अलीगढ़: जिला महिला अस्पताल में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में पिछले 3 महीने में 47 नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है. औसतन हर महीने जिले के अस्पतालों में करीब 900 बच्चे जन्म लेते हैं. मोहन लाल गौतम जिला अस्पताल में केवल 14 ही न्यू बॉर्न केयर यूनिट है.
नवजात शिशुओं को बीमारी से बचाने के लिए वेंटिलेटर की जरूरत होती है, लेकिन वेंटिलेटर की कमी व मौके पर ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने से शिशुओं की जिंदगी बचाने में दिक्कत आ रही है. हालांकि जिला अस्पताल में लेवल टू इंसेंटिव केयर यूनिट है, जबकि यहां लेवल थ्री स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट की जरूरत है.
बाहर से आकर भर्ती होने वाले शिशुओं की मृत्यु दर अधिक
मोहन लाल गौतम महिला जिला अस्पताल में बाहर से आकर भर्ती होने वाले शिशुओं की मृत्यु, अस्पताल में जन्मे शिशुओं से अधिक है. 47 मृत शिशुओं में 33 बाहर से आकर भर्ती हुए थे. यानी कि महीने में करीब 15 से अधिक नवजात की मृत्यु हो जाती है. मोहनलाल गौतम महिला अस्पताल के अंदर एसएनसीयू संचालित है, लेकिन यहां केवल 14 बेड हैं, जिनमें से सात इंडोर और सात बाहर से आने वाले शिशुओं के लिए आरक्षित हैं.
डॉक्टर ने मौत की कुछ और वजह बताई
हाल ही में गोरखपुर और राजस्थान में शिशुओं की मौत का मामला सामने आने पर सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं को लेकर सवाल उठने लगे, लेकिन अलीगढ़ के महिला सरकारी अस्पताल में मौत की वजह कुछ और ही है. यहां के प्रभारी डॉ. जीपी शर्मा ने बताया कि शिशुओं की मौत की वजह सांस लेने में दिक्कत, जन्म के समय दिक्कत, समय से पूर्व जन्मे नवजात, शिशुओं का कम वजन व हाइपोथर्मिया आदि कारण है. उन्होंने बताया कि 5 से 10 प्रतिशत नवजात अक्सर गंभीर हो जाते है, जिन्हें बचाना मुश्किल होता है.
सीएमओ डॉ. गीता प्रधान कहती हैं कि नवजात शिशुओं की संख्या ज्यादा हो जाती है और सुविधाएं होने का पूरा दावा कर रही है.उन्होंने बताया कि बाहर से आने वाले बच्चों के साथ समस्या रहती है, उनकी हालत खराब होती है इसलिए डेथ होती है. डॉ. गीता ने कहा कि ज्यादा बच्चे होने पर भी यह दिक्कत आती है.