अलीगढ़: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. थावरचंद गहलोत नुमाइश मैदान पहुंचे. यहां उन्होंने करीब दो करोड़ 19 लाख रुपये की कीमत के उपकरण दिव्यांगों को वितरित किया गया. बता दें कि एलिम्को कंपनी के सहयोग से यह आयोजन किया गया. इसके तहत करीब 2200 लाभार्थियों को चिन्हित किया गया था. नुमाइश मैदान में दिव्यांगजनों को देने के लिए कुल 4146 उपकरण रखे गए थे.
इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दिव्यांगजन नाम दिया, जो सम्मान की बात है. इससे पहले जिस नाम से पुकारते थे वह अच्छा नहीं लगता था. दिव्यांगजन देश के मानव संसाधन का अभिन्न अंग हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी वर्ग को पीछे छोड़ कर देश का सही विकास नहीं किया जा सकता है. दिव्यांगजन भी मुख्यधारा में आएं और अन्य लोगों की भांति देश के विकास में सहभागी बनें.
पूरे देश भर में लगे आठ हजार कैंप
थावरचंद गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार बनने के बाद दिव्यांगजनों के लिए कई योजनाएं बनाई गईं. पहले की सरकारों में दिव्यांगों के लिए कार्य योजना न के बराबर थी. वहीं इस सरकार में पढ़ने-लिखने की सुविधा देने समेत दिव्यांगों के लिए करीब आधा दर्जन से अधिक योजनाएं चलाई गई हैं. इन योजना के द्वारा करीब 46 हजार दिव्यागजनों को लाभ मिला है. इस वर्ग के लिए आवश्यकतानुसार उपकरण बांटने के लिए विशेष योजना चलाई गई हैं. उन्होंने बताया कि पूरे देश में आठ हजार कैंप लगाए गए हैं, जिसमें 513 मैगा कैंप लगाए है. इसमें एक करोड़ रुपये के उपकरण बांटे गये हैं.
दिव्यागों के लिए यूनिवर्सल आईडेंटिटी कार्ड
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 1262 कैंप आोयजित किए हैं, जिसमें 166 करोड़ की कीमत के उपकरण बांटे गए हैं. लाभार्थियों की संख्या करीब 2 लाख 77 हजार है. आगे उन्होंने बताया कि अब दिव्यांगों के लिए यूनिवर्सल आईडेंटिटी कार्ड देने की योजना है. देश के 25 राज्यों में कार्ड बनाने की योजना शुरु हो गई है. उन्होंने बताया कि अभी जिले में ही कार्ड बनता है जो बाहरी जिलों में नहीं चलता है, लेकिन अब जो कार्ड बना रहे हैं वह पूरे देश में चलेगा.
एएमयू में दिलाएंगे आरक्षण
एएमयू में विकलांगों के आरक्षण के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसको लेकर कार्य किया जाएगा. एससी/एसटी के आरक्षण के सवाल पर उन्होंने कहा कि एएमयू केंद्रीय विश्वविद्यालय है, लेकिन पिछली सरकार ने इसको माइनॉरिटी विश्वविद्यालय बना दिया और उनको विशेष अधिकार दे दिया. विश्वविद्यालय प्रशासन ने 50% आरक्षण अल्पसंख्यक वर्ग के लिए कर दिया और बाकी आरक्षण समाप्त कर दिया, इसलिए मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट में इसका निराकरण होने के बाद कुछ हो पाएगा.