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मोहन भागवत के बयान से संत नाराज, बोले-राहुल गांधी और भागवत का हिंदुत्व एक जैसा...

धर्म संसद कोर कमेटी से जुड़े संतों ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान को लेकर नाराजगी जताई है. साथ ही कहा है कि राहुल गांधी और मोहन भागवत का हिंदुत्व एक जैसा है.

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संतों ने लगाया यह आरोप.
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Published : Feb 7, 2022, 7:24 PM IST

अलीगढ़ : धर्म संसद कोर कमेटी के संयोजक और शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने मोहन भागवत के बयान की निंदा की है. दरअसल, मोहन भागवत ने नागपुर में कहा था कि धर्म संसद कार्यक्रम में दिए गया बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे. पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि मोहन भागवत के शब्दों ने बड़ी पीड़ा पहुंचाई है. उन्होंने कहा कि संसद में भी अनर्गल बयान दिए जाते हैं. ओवैसी जैसे लोग संसद में आपत्तिजनक बात उठाते हैं लेकिन लोकसभा में उसको कट और पेस्ट कर देते हैं. रिकॉर्ड में नहीं लेते हैं.
उन्होंने कहा कि हमारे धर्म संसद में भी जो धर्म आदेश या प्रस्ताव पारित किया जाता है उस पर चर्चा होती है. चर्चा ज्यादा उन बयानों की हुई जिसको हमने सेंसर कर दिया. कहा कि मोहन भागवत वामपंथियों और कांग्रेसियों के साथ खड़े हो गए हैं.

वह बोले कि राहुल गांधी ने भी यही आपत्ति उठाई थी. देश भर के वामपंथी और सेकुलर जमात इसी बात को उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि धर्म संसद के कार्य की प्रशंसा करने के बजाए मोहन भागवत अहिंदुओं के पाले में जाकर खड़े हो गए हैं. उन्होंने कहा कि आज का जो आरएसएस है वह गुरु गोलवलकर जी का नहीं है. यह वह संघ नहीं है जिसका हम सम्मान करते थे जिसकी वजह से भाजपा सत्ता में है.

संतों ने लगाया यह आरोप.
उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. मोहन भागवत को उत्साहवर्धन करना चाहिए था. अगर कहीं गलती हो रही है तो उस पर आंतरिक रुप से सूचित करते लेकिन मोहन भागवत ने वही काम किया जो राहुल गांधी और वामपंथियों ने किया था. सभी लोग हिंदुओं को समाप्त करने पर अमादा है इसलिए मोहन भागवत और कांग्रेसियों में कोई अंतर नहीं है.

राहुल गांधी कहते थे हिंदू और हिंदुत्व दोनों अलग-अलग है. मोहन भागवत भी वही कह रहे हैं कि आवेश में दिया गया बयान हिंदू, हिंदुत्व नहीं है. हिंदुत्व क्या है. यह मोहन भागवत बताएंगे. इसके लिए हमारे धर्माचार्य हैं. बड़े-बड़े धर्माचारियों की बात सुननी चाहिए. यह मोहन भागवत का विषय नहीं है. उन्होंने अनर्गल प्रलाप किया है. इस पर उन्हें धर्म संसद के लोगों से माफी मांगी चाहिए. अगर माफी नहीं मांगी तो इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि मोहन भागवत को खुली चुनौती है कि धर्म संसद में आएं और चर्चा करें कि हिंदुत्व क्या है. हिंदुओं की पीड़ा मोहन भागवत से सुनी नहीं जाएगी. बंगाल में हिंदुओं का नरसंहार हुआ. केरल में संहार हुआ. संघ चुप रहा. हम ज्यादा नहीं बोलते लेकिन घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं. राहुल गांधी के बोलने पर कोई आपत्ति नहीं है. वामपंथी बोले तो भी कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मोहन भागवत जी वही भाषा बोल रहे हैं यह कभी सपने में नहीं सोचा था. बहुत पीड़ा हुई है. वहीं निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि मोहन भागवत का बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

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एक बड़े संगठन का पदभार होने के बाद ऐसा बयान आना निंदनीय है. यह हमारे लिए दुख का विषय है क्योंकि कहीं न कहीं हिंदुत्व के कर्म को आरएसएस ने भेदा है. उन्होंने कहा कि संघ की प्रणाली के तहत धर्म रक्षार्थ सेवा कर रहे हैं. इन्हीं की देन है. ऐसे में एक हिंदू होकर ही हिंदू पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. मोहन भागवत बताएंगे कि हिंदू धर्म क्या है. डा अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि मोहन भागवत हमारे लिए बहुत सम्मानित ,आदरणीय है लेकिन अब हिंदू धर्म पर खुली चर्चा होनी चाहिए. धर्म संसद प्लेटफार्म के माध्यम से संतों की ओर से शास्त्रार्थ के लिए मोहन भागवत को खुली चुनौती देती हूं. हिंदू और हिंदुत्व क्या है. इस पर खुल कर चर्चा करें.

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अलीगढ़ : धर्म संसद कोर कमेटी के संयोजक और शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने मोहन भागवत के बयान की निंदा की है. दरअसल, मोहन भागवत ने नागपुर में कहा था कि धर्म संसद कार्यक्रम में दिए गया बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे. पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि मोहन भागवत के शब्दों ने बड़ी पीड़ा पहुंचाई है. उन्होंने कहा कि संसद में भी अनर्गल बयान दिए जाते हैं. ओवैसी जैसे लोग संसद में आपत्तिजनक बात उठाते हैं लेकिन लोकसभा में उसको कट और पेस्ट कर देते हैं. रिकॉर्ड में नहीं लेते हैं.
उन्होंने कहा कि हमारे धर्म संसद में भी जो धर्म आदेश या प्रस्ताव पारित किया जाता है उस पर चर्चा होती है. चर्चा ज्यादा उन बयानों की हुई जिसको हमने सेंसर कर दिया. कहा कि मोहन भागवत वामपंथियों और कांग्रेसियों के साथ खड़े हो गए हैं.

वह बोले कि राहुल गांधी ने भी यही आपत्ति उठाई थी. देश भर के वामपंथी और सेकुलर जमात इसी बात को उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि धर्म संसद के कार्य की प्रशंसा करने के बजाए मोहन भागवत अहिंदुओं के पाले में जाकर खड़े हो गए हैं. उन्होंने कहा कि आज का जो आरएसएस है वह गुरु गोलवलकर जी का नहीं है. यह वह संघ नहीं है जिसका हम सम्मान करते थे जिसकी वजह से भाजपा सत्ता में है.

संतों ने लगाया यह आरोप.
उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. मोहन भागवत को उत्साहवर्धन करना चाहिए था. अगर कहीं गलती हो रही है तो उस पर आंतरिक रुप से सूचित करते लेकिन मोहन भागवत ने वही काम किया जो राहुल गांधी और वामपंथियों ने किया था. सभी लोग हिंदुओं को समाप्त करने पर अमादा है इसलिए मोहन भागवत और कांग्रेसियों में कोई अंतर नहीं है.

राहुल गांधी कहते थे हिंदू और हिंदुत्व दोनों अलग-अलग है. मोहन भागवत भी वही कह रहे हैं कि आवेश में दिया गया बयान हिंदू, हिंदुत्व नहीं है. हिंदुत्व क्या है. यह मोहन भागवत बताएंगे. इसके लिए हमारे धर्माचार्य हैं. बड़े-बड़े धर्माचारियों की बात सुननी चाहिए. यह मोहन भागवत का विषय नहीं है. उन्होंने अनर्गल प्रलाप किया है. इस पर उन्हें धर्म संसद के लोगों से माफी मांगी चाहिए. अगर माफी नहीं मांगी तो इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि मोहन भागवत को खुली चुनौती है कि धर्म संसद में आएं और चर्चा करें कि हिंदुत्व क्या है. हिंदुओं की पीड़ा मोहन भागवत से सुनी नहीं जाएगी. बंगाल में हिंदुओं का नरसंहार हुआ. केरल में संहार हुआ. संघ चुप रहा. हम ज्यादा नहीं बोलते लेकिन घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं. राहुल गांधी के बोलने पर कोई आपत्ति नहीं है. वामपंथी बोले तो भी कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मोहन भागवत जी वही भाषा बोल रहे हैं यह कभी सपने में नहीं सोचा था. बहुत पीड़ा हुई है. वहीं निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि मोहन भागवत का बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

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एक बड़े संगठन का पदभार होने के बाद ऐसा बयान आना निंदनीय है. यह हमारे लिए दुख का विषय है क्योंकि कहीं न कहीं हिंदुत्व के कर्म को आरएसएस ने भेदा है. उन्होंने कहा कि संघ की प्रणाली के तहत धर्म रक्षार्थ सेवा कर रहे हैं. इन्हीं की देन है. ऐसे में एक हिंदू होकर ही हिंदू पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. मोहन भागवत बताएंगे कि हिंदू धर्म क्या है. डा अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि मोहन भागवत हमारे लिए बहुत सम्मानित ,आदरणीय है लेकिन अब हिंदू धर्म पर खुली चर्चा होनी चाहिए. धर्म संसद प्लेटफार्म के माध्यम से संतों की ओर से शास्त्रार्थ के लिए मोहन भागवत को खुली चुनौती देती हूं. हिंदू और हिंदुत्व क्या है. इस पर खुल कर चर्चा करें.

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