अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर शनिवार को भी काम पर नहीं लौटे. पिछले 6 दिनों से जूनियर डॉक्टर लंबी छुट्टी पर हैं. वे सातवें वेतन आयोग को लागू करने की मांग कर रहे हैं. इस दौरान इलाज नहीं मिलने से करीब एक दर्जन मरीजों की मौत हो चुकी है. जेएन मेडिकल कॉलेज के प्रशासन का कहना है कि इमरजेंसी सेवा चालू है, लेकिन आपातकाल स्थिति में पहुंचने वाले मरीजों को वापस लौटा दिया जाता है.
बुलंदशहर के छतारी से एक्सीडेंट में घायल हुए लोकेश को इलाज नहीं मिला. उसे घंटों इंतजार के बाद लौटना पड़ा. वहीं समाजसेवी इफराहीम ने मांग की है कि जेएन मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी सेवा चालू की जाए, जिससे मरीजों की जान बच सके. डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे तो उन्होंने मेडिकल कॉलेज में धरना देने की बात भी कही है.
जेएन मेडिकल कॉलेज में कंसलटेंट डॉक्टर, सीनियर रेजिडेंट, इंटर्न और पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद है. फिर मरीजों को क्यों वापस लौटाया जा रहा है? क्या सिर्फ 450 जूनियर डॉक्टर के सहारे जेएन मेडिकल कॉलेज चल रहा है. डॉक्टर अब्दुल्ला ने कहा कि मरीजों की मौत के लिए जिम्मेदार जेएन मेडिकल कॉलेज का प्रशासन है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग पर सिर्फ आश्वासन मिल रहा है. ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. वहीं रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन कार्यालय पर शनिवार को एएमयू के रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद की जूनियर डॉक्टरों के साथ मीटिंग भी हुई.
-इफराहीम, समाजसेवी
सातवें वेतन को लेकर एचआरडी और हेल्थ मिनिस्ट्री में बात चल रही है. जूनियर डॉक्टर अपनी डिमांड जारी रखें, लेकिन गरीब मरीज जो इलाज के लिए आ रहे हैं, उनके लिए इलाज जारी रखें. एसोसिएशन की जनरल बोर्ड मीटिंग में शाम निर्णय हुआ है कि 23 जून को सुबह 8 बजे काम पर वापस लौटेंगे. जूनियर डॉक्टरों ने अल्टीमेटम दिया है कि एक महीने में सातवां वेतन लागू नहीं किया तो अनिश्चितकालीन हड़ताल 22 जुलाई को करेंगे.
-अब्दुल हमीद, रजिस्ट्रार, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय