अलीगढ़: एएमयू में 15 दिसम्बर की रात हुई घटना के विरोध में साइलेंट तरीके से कैंडल मार्च निकाला गया. कैंडल मार्च डक पॉइंट से बाबे सय्यद गेट तक गया. इस दौरान लोगों ने विरोध जताते हुए काली पट्टी से मुंह को बांध रखा था. बिना कोई नारा लगाए इस मार्च में शिक्षकों के साथ छात्र भी शामिल रहे. मार्च से पहले वक्ताओं ने डक पॉइंट पर लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार चलाने के लिए टेरर का सहारा लिया जा रहा है. वहीं पावर को हासिल करने के लिए कई तरह की थ्योरी भी बताई गई.
डक पॉइंट पर बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के प्रोफेसर परवेज तालिब ने इटली के तानाशाह मुसोलिनी का जिक्र किया और बताने की कोशिश की कि तानाशाह का अंजाम क्या होता है. प्रोफेसर परवेज ने कहा कि कुर्सी केवल व्यक्ति होती है. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के नेता नेल्सन मंडेला का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने जीवन के 25 साल कैद खाने में बिताए, लेकिन जब वे जेल से बाहर आए तो किसी से बदला लेने की नहीं सोची. वहीं सोवियत रूस का हश्र देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि जो सत्ता में बैठे लोग हैं, उन्हें अपना दिल नेल्सन मंडेला जैसा बनाना चाहिए नहीं तो सत्ता बहुत थोड़े वक्त की होती है.
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प्रोफेसर परवेज ने एएमयू में हुई घटना को लेकर कुलपति पर भी निशाना साधा और कहा कि हम शायद अपने छात्रों को नहीं समझ पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के मुश्किल हालात में पूर्व कुलपति प्रोफेसर हामिद अंसारी ने छात्रों के बीच जाकर के आंदोलन को शांत कराया था. उन्होंने वीसी तारिक मंसूर का बिना नाम लिए कहा कि कुलपति को अपनों से लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए.