अलीगढ़ः विधानसभा चुनाव लड़ चुके केशव देव ने कुछ समय पहले जामा मस्जिद के बारे में आरटीआई लगाई थी. इस आरटीआई के तहत ऊपरकोट की जमाा मस्जिद का सार्वजनिक जमीन पर निर्माण किया गया है, इसका खुलासा हुआ है. इसकी जमीन पर किसी का अधिकार नहीं है. अब इस खुलासे के बाद जामा मस्जिद पर भी सवाल उठने लगे हैं.
वहीं केशव देव ने इसे जनसुनवाई पोर्टल पर भी अपलोड किया है. जिसकी सुनवाई आज तक अधूरी है. निस्तारण नहीं किया गया है. केशव देव ने बताया जामा मस्जिद के संदर्भ में आरटीआई डाली थी. जिसमें कई बिंदुओं पर सवाल पूछे गये थे. केशव देव ने सवाल पूछा कि ऊपरकोट पर बनी जामा मस्जिद किस की जमीन पर बनी है. जामा मस्जिद पर प्रतिवर्ष कितना टैक्स दिया जाता है. कितना वाटर टैक्स लगता है. जामा मस्जिद का निर्माण कब हुआ. जामा मस्जिद जिस जमीन पर बनी है. इस जमीन का मालिकाना हक किसका है. इस पर नगर निगम ने जवाब दिया है कि जामा मस्जिद टैक्स के तहत नहीं आती है.
नगर निगम की ओर से जवाब दिया गया कि जामा मस्जिद सार्वजनिक भूमि पर बनी हुई है, इसके निर्माण के संबंध में कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है. जामा मस्जिद का मालिकाना हक किसी शख्स का नहीं है.
इस मामले में पंडित केशव देव ने बताया कि जामा मस्जिद हिंदुओं की पूज्यनीय शिव मंदिर के अवशेषों पर है. इसकी जांच हो. क्योंकि यहां कोल महर्षि, विश्वामित्र जैसे ऋषि मुनि की तपोभूमि रही है. पंडित केशव देव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जामा मस्जिद पर बुलडोजर चलाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अभी जो पत्रावली हाथ लगी है, उसके आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे.
पंडित केशव देव के लगाई गई आरटीआई के जवाब में बड़ा खुलासा सामने आया है. अलीगढ़ नगर निगम के मुताबिक ऊपरकोट जामा मस्जिद सार्वजनिक भूमि पर बनी है. इस पर किसी शख्स का विशेष मालिकाना हक नहीं है. पंडित केशव देव मेल रोज बाईपार पर रहते हैं और विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. भ्रष्टातार विरोधी सेना संगठन भी चलाते हैं.
अतीत के इतिहास के बारे में जहांगीरनामा के अनुसार 1668 में साबित खान अलीगढ़ में मुगलों की ओर से शासक था. आगे चलकर साबित खान जब अलीगढ़ का सूबेदार हुआ. तब उसने अलीगढ़ का नाम अपने नाम पर साबितगढ़ रखा था. साबित खान ने वर्तमान ऊपर कोट पर अपना एक शानदार महल बनवाना प्रारंभ किया था. वही नगर के निवासी इतनी ऊंचाई पर महल बनवाने के विचार से असंतुष्ट हुए. क्योंकि उस महल में साबित खान के रहने से समीप के नीचे मकानों में रहने वाले व्यक्तियों की बेपर्दगी होगी. मुगल बादशाह से इसकी शिकायत की गई. नागरिकों की शिकायत पर बादशाह स्वयं असलियत जानने के लिए यहां आये. कहा जाता है कि जब बादशाह यहां आए. उस समय नमाज का वक्त था. तब मोहल्ला बनी इजरायल में स्थित मस्जिद में उस समय अजान हो रही थी. बादशाह ने मुआयने से पहले नमाज पढ़ना मुनासिब समझा और नमाज अदा की. नमाज के बाद शेख साहिबान ने साबित खान की इमारत का हाल बादशाह को बताया. यह खबर पहले ही साबित खान पर पहुंच गई. साबित खान ने बादशाह के पहुंचने पर उसका स्वागत किया और इमारत के बारे में बादशाह से पूछने पर बता दिया कि मैं महल नहीं बनवा रहा. बल्कि जामा मस्जिद बनवा रहा हूं. इसके साथ-साथ साबित खान ने एक पक्का तालाब भी बनवाया, जिसके अवशेष वर्तमान क्लाटगंज और गुड़ियाबाग के समीप साबित खां तालाब के नाम से है.
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हालांकि ऊपरकोट स्थित जामा मस्जिद की गुम्बदों में सोना लगा हुआ है. बताया जाता है कि मुगल काल में मोहम्मद शाह (1719-1728) के शासनकाल में कोल के गवर्नर साबित खान ने 1724 में जामा मस्जिद का निर्माण शुरू कराया था. इसमें 4 साल लगे और 1728 में मस्जिद बनकर तैयार हो गई. मस्जिद में कुल 17 गुंबद हैं. मस्जिद के तीन गेट है. कौन बनेगा करोड़पति में एशिया में सबसे ज्यादा सोना लगे होने का सवाल पूछा गया था. जिसका जवाब कोई नहीं दे पाया था. सिनेस्टार अमिताभ बच्चन ने खुद उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की जामा मस्जिद में सोना लगा होने का जवाब दिया था. ऊपर कोट की जामा मस्जिद में सन 1857 के शहीदों की कब्र भी है.
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