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कुम्भ में बिछड़ों को अपनों से मिलाने का काम कर रहे बाल मित्र

कुम्भ का भव्यता देख कोई भी मंत्रमुग्ध हो जायेगा ऐसे में यह भी लाजमी है कि कोई अपने परिजनों से बिछड़ जाए, तो ऐसे मसलों में घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बाल मित्र कुम्भ में खोये हुए लोगों को अपनों से मिलाने का काम कर रही है. अबतक सैकड़ों लोगों को बाल मित्रों की मदद से अपनों से वापस मिलाया गया है.

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Published : Feb 19, 2019, 9:39 AM IST

बाल मित्र कुम्भ

प्रयागराज : कुम्भ में हो रहे आयोजनों को लेकर प्रशासन पूरी तरह से गहमागहमी में है, वहीं आम जन और स्कूली छात्र भी इसको दिव्य भाग बनाने के लिए भी अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं. कुंभ मेले के दौरान आने वाले तीर्थयात्री इसकी दिव्यता और भव्यता चलते अक्सर यहां खो जाते हैं, ऐसे में उन खोए हुए लोगों को अपने से मिलाने के लिए कुंभ में काम कर रहे बाल मित्रों ने भूमिका निभाई.

बाल संरक्षण को लेकर काम कर रहे कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन समाज में बच्चों को लेकर बराबर जागरूकता पैदा कर रहा है. उनके इस अभियान से जुड़े स्कूली छात्रों छात्राओं ने इस कुम्भ में बाल मित्रों ने इस कुम्भ में बिछड़ों को अपनों से मिलने का बीड़ा उठाया. इस अभियान में प्रयागराज के महाविद्यालय में पढ़ने वाले 100 से ज्यादा बेयरफुट वालंटियर मोबाइल स्टोरी टेलिंग के माध्यम से खोये हुए बच्चों और उनके परिवारों से मिलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. साथ ही साथ इस दिव्य कुम्भ और भव्य कुम्भ में बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता भी पैदा कर रहे हैं. इनके द्वारा किया जा रहा यह प्रयास न सिर्फ प्रयागराज बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश मे धूम मचा रहा है.

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कुम्भ में बिछड़ों को अपनों से मिलाने का काम कर रहे बाल मित्र

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कुम्भ मेले के दौरान इन वालंटियर ने अपनी मोबाइल टेलिंग स्टोरी के माध्यम से अब तक लगभग एक हज़ार से अधिक लोगों को मिला चुके हैं. टीम लीडर देशराज सिंह का कहना है कि यह छोटा सा प्रयास है जिसमें वालंटियर होकर पुलिस के खोया पाया अभियान में सहयोग करके अपनी मोबाइल ट्रेनिंग स्टोरी की माध्यम से अब तक हजारों लोगों को मिला चुके हैं.
कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन से जुड़े श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने बाल मित्र की संकल्पना नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की अवधारणा थी. जिसके चलते इन बच्चों को होण्डा मिलन केंपस से जोड़ा है और उन्होंने समय से कुंभ मेले के दौरान आने वाले लोगों को उसे मिलाकर की बहुत ही सराहनीय कार्य किया है.

प्रयागराज : कुम्भ में हो रहे आयोजनों को लेकर प्रशासन पूरी तरह से गहमागहमी में है, वहीं आम जन और स्कूली छात्र भी इसको दिव्य भाग बनाने के लिए भी अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं. कुंभ मेले के दौरान आने वाले तीर्थयात्री इसकी दिव्यता और भव्यता चलते अक्सर यहां खो जाते हैं, ऐसे में उन खोए हुए लोगों को अपने से मिलाने के लिए कुंभ में काम कर रहे बाल मित्रों ने भूमिका निभाई.

बाल संरक्षण को लेकर काम कर रहे कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन समाज में बच्चों को लेकर बराबर जागरूकता पैदा कर रहा है. उनके इस अभियान से जुड़े स्कूली छात्रों छात्राओं ने इस कुम्भ में बाल मित्रों ने इस कुम्भ में बिछड़ों को अपनों से मिलने का बीड़ा उठाया. इस अभियान में प्रयागराज के महाविद्यालय में पढ़ने वाले 100 से ज्यादा बेयरफुट वालंटियर मोबाइल स्टोरी टेलिंग के माध्यम से खोये हुए बच्चों और उनके परिवारों से मिलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. साथ ही साथ इस दिव्य कुम्भ और भव्य कुम्भ में बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता भी पैदा कर रहे हैं. इनके द्वारा किया जा रहा यह प्रयास न सिर्फ प्रयागराज बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश मे धूम मचा रहा है.

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कुम्भ में बिछड़ों को अपनों से मिलाने का काम कर रहे बाल मित्र

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कुम्भ मेले के दौरान इन वालंटियर ने अपनी मोबाइल टेलिंग स्टोरी के माध्यम से अब तक लगभग एक हज़ार से अधिक लोगों को मिला चुके हैं. टीम लीडर देशराज सिंह का कहना है कि यह छोटा सा प्रयास है जिसमें वालंटियर होकर पुलिस के खोया पाया अभियान में सहयोग करके अपनी मोबाइल ट्रेनिंग स्टोरी की माध्यम से अब तक हजारों लोगों को मिला चुके हैं.
कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन से जुड़े श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने बाल मित्र की संकल्पना नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की अवधारणा थी. जिसके चलते इन बच्चों को होण्डा मिलन केंपस से जोड़ा है और उन्होंने समय से कुंभ मेले के दौरान आने वाले लोगों को उसे मिलाकर की बहुत ही सराहनीय कार्य किया है.
Intro:प्रयागराज में आयोजित इस डिब्बे गुण और भद्रक उंर हमें एक रजा इसके आयोजन को लेकर प्रशासन पूरी तरह से गम भरे था वही आम जन और स्कूली छात्र भी इसको दिव्य भाग बनाने के लिए भी अपना सहयोग प्रदान कर रहे कुंभ मेले के दौरान आने वाले तीर्थयात्री इसकी दिव्यता और भव्यता चलते अक्सर यहां खो जाते हैं ऐसे में उन खोए हुए लोगों को अपने से मिलाने के लिए कुंभ में काम कर रहे बाल मित्रों नेम भूमिका निभाई है।


Body:बाल संरक्षण को लेकर काम कर रहे कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन समाज मे बच्चो को लेकर बराबर जागरूकता पैदा कर रहा है। उनके इस अभियान से जुड़े स्कूली छात्रों छात्राओं ने इस कुम्भ में बाल मित्रो ने इस कुम्भ में बिछड़ो को अपनो से मिलने का बीड़ा उठाया। इस अभियान में प्रयागराज के महाविद्यालय में पढ़ने वाले 100 से ज्यादा बेयरफुट वालंटियर मोबाइल स्टोरी टेलिंग के माध्यम से खोये हुए बच्चो और उनके परिवारों से मिलाने में अहम भूमिका निभा रहे है। साथ ही साथ इस दिव्य कुम्भ और भव्य कुम्भ में बच्चो की सुरक्षा को लेकर जागरूकता भी पैदा कर रहे है। इनके द्वारा किया जा रहा यह प्रयास न सिर्फ प्रयागराज बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश मे धूम मचा रहा है।


Conclusion:कुम्भ मेले के दौरान इन वालंटियर ने अपनी मोबाइल टेलिंग स्टोरी के माध्यम से अब तक लगभग एक हज़ार से अधिक लोगो को मिला चुके है।
टीम लीडर देशराज सिंह का कहना है कि यह छोटी सी बाल है जिसमे वालंटियर रोने पुलिस के खोया पाया कि जिस में सहयोग करके अपनी मोबाइल ट्रेनिंग स्टोरी की माध्यम से अब तक हजारों लोगों को मिला चुके हैं
कैलाश सताती फाउंडेशन से जुड़े ऑफ श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने बाल मित्र की संकल्पना नोडल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की अवधारणा थी जिसके चलते इन बच्चों को honda मिलन केंपस जोड़ा है और उन्होंने अपनी वेस्ट समय से कुंभ मेले के दौरान आने वाले लोगों को उसे मिलाकर की बहुत ही सराहनीय कार्य किया है।

बाईट: देशराज सिंह टीम लीडर
बाईट ओ पी सिंह कार्यक्रम सहायक

प्रवीण मिश्र
प्रयागराज
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