अलीगढ़: मशहूर एक्ट्रेस स्वरा भास्कर और सपा नेता फहाद अहमद की कोर्ट मैरिज अब बवाल शुरू हो गया है. दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन ऑल इण्डिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने स्वरा भास्कर की शादी को नाजायज करार दिया है. उन्होंने कहा कि पहले स्वरा भास्कर इस्लाम कबूल करे, तभी निकाह जायज होगा.
इस पर हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक पांडेय का कहना है कि मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने जिस तरीके से स्वरा भास्कर के निकाह को नाजायज बताया है, यह बिल्कुल सही बात है. हिंदू बेटियों के साथ इस तरीके के जेहादी नाजायज तरीके से निकाह करते हैं. बाद में धर्म परिवर्तन करवाते हैं. जब वह धर्म परिवर्तन के लिए मना करती हैं तो कभी 36 टुकड़े करते हैं या फ्रिज में दफना देते हैं.
यही अंजाम आज नहीं तो कल स्वरा भास्कर या जितनी भी लड़कियां उधर जा रही हैं उनका होगा. ये लोग नाजायज काम करने के आदी हैं. हम हमेशा से कहते हैं. इन नायजाज लोगों की नाजायज बातों को मानना बंद करें हमारी बेटियां, गुमराह न हों. ये जिहादी हैं, इनका मकसद जेहाद है. आज नहीं तो कल तुम्हारे 36 टुकड़े कर देंगे. इसलिए अपने धर्म और अपने धर्म से जुड़े लोगों पर विश्वास रखो. सनातन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है. दुनिया में सनातन धर्म में ही अपनी शादियां करो, तभी तुम्हारा जीवन सुरक्षित है.
एएमयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि स्वरा भास्कर की शादी को लेकर शहाबुद्दीन साहब ने एक तरीके से फतवा दिया है. इस्लाम के अंदर बहुत सारी चीजें कैटिगिरिकल होती हैं, फतवा सिर्फ मुफ्ती दे सकता है. ऐरा-गैरा हर कोई आदमी फतवा नहीं दे सकता है. उसके लिए बहुत सारे तरीके होते हैं और बहुत सारी चीजें होती हैं. मौलाना साहब को चाहिए कि वह इस्लाह करें लोगों की, बल्कि मैं उनको नंबर भी प्रोवाइड करा सकता हूं. स्वरा भास्कर से बात करके वह कह सकते हैं, यह इस्लाम का तरीका है. अगर इस तरह का बयान देकर वह मीडिया में बना रहना चाहते हैं तो वह अलग बात है. जैसे मीडिया में और बाकी मौलाना पैसा लेकर काम कर रहे हैं.
इस मामले पर मुस्लिम समाज से जुड़े धर्मगुरु व एडवोकेट इब्राहिम हुसैन ने कहा कि स्वरा भास्कर और फहद की शादी के लिए मेरी तरफ से बहुत मुबारकबाद है. शादी करना एक कानूनी अधिकार है और स्वरा भास्कर और फहद ने कानून के दायरे में रहकर शादी की है. भारत के नागरिक को बालिग होने के बाद अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है. किसी को भी दबाव बनाना या विरोध करने का अधिकार नहीं है.
जो लोग स्वरा भास्कर और फहद की शादी को लेकर ऐतराज कर रहे हैं, उनके लिए कहना चाहता हूं कि कहीं विवाद खड़ा करना होता है या झूठी प्रतिष्ठा हासिल करनी होती है तो वह इस्लाम और शरीयत के नाम पर विवाद खड़ा कर देते हैं. हालांकि भारत में ना तो मुसलमान शरीयत पर चलने को तैयार है और न चल रहे हैं. तो ऐसे में सिर्फ जाति का फायदा लेने के लिए इस्लाम का और शरीयत का इस्तेमाल करना कहां तक जायज है. कहना चाहता हूं कि इस तरह की बातों से जुमला से समाज में नफरत खेलती है और उसका नुकसान होता है तो इस्लाम और शरीयत की आड़ में इस तरह की बातें ना की जाए तो बेहतर है.
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