अम्बेडकरनगरः बीएसपी से निष्कासित पूर्व विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और विधायक राम अचल राजभर ने टांडा विधानसभा में एक जनसभा कर सियासत की नई लकीर खींच दी है. ये नेता कभी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए खेवनहार थे, लेकिन अब उन्हें ही रसातल में पहुंचाने में जुटे हुए हैं. जनसभाओं के द्वारा ये दोनों नेता जिले के साथ पूर्वांचल में सियासत का नया मैदान तैयार कर रहे हैं. इस दौरान विधायक राम अचल राजभर ने जमकर बीएसपी मुखिया पर हमला बोला, तो वहीं इशारों ही इशारों में अपने नए राजनीतिक पड़ाव का संकेत भी दे दिया.
बसपा से निष्कासित दोनों नेता लालजी वर्मा और राम अचल राजभर ने अपने निष्कासन के बाद सोमवार को पहली बार एक साथ टांडा नगर में जनसभा का आयोजन किया. बसपा नेताओं ने इस सभा के बहाने जहां अपनी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया. वहीं विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास भी कराया. जनसभा में उमड़ी भारी भीड़ को देख नेताओं ने विरोधियों पर करारा हमला भी बोला.
जनसभा को सम्बोधित करते हुए राम अचल राजभर ने कहा कि हमने साइकिल चलाकर, गांव गांव में ड्रामा कर स्वर्गीय कांशीराम के साथ पार्टी को खड़ा किया. उस समय पार्टी 85 बनाम 15 की लड़ाई लड़ रही थी. लेकिन आज बसपा सुप्रीमों मायावती 15 फीसदी के हाथों में खेल रही हैं. अब पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों का भला इस पार्टी में होने वाला नही है. भावुक होकर नम आंखों के साथ राम अचल राजभर ने कहा कि जब मायावती के साथ गेस्ट हाउस कांड हुआ था. उस समय हमने उन्हें बचाने के लिए लात जूतों से मार खाया, दयाशंकर सिंह मामले में जेल गया. यही नहीं जब उनकी तबीयत खराब थी तो दिल्ली ले जाते समय मैंने उनका पैर दबा कर सेवा की थी. लेकिन घनश्याम चंद खरवार जैसे गद्दारों के कहने पर मुझे पार्टी से निकाल दिया और एक बार नहीं बताया मेरी गलती क्या है. राजभर ने कहा कि खरवार तो गद्दार है, जिसने पार्टी के निष्कासन के बाद बहन जी पर अपशब्दों की बौछार किया था.
बसपा से निष्कासन के बाद सोमवार को जनसभा को संबोधित करते हुए लालजी वर्मा ने कहा कि जो लोग पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ता थे, उनको जिला पंचायत में टिकट नही दिया गया. पूरे जिले में बीएसपी सिर्फ आठ सीट जीत पाई. जिम्मेदार तो वो लोग हैं, जिन लोगों ने टिकट दिया था. लेकिन पार्टी से हमें निकाल दिया गया. लालजी वर्मा ने कहा कि हम अभी किसी पार्टी में नहीं जा रहे हैं और न ही किसी पार्टी के साथ हमारा कोई अपनी शर्त है. हमने बस इतनी शर्त रखी है कि जो पार्टी सरकारी नौकरियों में खाली पड़े पिछड़ों,अतिपिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के पदों को भरेगी हम उसी के साथ जाएंगे. हमारे पास तमाम बड़े पदों का ऑफर आया. लेकिन हमारी प्राथमिकता अपना निजी स्वार्थ नहीं है. हम वहां रहेंगे जहां से आप के हितों की अगुआई कर सकें. हमारी कलम से अम्बेडकरनगर के विकास की गाथा लिखी जाय.
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बीएसपी से निष्कासित इन दोनों नेताओं के राजनीतिक ठिकाने को लेकर इनके समर्थकों में काफी उत्सुकता दिखी. लेकिन इन नेताओं ने अभी अपने पत्ते नही खोलें हैं. हांलाकि रामअचल राजभर का कहना कि अगर मुझे अपना हित साधना होता, तो अब तक बेटा एमएलसी और मुझे लाल बत्ती मिल गयी होती. लेकिन मैंने उसे ठुकरा दिया. हम वहीं जाएंगे जहां अति पिछड़ों और शोषित लोगों की बात रख सकें. रामअचल के इस बयान से इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि बसपा से निष्कासित नेताओं का अगला ठिकाना सपा ही होगा.