अम्बेडकरनगर: जिले की धरती वैसे तो समाजवाद के पुरोधा डॉ. राम मनोहर लोहिया के नाम से जानी जाती है, लेकिन अब प्रदेश में अपराधियों के लिए भी जानी जाने लगी है. वैसे तो जिले में अपराधियों की फेहरिस्त लंबी है, लेकिन अजय सिपाही एक ऐसा नाम है जिसका सिक्का गैर जनपदों में भी चलता है. हत्या, फिरौती और रंगदारी इसका पेशा है. मानव जिंदगियों से खेलना इसका शौक बन गया है. हुकूमत किसी भी पार्टी की हो जेल में ही बैठ कर अपने नेटवर्क और गुर्गों के सहारे इसने जरायम की दुनिया में अपना दखल बरकरार रखा है. अजय सिपाही सरकार की ओर से घोषित जिले का टॉप 2 अपराधी है. सपा सरकार में इसे सरकार का संरक्षण मिला और अब भाजपा सरकार में भी अपना संरक्षक खोजने में सफल रहा. अजय सिपाही सोशल मीडिया के सहारे खुलेआम जौनपुर के पूर्व सांसद धन्नजय सिंह के साथ अपने रिश्तों का इजहार कर चुका है. धन्नजय की पत्नी को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी में शामिल करा चुके हैं.
कौन है अजय सिपाही?
अजय प्रताप सिंह उर्फ अजय सिपाही पुत्र चंद्रभान सिंह अम्बेडकरनगर जिले के महरुआ थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम लोकनाथपुर का रहने वाला है. जरायम की दुनिया में कदम रखने से पहले अजय पुलिस में नौकरी करता था. नौकरी के दौरान ही अपराध की दुनिया में आने से इसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. बताया जा रहा है कि वर्ष 2005 में सुलतानपुर जिले में एक ब्लाक प्रमुख और नरेन्द्र सिंह हत्याकांड में सबसे पहले अजय का नाम सामने आया था. सुलतानपुर में ही वर्ष 2005 में इसके विरुद्ध दो मुकदमे दर्ज हुए थे. अजय प्रताप को जरायम की दुनिया में असली पहचान वर्ष 2006 में सुलतानपुर दीवानी डबल मर्डर केस से मिली और इस पर डबल मर्डर का आरोप लगा. यहीं से अजय प्रताप सिंह, अजय सिपाही के नाम से जाना जाने लगा और अपने खौफ के सहारे रंगदारी वसूलने की दुनिया में कदम रखा.
अपराध की दुनिया में कदम
अम्बेडकरनगर में वर्ष 2010 में भीटी ब्लाक के पूर्व ब्लाक प्रमुख सुभाष सिंह की हत्या कर जिले के आपराधिक वारदातों में इसने कदम रखा और यहीं से राजनीति में आने की भी शुरुआत की. सुभाष की हत्या के बाद ये अपना खौफ बढ़ाता गया और उसी के सहारे फिरौती और रंगदारी की वसूली भी बढ़ा दी. सपा सरकार में इसका सिक्का खूब चला इसने टाण्डा से सुलतानपुर को जाने वाली एनएच का निर्माण करा रही कम्पनी से करोड़ों की रंगदारी मांगी जिसमें इसको जेल भी हुई, लेकिन कहा जाता है कि फैजाबाद के एक बाहुबली विधायक ने दोनों में डील कराई. ये अजय के खौफ का ही नतीजा है कि इसके विरुद्ध लोग गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.
राजनीतिक पारी की शुरुआत
अजय सिपाही ने सपा सरकार में ही राजनीति में इंट्री मारी. पहले इसने अपनी भाभी को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया. चुनाव जीतने के बाद इसने सपा से डील की और सपा प्रत्यासी मिंटू सिंह के समर्थन में वोट किया. धीरे धीरे सपा नेताओं से इसका रिश्ता बढ़ता गया. कहा जाता है कि अयोध्या से लेकर सुलतानपुर, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर और बनारस के स्वजातीय नेताओं और बाहुबलियों से इसकी नजदीकियां बढ़ गईं. वर्ष 2016 में अजय सिपाही ने सपा के समर्थन से कटेहरी ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ा और जीत कर अजय सिपाही ब्लाक प्रमुख बना. हालांकि कहा ये भी जाता है कि सपा सरकार में तत्कालीन मंत्री राम मूर्ति वर्मा अजय सिपाही को चुनाव लड़ाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन उसके सेटिंग के आगे वह भी बेबस नजर आए.
हत्या का लगा आरोप
इसी चुनाव के बाद एक युवक की हत्या हुई थी, जिसका शव सुलतानपुर जनपद में फेंक दिया गया था. इसकी हत्या का आरोप भी अजय सिपाही पर लगा. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इसने सपा से टिकट मांगा, लेकिन टिकट न मिलने पर बगावत कर दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ गया. इस चुनाव में अजय सिपाही ने बसपा के कद्दावर नेता लालजी वर्मा के समर्थकों के वाहन पर हमला करा दिया और कई राउंड गोली चलाई गई थी. हलाकि अजय सिपाही अभी जेल में ही है, लेकिन वहां रहकर भी वह अपने गुर्गों के माध्यम से अपने मंसूबों को अंजाम दे रहा है. इसमें कहीं न कहीं खाकी का लचर रवैया भी उसका सहायक बना है. जिला पंचायत अध्यक्ष मिंटू सिंह अब भाजपा में शामिल हो गए हैं और अजय सिपाही की जिला पंचायत में अब भी हनक बरकरार है. खबर ये भी है कि अजय ने भाजपा में शामिल होने का बहुत प्रयास किया, लेकिन स्थानीय स्तर पर कुछ नेताओं के विरोध के कारण यह सम्भव नहीं हो पाया.
सोशल मीडिया का शौकीन है अजय सिपाही
अजय सिपाही सोशल मीडिया के प्रयोग का शौकीन है. जेल से बाहर रहने पर खुद और जेल में होने पर अपने समर्थकों से अपनी तस्वीरों को फेसबुक पर पोस्ट करता रहता है. इन्ही पोस्टों में जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ सिपाही की कई तस्वीरें लगाई गई हैं. गौरतलब हो कि धनंजय की पत्नी को जेपी नड्डा भाजपा में शामिल करा चुके हैं.