अंबेडकर नगरः एक तरफ देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसान आंदोलन भड़क रहा है, वहीं अंबेडकर नगर जिले में किसान नये ही जाल में फंस रहे हैं. जिले में धान खरीद में धांधली और किसानों की मजबूरी का फायदा उठाने की बात सामने आ रही है और प्रशासन अभी जांच कराएंगे जैसी बातों से समस्या को टाल रहा है.
समितियों औऱ मिल संचालकों का कॉकस
किसानों को उनके फसल की उचित कीमत देने और उन्हें धान बेचने में कोई असुविधा न हो इसके लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर क्रय केंद खोले हैं. किसानों को घर के नजदीक ही क्रय केंद्र मिल जाए इसलिए पूरे जिले में तमाम पंजीकृत समितियों को भी धान खरीदने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. विभागीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक जिले सरकारी धान कूटने के लिए संबद्ध राइस मिलों में से अधिकांश मिले ऐसी हैं जिनके स्वामियों के परिजन ही धान खरीद के लिए पंजीकृत समितियां चला रहे हैं. कुछ मिल संचालकों के सगे रिश्तेदार तो कुछ की पत्नी ,भाई और पिता या बेटे को शामिल कर समितियों का संचालन किया जा रहा है. जानकर बताते हैं कि इन समितियों और मिलों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक ही मालिकाना हक है. यही नहीं इन समितियों से उनके मिल भी संबंद्ध हैं. इसकी वजह से मिल संचालक किसानों से धान अपनी मिल पर खरीदतें हैं और उनको 1100 से 1200 के बीच का भाव देते हैं लेकिन फिर वही धान अपनी ही समिति किसी अपने किसान के नाम पर तौल करा करा देते हैं. इस तरह समिति पर खरीद की प्रक्रिया बनी रहती है और मिल संचालक मालामाल भी हो रहे हैं और किसानों को औना-पौना दाम ही मिलता है.
कर रहे निरीक्षण
जिला प्रशासन खरीद में धांधली को रोकने के लिए काफी चौकन्ना है. जिलाधिकारी राकेश कुमार सहित सभी एसडीएम स्वयं प्रतिदिन क्रय केंद्रों का निरीक्षण कर रहे हैं लेकिन मिल संचालकों और समिति गठजोड़ पर अभी अंकुश लगता नहीं दिख रहा है. एआर कॉपरेटिव प्रवीण कुमार का कहना है कि मिल संचालक, समिति का संचालन नहीं कर सकता. केंद्र का निर्धारण करने से पहले जांच होती है. यदि कोई मामला संज्ञान में आता है तो जांच कर कार्रवाई होगी.