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यूपी अल्पसंख्यक आयोग के प्रदेश शासन को लिखे पत्र का हिंदूवादी नेता ने किया विरोध, मुस्लिम धर्म गुरुओं ने की सराहना - लाउडस्पीकर का विरोध

यूपी अल्पसंख्यक आयोग के द्वारा प्रदेश शासन को लिखे गए पत्र का हिंदूवादी नेताओं ने विरोध किया है. जबकि मुस्लिम धर्मगुरु ने इस पत्र की सराहना की है.

यूपी अल्पसंख्यक
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Published : Mar 16, 2023, 3:29 PM IST

जानकारी देते हुए मौलाना इफ्राहिम हुसैन चौधरी

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी के द्वारा रमजान को लेकर प्रदेश शासन को पत्र लिखने के बाद अब राजनीति शुरू हो गई है. जिसको लेकर हिंदूवादी नेताओं और मुस्लिम धर्म गुरुओं के द्वारा अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी जा रही है. हिंदूवादी नेता मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर का विरोध कर रहे हैं तो मुस्लिम धर्मगुरु अल्पसंख्यक आयोग के पत्र का समर्थन करते नजर आ रहे हैं.

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मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर का विरोध

दरअसल, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी के द्वारा मंगलवार को प्रदेश शासन को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा कि 23 मार्च से रमजान का महीना शुरू हो रहा है. यह महीना मुसलमानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण और पाक होता है. रमजान महीने में सभी मुसलमान इबादत करते हैं. कई जिलों से शिकायत आ रही है कि निर्धारित आवाज के बावजूद मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारे जा रहे हैं. निर्धारित आवाज वाले लाउडस्पीकर मस्जिद से न हटाई जाए, ईदगाह और मस्जिदों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था के साथ साफ सफाई कराई जाए. अब अल्पसंख्यक आयोग के प्रदेश शासन को लिखे पत्र के बाद राजनीति शुरू हो गई है.

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लाउडस्पीकर का विरोध

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इफ्राहिम हुसैन चौधरी का कहना है कि उत्तर प्रदेश राज्य माइनॉरिटी के चेयरमैन साहब ने एक पत्र लिखकर शासन से यह मांग की है कि जिस तरह से नियमावली के खिलाफ जाकर जिला प्रशासन अजान देने वाले लाउडस्पीकरों को उतरवा रहा है. उस पर रोक लगाई जाए. साथ ही उन्होंने ईद और रमजान को लेकर साफ-सफाई की भी मांग की है. उनका यह पत्र स्वागत योग्य पत्र है. जिसकी सराहना की जाती हैं. हम भी मांग करते हैं, जो चेयरमैन साहब ने पत्र में कहा है कि साफ सफाई रहनी चाहिए और अजान देने वाले जो लाउडस्पीकर है, जो नियमानुसार लगाए गए हैं. जिस तरह से प्रशासन की तरफ से नियमावली तैयार की गई है. उसके खिलाफ न जाकर प्रशासन काम न करें बल्कि उसी की गाइडलाइन के तहत अनुपालन होना चाहिए. रमजान का महीना आ रहा है, जो मुसलमानों के लिए बहुत ही फायदे का और इबादत करने का दूसरे लोगों को सुखचैन देने के साथ फायदा पहुंचाने का महीना है. इसमें गुनाहों से भी तोबा की जाती है, गरीब लोगों की इसमें मदद की जाती है.

इस पर हिंदूवादी नेता अशोक चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग ने रमजान के दिनों में मस्जिदों से लाउडस्पीकर न उतरने की अपील सरकार से की है. मैं बजरंग दल के संरक्षक होने के नाते और सामाजिक संगठन के अध्यक्ष होने के नाते इस मांग का पुरजोर विरोध करता हूं, क्योंकि किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह दूसरे के धार्मिक स्वतंत्रता में आराम से जीवन जीने के जो हमारा मौलिक अधिकार है. उसमें कोई व्यवधान करें. एक लंबे समय से जो जिहादी मानसिकता के लोग हैं. वह भारतवर्ष में उपद्रव या अशांति फैलाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं. जब अजान के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने और माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट अपना आदेश दे दिया कि अजान का इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी पिछले वर्ष आदेश दिया था अप्रैल 2022 में किसी भी धार्मिक केवल मस्जिद नहीं, किसी भी धार्मिक परिसर से बाहर वहां की आवाज आनी नहीं चाहिए, तो उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश का उच्च न्यायालय के आदेश का राज्य सरकार की आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया.

यह भी पढ़ें- Jaunpur Police Encounter : एमपी और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने सुभाष गैंग के इनामिया बदमाश को किया ढेर

जानकारी देते हुए मौलाना इफ्राहिम हुसैन चौधरी

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी के द्वारा रमजान को लेकर प्रदेश शासन को पत्र लिखने के बाद अब राजनीति शुरू हो गई है. जिसको लेकर हिंदूवादी नेताओं और मुस्लिम धर्म गुरुओं के द्वारा अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी जा रही है. हिंदूवादी नेता मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर का विरोध कर रहे हैं तो मुस्लिम धर्मगुरु अल्पसंख्यक आयोग के पत्र का समर्थन करते नजर आ रहे हैं.

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मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर का विरोध

दरअसल, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी के द्वारा मंगलवार को प्रदेश शासन को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा कि 23 मार्च से रमजान का महीना शुरू हो रहा है. यह महीना मुसलमानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण और पाक होता है. रमजान महीने में सभी मुसलमान इबादत करते हैं. कई जिलों से शिकायत आ रही है कि निर्धारित आवाज के बावजूद मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारे जा रहे हैं. निर्धारित आवाज वाले लाउडस्पीकर मस्जिद से न हटाई जाए, ईदगाह और मस्जिदों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था के साथ साफ सफाई कराई जाए. अब अल्पसंख्यक आयोग के प्रदेश शासन को लिखे पत्र के बाद राजनीति शुरू हो गई है.

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लाउडस्पीकर का विरोध

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इफ्राहिम हुसैन चौधरी का कहना है कि उत्तर प्रदेश राज्य माइनॉरिटी के चेयरमैन साहब ने एक पत्र लिखकर शासन से यह मांग की है कि जिस तरह से नियमावली के खिलाफ जाकर जिला प्रशासन अजान देने वाले लाउडस्पीकरों को उतरवा रहा है. उस पर रोक लगाई जाए. साथ ही उन्होंने ईद और रमजान को लेकर साफ-सफाई की भी मांग की है. उनका यह पत्र स्वागत योग्य पत्र है. जिसकी सराहना की जाती हैं. हम भी मांग करते हैं, जो चेयरमैन साहब ने पत्र में कहा है कि साफ सफाई रहनी चाहिए और अजान देने वाले जो लाउडस्पीकर है, जो नियमानुसार लगाए गए हैं. जिस तरह से प्रशासन की तरफ से नियमावली तैयार की गई है. उसके खिलाफ न जाकर प्रशासन काम न करें बल्कि उसी की गाइडलाइन के तहत अनुपालन होना चाहिए. रमजान का महीना आ रहा है, जो मुसलमानों के लिए बहुत ही फायदे का और इबादत करने का दूसरे लोगों को सुखचैन देने के साथ फायदा पहुंचाने का महीना है. इसमें गुनाहों से भी तोबा की जाती है, गरीब लोगों की इसमें मदद की जाती है.

इस पर हिंदूवादी नेता अशोक चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग ने रमजान के दिनों में मस्जिदों से लाउडस्पीकर न उतरने की अपील सरकार से की है. मैं बजरंग दल के संरक्षक होने के नाते और सामाजिक संगठन के अध्यक्ष होने के नाते इस मांग का पुरजोर विरोध करता हूं, क्योंकि किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह दूसरे के धार्मिक स्वतंत्रता में आराम से जीवन जीने के जो हमारा मौलिक अधिकार है. उसमें कोई व्यवधान करें. एक लंबे समय से जो जिहादी मानसिकता के लोग हैं. वह भारतवर्ष में उपद्रव या अशांति फैलाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं. जब अजान के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने और माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट अपना आदेश दे दिया कि अजान का इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी पिछले वर्ष आदेश दिया था अप्रैल 2022 में किसी भी धार्मिक केवल मस्जिद नहीं, किसी भी धार्मिक परिसर से बाहर वहां की आवाज आनी नहीं चाहिए, तो उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश का उच्च न्यायालय के आदेश का राज्य सरकार की आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया.

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