अलीगढ़: अलीगढ़ महोत्सव लगाकर जिलाधिकारी ने लोगों को पशोपेश में डाल दिया है, तो वहीं कोरोना को लेकर नाइट कर्फ्यू से महोत्सव में दूर-दूर से आये दुकानदारों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. महोत्सव में बाहर से आये दुकानदारों ने कहा कि जब प्रशासन को पता था कि नाइट कर्फ्यू लगेगा तो अलीगढ़ महोत्सव का आयोजन क्यों किया. अलीगढ़ महोत्सव का दो दिन पहले जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने उद्घाटन किया था जो कि 10 जनवरी तक आयोजन होना था.
दरअसल, ओमीक्रोन वेरिएंट को देखते हुए प्रदेश सरकार ने रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू कर दिया है. जबकि दो दिन पहले जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने अलीगढ़ महोत्सव का शुभारंभ किया था. अलीगढ़ महोत्सव को नुमाइश के नाम से भी जाना जाता है. जहां हर रोज हजारों की संख्या में लोग दूर-दराज से एकत्रित होते हैं. अलीगढ़ नुमाइश में दिन में तो भीड़ रहती ही है शाम होने के बाद नुमाइश में पैर रखने की भी जगह नहीं रहती है. लेकिन रात्रि कर्फ्यू लगने के बाद पुलिस अलर्ट नजर आई और दुकानों को बंद कराना शुरू करा दिया.
पुलिस ने दुकानदारों को 11 बजने से पहले ही दुकानें बंद करने का फरमान सुना दिया. अब वहीं, बात करें नुमाइश के दुकानदारों की तो उनका कहना है कि जिला प्रशासन ने उन्हें फंसा दिया है. जब प्रशासन को पता था कि कर्फ्यू लगेगा तो नुमाइश का ठेका क्यों उठवा दिया गया. इस तरह से प्रशासन ने खुद का तो फायदा कर लिया लेकिन दुकानदारों को घाटे में डाल दिया है.
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दुकानदारों का कहना है कि नुमाइश में जो रंग आता है वह शाम से रात्रि 3 बजे तक रहता है और उसी में असली दुकानदारी होती है. लेकिन अब खर्चा निकालना भी मुश्किल पड़ जायेगा. वहीं, नुमाइश देखने वालों का कहना है कि जब काम धंधे से फ्री होते हैं तब रात को ही नुमाइश में आएं तो यहां पुलिस डंडे मारकर भगा रही है. राजनीतिक पार्टियां दिन में जनसभाएं करके लाखों की भीड़ जुटा रही हैं और प्रशासन नुमाइश के रूप में भीड़ जुटा रहा है और रात होते ही डंडे फटकार रहे हैं. नुमाइश देखने वालों का कहना है कि ऐसा लग रहा है जैसे दिन में सुबह 5 से कोरोना सो जाता है और रात्रि 11 बजे से सुबह 5 बजे तक जागता है. फिलहाल बता दें कि शासन के इस फैसले से महोत्सव में आये दुकानदारों पर रोजी-रोटी की संकट आ गया है.
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