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अम्बेडकर नगरः मजदूरी के भुगतान के लिए भटक रहे मनरेगा मजदूर

कोरोना महामारी के चलते दूसरे प्रदेशों में काम कर रहे लाखों लोग अपने घर लौटने को मजबूर हो गए. बाहर से घर लौटे इन प्रवासियों के पास रोजगार न होने से तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है. वहीं बहुत सारे मनरेगा मजदूरों को काम करने के बाद भी मजदूरी नहीं मिल रही है.

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Published : Jul 20, 2020, 12:45 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

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मजदूरी के भुगतान के लिए भटक रहे श्रमिक

अम्बेडकरनगरः वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बीते दिनों पूरे देश को लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान तमाम उद्योग-धंधों की रफ्तार थम गई थी. लंबे समय के लॉकडाउन के बाद 1 जून से अनलॉक-1 लागू हो गया. अनलॉक-1 लागू होने के बाद देश भर के बंद पड़े कुछ उद्योग-धंधों की शुरूआत हुई. कोरोना के प्रकोप के चलते पहले जैसी स्थिति नहीं हो पाई. इस दौरान सामान्य जीवन में कुछ गति अवश्य मिली, लेकिन लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में लोगों का रोजगार चला गया. कोरोना काल के चलते लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर लौट आए.

मजदूरी के भुगतान के लिए भटक रहे श्रमिक

विभिन्न प्रदेशों से वापस अपने घर लौटे लोगों को रोजगार नहीं मिल सका. हालांकि प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है. प्रदेश सरकार की मुहिम पर कई प्रवासी श्रमिकों को रोजगार भी मिला है.

इसी क्रम में अम्बेडकर नगर जिले के प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा योजना के तहत रोजगार तो मिला, लेकिन श्रमिकों को उनकी मेहनत का पैसा नहीं मिला. मनरेगा में काम करने वाले श्रमिक अपनी मजदूरी लेने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे है.

ईटीवी भारत की टीम ने प्रवासी श्रमिकों की स्थिति जानने के लिए अम्बेडकर नगर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर एक गांव का दौरा किया. इस दौरान श्रमिकों के लिए बनाई गईं सारी सरकारी योजनाएं बदहाल नजर आईं.

मामला आलापुर तहसील क्षेत्र के ग्राम कटघर का है. गांव में लॉकडाउन के चलते सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर वापस घर आए हैं, जिन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है. इन मजदूरों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है.

सरकार द्वारा मनरेगा में रोजगार देने की घोषणा के बाद इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिलने की आस जगी, लेकिन ये ख्वाब हकीकत में नहीं बदल सका. ईटीवी भारत की टीम ने जब गांव का दौरा किया तो कई लोगों ने अपनी व्यथा सुनाई. इन प्रवासी मजदूरों को गांव में रोजगार के साधन नहीं मिलने से काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.

परिवार का खर्चा चलाने में हो रही समस्या
लॉकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी श्रमिकों के सामने रोजगार का बड़ा संकट है. इन लोगों के पास मजदूरी के अलावा कोई अन्य आय के साधन नहीं है. रोजगार और आमदनी के आभाव में इन श्रमिकों अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है. प्रदेश सरकार की पहल पर मनरेगा के तहत कुछ लोगों को रोजगार भी मिला, लेकिन यह रोजगार मजदूरों की हकीकत को नहीं बदल सका.

ईटीवी भारत की टीम मजदूरों की समस्या को ग्राम प्रधान गंगाराम के सामने रखा. ग्राम प्रधान गंगाराम ने बताया कि प्रवासी मजदूरों द्वारा मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया था. जिन मजदूरों का भुगतान नहीं हुआ है उनके लिए बीडीओ से बात हुई है, फीडिंग कराकर जल्द ही भुगतान कराया जाएगा.

अम्बेडकरनगरः वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बीते दिनों पूरे देश को लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान तमाम उद्योग-धंधों की रफ्तार थम गई थी. लंबे समय के लॉकडाउन के बाद 1 जून से अनलॉक-1 लागू हो गया. अनलॉक-1 लागू होने के बाद देश भर के बंद पड़े कुछ उद्योग-धंधों की शुरूआत हुई. कोरोना के प्रकोप के चलते पहले जैसी स्थिति नहीं हो पाई. इस दौरान सामान्य जीवन में कुछ गति अवश्य मिली, लेकिन लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में लोगों का रोजगार चला गया. कोरोना काल के चलते लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर लौट आए.

मजदूरी के भुगतान के लिए भटक रहे श्रमिक

विभिन्न प्रदेशों से वापस अपने घर लौटे लोगों को रोजगार नहीं मिल सका. हालांकि प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है. प्रदेश सरकार की मुहिम पर कई प्रवासी श्रमिकों को रोजगार भी मिला है.

इसी क्रम में अम्बेडकर नगर जिले के प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा योजना के तहत रोजगार तो मिला, लेकिन श्रमिकों को उनकी मेहनत का पैसा नहीं मिला. मनरेगा में काम करने वाले श्रमिक अपनी मजदूरी लेने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे है.

ईटीवी भारत की टीम ने प्रवासी श्रमिकों की स्थिति जानने के लिए अम्बेडकर नगर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर एक गांव का दौरा किया. इस दौरान श्रमिकों के लिए बनाई गईं सारी सरकारी योजनाएं बदहाल नजर आईं.

मामला आलापुर तहसील क्षेत्र के ग्राम कटघर का है. गांव में लॉकडाउन के चलते सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर वापस घर आए हैं, जिन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है. इन मजदूरों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है.

सरकार द्वारा मनरेगा में रोजगार देने की घोषणा के बाद इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिलने की आस जगी, लेकिन ये ख्वाब हकीकत में नहीं बदल सका. ईटीवी भारत की टीम ने जब गांव का दौरा किया तो कई लोगों ने अपनी व्यथा सुनाई. इन प्रवासी मजदूरों को गांव में रोजगार के साधन नहीं मिलने से काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.

परिवार का खर्चा चलाने में हो रही समस्या
लॉकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी श्रमिकों के सामने रोजगार का बड़ा संकट है. इन लोगों के पास मजदूरी के अलावा कोई अन्य आय के साधन नहीं है. रोजगार और आमदनी के आभाव में इन श्रमिकों अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है. प्रदेश सरकार की पहल पर मनरेगा के तहत कुछ लोगों को रोजगार भी मिला, लेकिन यह रोजगार मजदूरों की हकीकत को नहीं बदल सका.

ईटीवी भारत की टीम मजदूरों की समस्या को ग्राम प्रधान गंगाराम के सामने रखा. ग्राम प्रधान गंगाराम ने बताया कि प्रवासी मजदूरों द्वारा मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया था. जिन मजदूरों का भुगतान नहीं हुआ है उनके लिए बीडीओ से बात हुई है, फीडिंग कराकर जल्द ही भुगतान कराया जाएगा.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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