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300 किलो का ताला, 25 किलोग्राम की चाबी

अलीगढ़ के एक बुजुर्ग ताला कारीगर ने 300 किलोग्राम वजन का एक ताला बनाया है, जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. आइए आपको सुनाते हैं 300 किलोग्राम के इस ताले की कहानी उसे बनाने वालों की जुबानी...

300 किलो का ताला, सुनिए क्या कहता है बनाने वाला
300 किलो का ताला, सुनिए क्या कहता है बनाने वाला
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Published : Mar 18, 2021, 2:11 PM IST

Updated : Mar 18, 2021, 6:15 PM IST

अलीगढ़: वैसे तो अलीगढ़ कई मायनों में सुर्खियों में रहता है, लेकिन यहां के तालों की वाहवाही पूरी दुनिया करती है. एक से बढ़कर एक ताले मिलते हैं यहां, छोटे-बड़े तालों के साथ ही मजबूती में भी इनका कोई जोड़ नहीं. इसके साथ ही इन तालों के ऊपर से इन पर की गई नक्काशी के तो क्या कहने. लेकिन, अब यहां के तालों के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है. दरअसल अलीगढ़ में एक भीमकाय ताला बनाया गया है, जिसका वजन 300 किलोग्राम है. ये ताला किसी फैक्टरी या मशीन से नहीं बल्कि शहर के ज्वालापुरी इलाके के रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति ने बनाया है. इस ताले को बनाया है ताला कारीगर सत्य प्रकाश शर्मा एवं उनकी पत्नी रुक्मणी शर्मा ने. इस बुजुर्ग दंपति ने अपनी मेहनत और लगन से इस 300 किलोग्राम के ताले के नायाब ताले को बनाया है और उनका दावा है यह दुनिया का सबसे बड़ा ताला होगा.

300 किलो का ताला, सुनिए क्या कहता है बनाने वाला

एक साल से बना रहे ताला

शर्मा दंपति जिले के ज्वालापुरी इलाके की गली नम्बर- 5 में रहते हैं और पिछले एक साल से वो यह ताला बना रहे हैं. ये ताला वह शहर के रामसन लॉक्स के आर्डर पर तैयार कर रहे हैं. 6 फुट उंचे इस ताले की चौड़ाई 2 फुट 9 इंच है.

300 किलो का ताला, सुनिए क्या कहता है बनाने वाला
300 किलो के ताले के साथ इस बनाने सत्यप्रकाश शर्मा और उनकी पत्नी

सत्यप्रकाश शर्मा कहते हैं कि ताला तो बनकर तैयार है, लेकिन इसे और बेहतर आकार देने के लिए इसके कड़े बदलने का काम अभी करना है. कड़े बदलने के बाद इसका वजन करीब 350 किलोग्राम हो जाएगा. तालानगरी के लोग इसे देखकर गर्व महसूस करेंगे और इसका भव्य रूप अलीगढ़ को नई मयार देगा.

चाबी को आकार देते बुजुर्ग कारीगर
चाबी को आकार देते बुजुर्ग कारीगर

25 किलोग्राम की है चाबी

सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि उन्हें इस ताले को बनाने का आर्डर लॉकडाउन के पहले मिला था और लॉकडाउन के समय से ही दोनों लोग ताला बनाने में जुटे हुए हैं. जिसके बाद तकरीबन साल भर होने को आया है और अब जाकर उन्हें सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि इस ताले की चाबी तीन फुट चार इंच की है, जो अपने आप में खास है. इस चाभी का वजन 25 किलोग्राम से ज्यादा है. इस ताले को बनाने में उनका साथ उनकी पत्नी रुकमणी ने परिवार, घर और बच्चों को देखते हुए इस ताले को बनाने में मदद की है.

300 किलो का ताला बनाने वाले बुजुर्ग दंपति
300 किलो का ताला बनाने वाले बुजुर्ग दंपति

विरासत में मिला ताला बनाने का हुनर

सत्यप्रकाश शर्मा के पिता स्वर्गीय भोजराज भी बड़े ताला कारीगर हुआ करते थे. वे अपने जमाने में शहर के मशहूर ताला कारीगरों में शुमार होते थे. उन्होंने ने भी कई भारी भरकम ताले बनाये थे. सत्यप्रकाश शर्मा बताते हैं कि उनके पिता ने 40 किलोग्राम वजन के दो ताले बनाए थे. जिसमें एक ताला कोलकाता भी गया था, जबकि दूसरा ताला आज भी अलीगढ़ में है.

अलीगढ़: वैसे तो अलीगढ़ कई मायनों में सुर्खियों में रहता है, लेकिन यहां के तालों की वाहवाही पूरी दुनिया करती है. एक से बढ़कर एक ताले मिलते हैं यहां, छोटे-बड़े तालों के साथ ही मजबूती में भी इनका कोई जोड़ नहीं. इसके साथ ही इन तालों के ऊपर से इन पर की गई नक्काशी के तो क्या कहने. लेकिन, अब यहां के तालों के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है. दरअसल अलीगढ़ में एक भीमकाय ताला बनाया गया है, जिसका वजन 300 किलोग्राम है. ये ताला किसी फैक्टरी या मशीन से नहीं बल्कि शहर के ज्वालापुरी इलाके के रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति ने बनाया है. इस ताले को बनाया है ताला कारीगर सत्य प्रकाश शर्मा एवं उनकी पत्नी रुक्मणी शर्मा ने. इस बुजुर्ग दंपति ने अपनी मेहनत और लगन से इस 300 किलोग्राम के ताले के नायाब ताले को बनाया है और उनका दावा है यह दुनिया का सबसे बड़ा ताला होगा.

300 किलो का ताला, सुनिए क्या कहता है बनाने वाला

एक साल से बना रहे ताला

शर्मा दंपति जिले के ज्वालापुरी इलाके की गली नम्बर- 5 में रहते हैं और पिछले एक साल से वो यह ताला बना रहे हैं. ये ताला वह शहर के रामसन लॉक्स के आर्डर पर तैयार कर रहे हैं. 6 फुट उंचे इस ताले की चौड़ाई 2 फुट 9 इंच है.

300 किलो का ताला, सुनिए क्या कहता है बनाने वाला
300 किलो के ताले के साथ इस बनाने सत्यप्रकाश शर्मा और उनकी पत्नी

सत्यप्रकाश शर्मा कहते हैं कि ताला तो बनकर तैयार है, लेकिन इसे और बेहतर आकार देने के लिए इसके कड़े बदलने का काम अभी करना है. कड़े बदलने के बाद इसका वजन करीब 350 किलोग्राम हो जाएगा. तालानगरी के लोग इसे देखकर गर्व महसूस करेंगे और इसका भव्य रूप अलीगढ़ को नई मयार देगा.

चाबी को आकार देते बुजुर्ग कारीगर
चाबी को आकार देते बुजुर्ग कारीगर

25 किलोग्राम की है चाबी

सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि उन्हें इस ताले को बनाने का आर्डर लॉकडाउन के पहले मिला था और लॉकडाउन के समय से ही दोनों लोग ताला बनाने में जुटे हुए हैं. जिसके बाद तकरीबन साल भर होने को आया है और अब जाकर उन्हें सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि इस ताले की चाबी तीन फुट चार इंच की है, जो अपने आप में खास है. इस चाभी का वजन 25 किलोग्राम से ज्यादा है. इस ताले को बनाने में उनका साथ उनकी पत्नी रुकमणी ने परिवार, घर और बच्चों को देखते हुए इस ताले को बनाने में मदद की है.

300 किलो का ताला बनाने वाले बुजुर्ग दंपति
300 किलो का ताला बनाने वाले बुजुर्ग दंपति

विरासत में मिला ताला बनाने का हुनर

सत्यप्रकाश शर्मा के पिता स्वर्गीय भोजराज भी बड़े ताला कारीगर हुआ करते थे. वे अपने जमाने में शहर के मशहूर ताला कारीगरों में शुमार होते थे. उन्होंने ने भी कई भारी भरकम ताले बनाये थे. सत्यप्रकाश शर्मा बताते हैं कि उनके पिता ने 40 किलोग्राम वजन के दो ताले बनाए थे. जिसमें एक ताला कोलकाता भी गया था, जबकि दूसरा ताला आज भी अलीगढ़ में है.

Last Updated : Mar 18, 2021, 6:15 PM IST
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