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अलीगढ़: जेएन मेडिकल कॉलेज से हटाये गए दोनों डॉक्टरों की सेवाएं फिर से बहाल - hathras gang rape case update

हाथरस कांड में सीबीआई टीम ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टरों से पूछताछ की थी. जिसके बाद दोनों डॉक्टरों को पद से हटा दिया गया था. इस मामले में हो हल्ला मचने के बाद एएमयू प्रशासन ने सफाई देते हुए इसे लीव वैकेंसी का मामला बताया था. लेकिन, अब इन दोनों डॉक्टरों की सेवाएं दोबारा बहाल कर दी गई हैं.

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जेएन मेडिकल कॉलेज से हटाए गए डॉक्टर काम पर लिए गए वापस.
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Published : Oct 23, 2020, 6:55 AM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज से हटाए गए दोनों डॉक्टरों की सेवाएं फिर से बहाल कर दी गई हैं. दोनों डॉक्टर्स का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है. आपको बता दें कि, इन दोनों डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त किए जाने के बाद ऐसी चर्चाएं थीं कि, पिछले दिनों हाथरस कांड पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पर अपनी ओपिनियन देने के कारण इन दोनों डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज से हटा दिया गया है. हालंकि, एएमयू प्रशासन ने इस मामले में सफाई देते हुए इसे लीव वैकेंसी का मामला बताया था. लेकिन, बाद में दोनों डॉक्टरों को सेवा विस्तार देते हुए दोबारा तैनाती दे दी गई है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि, पिछले दिनों डॉक्टर मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक और डॉक्टर इम्तियाज को हटाया गया था, जिनको फिर से एक्सटेंशन दिया गया है.

रेजीडेंट डॉक्टर एसोसियेशन ने बनाया था दबाव


विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से यह कहा गया था कि दोनों डॉक्टरों को एक महीने की लीव वैकेंसी पर रखा गया था. इस मामले में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कुलपति को दोनों डॉक्टरों की सेवाएं दोबारा बहाल करने के लिए पत्र लिखा था. एसोसिएशन ने 24 घंटे में दोनों डॉक्टर्स को दोबारा बहाल नहीं करने पर रेजीडेंट डॉक्टर्स (आरडीए) की जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने की बात कही थी. डॉ. हमजा मलिक ने कहा था कि अगर दोनों डॉक्टरों को वापस नहीं बुलाया गया तो रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन कोई बड़ा फैसला ले सकता है.


हाथरस कांड की पीड़िता के इलाज में शामिल थे दोनों डॉक्टर


हाथरस के कथित गैंग रेप मामले में पीड़िता का इलाज करने वाले डॉक्टरों में दोनों डॉक्टर शामिल थे. हालांकि पीड़िता को जेएन मेडिकल कॉलेज से दिल्ली के अस्पताल में रेफर कर दिया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी. वहीं पीड़िता की एफएसएल रिपोर्ट को लेकर सवाल उठ रहे थे, जिस पर डॉक्टर मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक ने अपनी राय मीडिया के सामने रखी थी. डॉ. अजीमुद्दीन की तरफ से कहा गया था कि घटना के 11 दिन बाद पीड़िता का सैंपल लिया गया था. इस मामले में प्रोग्रेसिव मेडिकोज एंड साइंटिफिक फोरम के अध्यक्ष डॉ. हरजीत सिंह भाटी ने भी एएमयू के कुलपति डॉ. तारिक मंसूर से हटाये गये डॉक्टरों को वापस लिए जाने की मांग की थी.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज से हटाए गए दोनों डॉक्टरों की सेवाएं फिर से बहाल कर दी गई हैं. दोनों डॉक्टर्स का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है. आपको बता दें कि, इन दोनों डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त किए जाने के बाद ऐसी चर्चाएं थीं कि, पिछले दिनों हाथरस कांड पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पर अपनी ओपिनियन देने के कारण इन दोनों डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज से हटा दिया गया है. हालंकि, एएमयू प्रशासन ने इस मामले में सफाई देते हुए इसे लीव वैकेंसी का मामला बताया था. लेकिन, बाद में दोनों डॉक्टरों को सेवा विस्तार देते हुए दोबारा तैनाती दे दी गई है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि, पिछले दिनों डॉक्टर मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक और डॉक्टर इम्तियाज को हटाया गया था, जिनको फिर से एक्सटेंशन दिया गया है.

रेजीडेंट डॉक्टर एसोसियेशन ने बनाया था दबाव


विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से यह कहा गया था कि दोनों डॉक्टरों को एक महीने की लीव वैकेंसी पर रखा गया था. इस मामले में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कुलपति को दोनों डॉक्टरों की सेवाएं दोबारा बहाल करने के लिए पत्र लिखा था. एसोसिएशन ने 24 घंटे में दोनों डॉक्टर्स को दोबारा बहाल नहीं करने पर रेजीडेंट डॉक्टर्स (आरडीए) की जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने की बात कही थी. डॉ. हमजा मलिक ने कहा था कि अगर दोनों डॉक्टरों को वापस नहीं बुलाया गया तो रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन कोई बड़ा फैसला ले सकता है.


हाथरस कांड की पीड़िता के इलाज में शामिल थे दोनों डॉक्टर


हाथरस के कथित गैंग रेप मामले में पीड़िता का इलाज करने वाले डॉक्टरों में दोनों डॉक्टर शामिल थे. हालांकि पीड़िता को जेएन मेडिकल कॉलेज से दिल्ली के अस्पताल में रेफर कर दिया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी. वहीं पीड़िता की एफएसएल रिपोर्ट को लेकर सवाल उठ रहे थे, जिस पर डॉक्टर मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक ने अपनी राय मीडिया के सामने रखी थी. डॉ. अजीमुद्दीन की तरफ से कहा गया था कि घटना के 11 दिन बाद पीड़िता का सैंपल लिया गया था. इस मामले में प्रोग्रेसिव मेडिकोज एंड साइंटिफिक फोरम के अध्यक्ष डॉ. हरजीत सिंह भाटी ने भी एएमयू के कुलपति डॉ. तारिक मंसूर से हटाये गये डॉक्टरों को वापस लिए जाने की मांग की थी.

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