अम्बेडकरनगर: कोरोना की दहशत से पूरा देश परेशान है. हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे भारत में 21 दिन का लॉकडाउन करने की घोषणा करनी पड़ी. इस लॉकडाउन का असर ग्रामीण क्षेत्रों में कितना दिख रहा है इसे परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कुछ गांवों का दौरा किया. इन गांवो में कुछ लोग खेतों में काम करते हुए दिखे. खेतों में काम कर रहे इन मजदूरों का कहना है कि बीमारी से डर तो लग रहा है, लेकिन सवाल बच्चों के पेट का है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा तो की है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसका खास असर दिख नहीं रहा है. गांव की दुकानें तो बन्द हैं, लेकिन लोग अब भी जगह-जगह एकत्रित हैं. यहां लोग अपनी मजबूरियों का हवाला दे कर खेतों में काम करने निकले हैं. खेती किसानी का मौसम होने की वजह से लोग खुद को घरों से बाहर निकलने से नहीं रोक पा रहे हैं. खेतों में कार्य कर रही महिला मजदूरों से जब सरकार के निर्देशों का हवाला देकर पूछा गया कि वे समूह में बाहर क्यों आईं तो पहले वे बोलने को तैयार नहीं हुईं, लेकिन जब उनकी गोपनीयता बनाये रखने का आश्वासन दिया गया तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया. इनका कहना है कि उनके घर के आदमी बाहर रहते हैं. अब वहां भी काम-धंधा बन्द है. अगर हम लोग काम नहीं करेंगे तो बच्चे क्या खाएंगे. उन्होंने कहा कि बीमारी से डर लगता है, लेकिन करें क्या मजबूरी है.