अलीगढ़: बन्ना देवी थाना क्षेत्र के पक्की सराय इलाके में रहने वाली के सुलेखा वर्मा ने नुमाइश मैदान स्थित मुक्तिधाम में अपने पति को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया. सुलेखा वर्मा आशा कार्यकर्ता है, उसके पति मनोज वर्मा काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. किडनी और लिवर की बीमारी के कारण मंगलवार की रात उनका निधन हो गया. सुलेखा की तीन बेटियां हैं. दूसरों के इलाज में सहयोग कर आशा की किरण दिखाने वाली आशा पर जब खुद विपत्ति आई तब परिचितों से सहयोग ना मिलने के कारण सुलेखा के चेहरे पर निराशा छा गई. सुलेखा कभी पति के शव क़ो देखती तो कभी बेटियों क़ो, समझ में नहीं आ रहा क्या करें किससे मदद मांगे.
अंतिम संस्कार करने को राजी नहीं हुआ देवर
पक्की सराय में चिकित्सा विभाग के अधीन आशा के रूप में कार्य कर रही सुलेखा वर्मा को अपनी डा. दीदी अंशु सक्सेना का ख्याल आया और रोते हुऐ उनको फोन कर बताया कि " मेरे पति मनोज वर्मा का निधन हो गया हैं. कोई भी परिचित उनका अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं हैं. मेरी मदद करें," जिस पर डॉ. अंशु सक्सेना तुरंत अपनी आशा सुलेखा वर्मा के यहां पहुंची. मौके पर सुलेखा का अतरौली निवासी देवर भी खड़ा था, लेकिन वह भी अपने भाई का अंतिम संस्कार करने को राजी नहीं हुआ. डॉ. अंशु सक्सेना को सुलेखा की मदद करने के लिए मानव उपकार संस्था की याद आई और उन्होंने मानव उपकार संस्था के अध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी को फोन कर बताया कि आशा महिला के पति का अंतिम संस्कार करने को कोई तैयार नहीं हो रहा और ना ही उनके पास पैसे हैं.
"यह मुझसे नहीं हो पाएगा"
मानव उपकार संस्थाध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी ने संस्था के शवयात्रा यान को मृतक के पार्थिव शरीर लाने के लिए घर भेजा. डॉ. अंशु सक्सेना ने सुलेखा को समझाया कि आज महिला हर कार्य करने में सक्षम हैं जब कोई राजी नहीं हैं तब आप क्यों नहीं अपने पति का अंतिम संस्कार करती, जिस पर सुलेखा अपने पति के शव को मानव उपकार संस्था के शव यात्रा यान में लेकर नुमाइश मैदान स्थित मुक्तीधाम में आई. यहां पहले से मौजूद मानव उपकार संस्था के अध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी ने अपनी टीम के साथ आशा सुलेखा वर्मा के पति मनोज वर्मा के अंतिम संस्कार के लिए सामान उपलब्ध कराया और अंतिम संस्कार करने को कहा, जिस पर सुलेखा फूट -फूट कर रों उठी और कहने लगी "जिस आदमी ने मुझे अपनाया उसे आग लगाकर कैसे जला दूं. यह मुझसे नहीं हो पाएगा.". डॉ अंशु और मानव उपचार संस्था के समझाने पर सुलेखा ने अपने पति का अंतिम बार चरण छूकर मुखाग्नि दीं.