अम्बेडकरनगर : एनटीपीसी विस्तारीकरण योजना के तहत आवासीय मकान का अधिग्रहण करने के पश्चात तकरीबन आधादर्जन परिवार गांव के परिषदीय विद्यालय में विस्थापितों की जिंदगी गुजार रहे हैं. जो भवन शिक्षा का मंदिर था अब वो इन परिवारों के रहने का सहारा बन गया है. विद्यालय भवन में विस्थापित परिवारों के रहने से अब शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है.
दरअसल एनटीपीसी विस्तारीकरण के तहत ग्राम सलारपुर राजौर के लगभग आधा दर्जन परिवारों के आवासीय मकान का एनटीपीसी ने बुलडोजर चला कर तकरीबन 7 माह पहले अधिग्रहण कर लिया था. मकान पर एनटीपीसी का कब्जा होने से बेघर हुए लोग खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हो गए थे. ऐसे में स्थानीय विधायक लालजी वर्मा के दखल के बाद प्रशासन ने इन बेघर हुए लोगों को गांव के परिषदीय विद्यालय में विस्थापित कर दिया था. लेकिन अब शासन द्वारा स्कूल खोले जाने के बाद नई समस्या खड़ी हो गयी है. विस्थापित परिवार स्कूल छोड़ जाने को तैयार नही है और इनके रहते विद्यालय में शिक्षण कार्य करना सम्भव भी नही है. परिसर के अंदर कमरों और मैदान में पूरी गृहस्थी बसी है. लोगों ने परिसर के अंदर बाकायदा जानवरों को भी पाल रखा है. आज जब स्कूल खुला तब अध्यापक तो पहुंचे लेकिन वहां के हालात देख कोई भी बच्चा नही आया.
विस्थापित लोगों का कहना है कि सात माह से हम लोग इस विद्यालय में हैं. एनटीपीसी ने हमारे घर पर कब्जा कर लिया है और अभी इसका मुआवजा भी नहीं दिया है. अब स्कूल वाले यहां से हटने को कह रहे हैं लेकिन हम कहीं नहीं जाएंगे. हमारे पास कोई जगह नही है, हम बच्चे और जानवर लेकर कहां जाएंगे.
वहीं विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल का कहना है कि विस्थापित परिवार यहां रह रहे हैं. ऐसे में शिक्षण कार्य करना सम्भव नही है. इस सम्बंध में जब हमारी बात एनटीपीसी के जनसम्पर्क अधिकारी राजीव से बात हुई तो उन्होंने कहा कि हमें जो देना था वो दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि एसडीएम से वार्ता के बाद ग्राम प्रधान ने इन लोगों विद्यालय में रहने की व्यवस्था की थी. एसडीएम ने कहा था कि अभी स्कूल बंद है 10-20 दिनों के लिए रख लिया जाय.