शासन के निर्देश के अनुरूप अन्य प्रक्रियाएं की जा रही हैं.
-सुबोध सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर में अब तक नहीं खुल सका है 'वन स्टॉप सेंटर'

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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