अलीगढ़: अलीगढ़ में बिजली बिल जमा करने के 1.85 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर किसान लाल डिग्गी स्थित बिजली मुख्यालय पर धरने पर बैठ गए. जहां किसान घोटाले के आरोपियों को सजा देने की मांग पर अड़े हुए हैं और ग्रामीणों से दोबारा बिजली बिल वसूली के विरोध में कई किसान संगठन भी शामिल हो गये हैं.
लाल डिग्गी स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर किसान संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ता एकत्र होकर धरना दे रहे हैं. अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन और क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बिजली अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. हालांकि आरोप लगने पर अधिशासी अभियंता ने कहा कि बेबुनियाद आरोप है और घोटाले के मामले में 2 लोग जेल जा चुके हैं.
धरने पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के शशिकांत ने कहा कि किसान दिल्ली बार्डर से हटे हैं. आंदोलन से नहीं हटे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा देश में किसान-मजदूरों की एकजुट ताकत बन चुकी है. अब देश में भ्रष्टाचार, घोटालेबाजों की खैर नहीं है. अब उनकी जगह सलाखों के पीछे होगी. भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष ओ पी कमांडो ने बिजली अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि गांव में किसी भी किसान से दोबारा बिल की कोशिश की गई तो किसान अधिकारियों को गांव में घेरेंगे. उन्होंने कहा कि घोटाले की 1.85 करोड़ की रकम दोषी अधिकारियों से वसूली जाएं. उनकी संपत्ति कुर्क की जाएं. वहीं, धरने के समर्थन में आए भारतीय किसान यूनियन हरपाल गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी हरपाल सिंह ने मौजूदा सरकार पर घोटालेबाजों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है.
दरअसल, 10 फरवरी को अकराबाद ब्लॉक में 50 लाख के गबन का सबसे पहला मामला सामने आया था. जहां किसान उपभोक्ताओं ने बिल जमा कराकर रसीदें प्राप्त की थी, लेकिन जब घोटाले का पर्दाफाश हुआ तब उपभोक्ताओं की रसीदें फर्जी ठहरा दी गई. वहीं, बिजली अधिकारियों ने मामले में जांच की बजाए उपभोक्ताओं पर कार्रवाई की धमकी देने शुरू किया. लेजर में जीरो बैलेंस में समायोजन कर दोबारा उनके खातों पर हजारों का बिल थोप दिया गया. जिले में अब तक तकरीबन 800 उपभोक्ताओं के जमा बिल का गबन कर 1.85 करोड़ का बंदरबांट हुआ है. किसानों के कनेक्शन काटने की कार्रवाई की गई.
किसान संगठनों के संज्ञान में मामला आते ही 20 सितंबर को अधीक्षण अभियंता धर्मेन्द्र सारस्वत का घेराव किया गया. उसी दिन देर शाम तक जिलाधिकारी आवास पर धरना दिया गया. जिलाधिकारी के निर्देश पर बिजली अधिकारियों और किसान नेताओं के बीच 21 सितंबर को बैठक हुई. बैठक में अधीक्षण अभियंता धर्मेन्द्र सारस्वत के निर्देश पर अधिशासी अभियंता तृतीय पी के सागर बिजली अधिकारियों की टीम के साथ भेजा गया. बिजली अधिकारी जब उपभोक्ताओं पर ही दोष मढ़ने लगे. तो किसान आक्रोशित हो गए. तब नगर मजिस्ट्रेट प्रदीप वर्मा ने अपनी निगरानी में जांच कराने का आश्वासन दिया.
26 नवंबर 2021 को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने पी के सागर को 2016 में झांसी के मऊरानीपुर में एक घोटाले में दोषी पाया गया. अब पी के सागर को ही साढ़े 27 लाख की वसूली का आदेश दिया गया. जिससे किसान संगठनों में और नाराजगी बढ़ गई कि घोटालेबाजों की ही विभागीय जांच सौंपी गई. वहीं अब दिल्ली धरने से हटते ही किसान संगठनों ने बिजली घोटाले के दोषियों के खिलाफ आंदोलन को तेज कर दिया है.
ये है किसानों की प्रमुख मांगे
1. बिजली घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए.
2. तीनों सर्किलों के दोषी उच्च अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर घाटे की वसूली की जाएं. इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए. आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएं.
3. उपभोक्ताओं से दोबारा बिल वसूली की कार्रवाई तत्काल रोकी जाए और संबंधित नोटिस वापस लेते हुए तत्काल कार्रवाई रोकी जाए.
4. जिन उपभोक्ताओं पर दबाव डाल कर बिल जमा कराया गया है. उन्हें जमा कराई गई रकम लौटाई जाए.
5. जिन उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए हैं उन्हें तत्काल जोड़ा जाए.
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