अलीगढ़: राज्यसभा में बुधवार को भाजपा सांसद बृजलाल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) में दलितों, पिछड़ों को आरक्षण नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाया (reservation for Dalits and Backwards in AMU). उन्होंने कहा कि एएमयू में दलितों, पिछड़ों और 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण नहीं है. एएमयू की स्थापना ब्रिटिश पार्लियामेंट एक्ट के तहत 1920 को हुआ था. बीएचयू में आरक्षण संविधान के तहत दिए थे, वह दिया जा रहा है. लेकिन एएमयू में नहीं दिया जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर संसद में 1951 में बहस हुई थी.
राज्यसभा में सांसद बृजलाल ने कहा कि एक्ट के अनुसार धर्म, भाषा, लिंग के आधार पर अलगाव नहीं करेंगे. इस मामले में शिक्षा मंत्री करीम छागला ने भी कहा था कि एएमयू अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है. न ही विश्वविद्यालय द्वारा आरक्षण दिया जा रहा है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की जमीन राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने दी थी. हिंदू राजाओं, महाराजाओं ने विश्वविद्यालय को बनाने में योगदान दिया था.
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राज्यसभा सांसद बृजलाल ने आगे कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है. इसलिए यहां सब को आरक्षण दिया जाना चाहिए. लेकिन दुखद है कि यहां दलितों, पिछड़ों को आरक्षण नहीं है. राज्यसभा सांसद बृजलाल ने इससे पहले भी एएमयू में दलित, पिछड़ों के आरक्षण के मुद्दों को उठा चुके हैं. बुधवार को एक बार फिर से राज्यसभा में भाजपा सांसद बृजलाल ने यह मुद्दा उठाकर माहौल गरमा दिया है.
गौरतलब है कि इस मुद्दे को अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम भी सदन में उठा चुके हैं. विश्वविद्यालय में दलितों और पिछड़ों के दाखिले मैं आरक्षण नहीं दिए जाने का मुद्दा समय-समय पर सदन में उठता रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दलितों के आरक्षण को निशाने पर ले चुके हैं.
सीएम योगी ने कहा था कि जब बीएचयू दलितों को आरक्षण दे सकती हैं तो फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) में ऐसा क्यों नहीं हो सकता. एसटी एससी आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामशंकर कठेरिया ने भी एएमयू में दलितों और पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग की थी. वहीं, इससे पहले बृजलाल जब उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष थे. तब उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को दलितों के आरक्षण के मामले में नोटिस भेजा था.
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