अम्बेडकरनगरः महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज की मान्यता खतरे में है. एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) ने कॉलेज को नोटिस जारी किया है. इसमें पूछा गया है कि कॉलेज की मान्यता क्यों न रद्द की जाए? बता दें कि राष्ट्रीय मेडिकल काउंसिल ने पहले ही यहां पीजी कक्षाओं के संचालन की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. मेडिकल कॉलेज ने काउंसिल से सर्जरी, मेडिसिन, कम्युनिटी मेडिसिन और गायनी में पीजी के लिए आवेदन किया था.
दरअसल, राजकीय मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों और स्टाफ नर्सों की भारी कमी है. जानकारी के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज में कुल 104 चिकित्सकों के पद सृजित हैं. लेकिन, वर्तमान में मात्र 65 चिकित्सक ही कार्यरत हैं. स्टाफ नर्स के 278 पद सृजित हैं, जबकि वर्तमान लगभग 95 नर्स ही कार्यरत हैं. कॉलेज प्रशासन के बार-बार अवगत कराने के बावजूद शासन से यहां चिकित्सकों की तैनाती नहीं की जा रही है. अब चिकित्सकों की कमी कॉलेज की मान्यता में भी रोड़ा बन रही है.
बता दें कि राजकीय मेडिकल कॉलेज में 2011 से एमबीबीएस के कक्षाओं का संचालन हो रहा है. लेकिन अब नए सत्र में होने वाले दाखिले पर खतरा मंडरा रहा है. कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. अमीरुल हसन का कहना है कि एनएमसी ने चिकित्सकों के कमी का हवाला दिया है. शासन को पत्र भेजा गया है. नए सत्र तक चिकित्सकों की कमी दूर हो जाएगी.
गौरतलब है कि स्वास्थ व्यवस्थाओं में सुधार के लिए सरकार नए मेडिकल कॉलेज खोलने पर जोर दे रही है, लेकिन जो पुराने मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं. अब वही बंद होने के कगार पर हैं. राष्ट्रीय मेडिकल काउंसिल ने पत्र भेज कर अम्बेडकरनगर मेडिकल कॉलेज को बंद करने की चेतावनी दी है. एनएमसी ने पत्र में कहा है कि आप मानक के अनुरूप व्यवस्था करने में समर्थ नही हैं. ऐसे में क्यों न आप की मान्यता रद्द कर दी जाए. हालांकि अगर ऐसा हुआ तो मेडिकल कालेज की मान्यता रद्द होने से यहां पढ़ रहे छात्रों के साथ ही यहां पर तैनात चिकित्सको का भविष्य भी अधर में लटक जाएगा. एनएमसी के पत्र मिलने के बाद से ही पूरे कालेज में हड़कंप मचा है. एनएमसी ने विगत 27 मार्च को कॉलेज का निरीक्षण किया था.
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