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नारायणपुर: UP के रहने वाले ITBP के जवान ने लगाई फांसी - आइटीबीपी के जवान ने लगाई फांसी

नक्सल क्षेत्र में तैनात आईटीबीपी के जवान भूपेश सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. भूपेश के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नारायणपुर अस्पताल भेजा गया है. मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है.

ITBP के जवान ने लगाई फांसी
ITBP के जवान ने लगाई फांसी
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Published : Feb 11, 2021, 2:26 PM IST

नारायणपुर: नक्सल क्षेत्र में तैनात जवान लगातार आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. बुधवार को फरसगांव क्षेत्र में आईटीबीपी 29 बटालियन के जवान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. जवान का नाम भूपेश सिंह है. भूपेश उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला है. वो फरसगांव थाने के कैंप में पदस्थ था.

भूपेश एक महीने पहले ही छुट्टी काटकर वापस लौटा था. गुरुवार को ड्यूटी से वापस कैंप जाने के बाद जवान ने शौचालय में फांसी लगा ली. उसके शव को आनन-फानन में जिला अस्पताल नारायणपुर लाया गया. आत्महत्या के कारणों का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है. पुलिस मामले में आगे की जांच कर रही है.

डिप्रेशन का शिकार हो रहे जवान

डिप्रेशन में जा रहे जवान लगातार आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों को ज्यादा मानसिक तनाव में देखा जा रहा है. 2019 में प्रदेश के 36 जवानों ने आत्महत्या की थी. पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. वहीं साल 2020 में करीब 6 से ज्यादा जवान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं.

तनाव की वजह से देते हैं जान

मिलिट्री साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर वर्णिका शर्मा ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था का पूरा दायित्व सुरक्षाबलों की जवाबदेही होती है. केंद्र और राज्य शासन से अनुमोदित सुरक्षा बल ये कार्य करते हैं. संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में दायित्व निर्वहन अपेक्षाकृत चुनौतीपूर्ण होता है. नक्सलियों के कोवर्ट वॉर से सदैव फियर एंड शॉप का दबाव होता है. सघन भौगोलिक दशा तनाव के प्राथमिक कारण होते हैं. इसके अलावा हर रोज से जुड़ी कई समस्याएं हैं, उन्हें लेकर अधिकारियों से सामंजस्य की कमी होना भी शामिल है. इसके अलावा सामान्य पारिवारिक जनजीवन से दूरी और संपर्क का अभाव तनाव का मुख्य कारण होता है.

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ताम्रध्वज साहू ने दिया था पहले भी बयान

तनाव और डिप्रेशन के कारण कई जवान आत्महत्या कर चुके हैं. इस पर ताम्रध्वज साहू ने अपने पहले दिए गए बयान में कहा था कि लंबे समय से परिवार से दूर रहने के कारण जवान ऐसे कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार जवानों को तनावमुक्त करने के लिए अभियान चला रही है.

'स्पंदन अभियान' की शुरुआत

पुलिसकर्मियों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए कोंडागांव पुलिस ने 'स्पंदन अभियान' की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत हर सोमवार, बुधवार और शनिवार को कोंडागांव के रक्षित केंद्र में खेलकूद, योग और शारीरिक व्यायाम का अभ्यास कराया जाना था.

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2 जून 2020 को 'स्पंदन अभियान' हुआ था शुरू

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य पुलिस ने जवानों को अवसाद और तनाव से बचाने के लिए 2 जून से 'स्पंदन अभियान' की शुरुआत की थी. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सभी पुलिस अधीक्षकों और सेनानियों को जारी कर दिए गए थे.

नारायणपुर: नक्सल क्षेत्र में तैनात जवान लगातार आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. बुधवार को फरसगांव क्षेत्र में आईटीबीपी 29 बटालियन के जवान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. जवान का नाम भूपेश सिंह है. भूपेश उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला है. वो फरसगांव थाने के कैंप में पदस्थ था.

भूपेश एक महीने पहले ही छुट्टी काटकर वापस लौटा था. गुरुवार को ड्यूटी से वापस कैंप जाने के बाद जवान ने शौचालय में फांसी लगा ली. उसके शव को आनन-फानन में जिला अस्पताल नारायणपुर लाया गया. आत्महत्या के कारणों का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है. पुलिस मामले में आगे की जांच कर रही है.

डिप्रेशन का शिकार हो रहे जवान

डिप्रेशन में जा रहे जवान लगातार आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों को ज्यादा मानसिक तनाव में देखा जा रहा है. 2019 में प्रदेश के 36 जवानों ने आत्महत्या की थी. पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. वहीं साल 2020 में करीब 6 से ज्यादा जवान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं.

तनाव की वजह से देते हैं जान

मिलिट्री साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर वर्णिका शर्मा ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था का पूरा दायित्व सुरक्षाबलों की जवाबदेही होती है. केंद्र और राज्य शासन से अनुमोदित सुरक्षा बल ये कार्य करते हैं. संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में दायित्व निर्वहन अपेक्षाकृत चुनौतीपूर्ण होता है. नक्सलियों के कोवर्ट वॉर से सदैव फियर एंड शॉप का दबाव होता है. सघन भौगोलिक दशा तनाव के प्राथमिक कारण होते हैं. इसके अलावा हर रोज से जुड़ी कई समस्याएं हैं, उन्हें लेकर अधिकारियों से सामंजस्य की कमी होना भी शामिल है. इसके अलावा सामान्य पारिवारिक जनजीवन से दूरी और संपर्क का अभाव तनाव का मुख्य कारण होता है.

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ताम्रध्वज साहू ने दिया था पहले भी बयान

तनाव और डिप्रेशन के कारण कई जवान आत्महत्या कर चुके हैं. इस पर ताम्रध्वज साहू ने अपने पहले दिए गए बयान में कहा था कि लंबे समय से परिवार से दूर रहने के कारण जवान ऐसे कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार जवानों को तनावमुक्त करने के लिए अभियान चला रही है.

'स्पंदन अभियान' की शुरुआत

पुलिसकर्मियों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए कोंडागांव पुलिस ने 'स्पंदन अभियान' की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत हर सोमवार, बुधवार और शनिवार को कोंडागांव के रक्षित केंद्र में खेलकूद, योग और शारीरिक व्यायाम का अभ्यास कराया जाना था.

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2 जून 2020 को 'स्पंदन अभियान' हुआ था शुरू

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य पुलिस ने जवानों को अवसाद और तनाव से बचाने के लिए 2 जून से 'स्पंदन अभियान' की शुरुआत की थी. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सभी पुलिस अधीक्षकों और सेनानियों को जारी कर दिए गए थे.

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