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अलीगढ़ : AMU के वैज्ञानिक ने की लिवर कैंसर के कारकों की खोज

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक ने अमेरिका और प्रोफेसर और अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर लिवर कैंसर के कारकों की खोज की है. इनका शोध पत्र हाल ही में प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय साइंटिफिक जर्नल नेजर कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुआ है.

डॉ. सिद्दीकी
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Published : Jun 20, 2020, 7:50 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जूलोजी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. हिफजुर रहमान सिद्दीकी ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, अमेरीका के प्रोफेसर कीगोमशीदा और दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक खोज की है. यह खोज लिवर कैंसर के कारकों से जुड़ी है. लिवर कैंसर का सेंट्रल रेगूलेट्री पाथवे अल्कोहल और हेपेटाइटिस संक्रमण के कारण डेवलप होता है. इस नई खोज से लिवर के कैंसर के इलाज में सहायता प्राप्त होने की उम्मीद है. उक्त वैज्ञानिकों की इस खोज पर आधारित शोध पत्र हाल ही में प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय साइंटिफिक जर्नल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुआ है.

डॉ. सिद्दीकी के शोध में कैंसर का कारण बनने वाले प्रोटीन ‘टीबीसी1डी15’ के मोलीक्यूलर मैकेनिज़्म को समझने का प्रयत्न किया गया है. इस शोध से पता चला है कि कैंसर की कोशिकाओं में 'टीबीसी1डी15' प्रोटीन जमा होता है, जिससे सामान्य विभाजन तथाऊतकों के निर्माण में रुकावट पैदा हो जाती है और कैंसर को पनपने में सहायता मिलती है. डॉ. सिद्दीकी ने अपने शोध में यह प्रमाणित किया है कि अल्कोहल के प्रयोग तथा हेपेटाइटिस संक्रमण से लिवर में कैंसर स्टेम सेल द्वारा कैंसर को विकास मिलता है. ये कोशिकाएं विभिन्न प्रकार के कैंसर को जन्म देती हैं और कीमोथेरेपी अथवा रेडियोथेरेपी से इनका इलाज किया जाता है. इसके बावजूद कुछ कोशिकाएं बच जाती हैं, जिनसे नया ट्यूमर उत्पन्न हो जाता है और वह एक बार फिर कैंसर में विकसित हो जाता है.

डॉ. सिद्दीकी इस शोध पर लगभग एक दशक से कार्य कर रहे हैं. उन्होंने एएमयू में कैंसर स्टेम सेल पर शोध के लिये एक विशेष प्रयोगशाला भी स्थापित की है. उन्होंने बताया कि लिवर के कैंसर के प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख मामले सामने आते हैं, जिनसे प्रभावित लोगों के बचने की दर केवल 10-20 प्रतिशत है. वहीं छाती से कैंसर से प्रभावित लोगों के बचने की दर 91% है. उन्होंने बताया कि लिवर के कैंसर के 80-83 प्रतिशत मामले विकासशील देशों में पाए जाते हैं. 2014 में कैंसर पर डॉ. सिद्दीकी के एक शोध को अमेरिका के रक्षा मंत्रालय द्वारा एक महत्वपूर्ण शोध के रूप में चयनित किया था.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जूलोजी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. हिफजुर रहमान सिद्दीकी ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, अमेरीका के प्रोफेसर कीगोमशीदा और दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक खोज की है. यह खोज लिवर कैंसर के कारकों से जुड़ी है. लिवर कैंसर का सेंट्रल रेगूलेट्री पाथवे अल्कोहल और हेपेटाइटिस संक्रमण के कारण डेवलप होता है. इस नई खोज से लिवर के कैंसर के इलाज में सहायता प्राप्त होने की उम्मीद है. उक्त वैज्ञानिकों की इस खोज पर आधारित शोध पत्र हाल ही में प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय साइंटिफिक जर्नल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुआ है.

डॉ. सिद्दीकी के शोध में कैंसर का कारण बनने वाले प्रोटीन ‘टीबीसी1डी15’ के मोलीक्यूलर मैकेनिज़्म को समझने का प्रयत्न किया गया है. इस शोध से पता चला है कि कैंसर की कोशिकाओं में 'टीबीसी1डी15' प्रोटीन जमा होता है, जिससे सामान्य विभाजन तथाऊतकों के निर्माण में रुकावट पैदा हो जाती है और कैंसर को पनपने में सहायता मिलती है. डॉ. सिद्दीकी ने अपने शोध में यह प्रमाणित किया है कि अल्कोहल के प्रयोग तथा हेपेटाइटिस संक्रमण से लिवर में कैंसर स्टेम सेल द्वारा कैंसर को विकास मिलता है. ये कोशिकाएं विभिन्न प्रकार के कैंसर को जन्म देती हैं और कीमोथेरेपी अथवा रेडियोथेरेपी से इनका इलाज किया जाता है. इसके बावजूद कुछ कोशिकाएं बच जाती हैं, जिनसे नया ट्यूमर उत्पन्न हो जाता है और वह एक बार फिर कैंसर में विकसित हो जाता है.

डॉ. सिद्दीकी इस शोध पर लगभग एक दशक से कार्य कर रहे हैं. उन्होंने एएमयू में कैंसर स्टेम सेल पर शोध के लिये एक विशेष प्रयोगशाला भी स्थापित की है. उन्होंने बताया कि लिवर के कैंसर के प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख मामले सामने आते हैं, जिनसे प्रभावित लोगों के बचने की दर केवल 10-20 प्रतिशत है. वहीं छाती से कैंसर से प्रभावित लोगों के बचने की दर 91% है. उन्होंने बताया कि लिवर के कैंसर के 80-83 प्रतिशत मामले विकासशील देशों में पाए जाते हैं. 2014 में कैंसर पर डॉ. सिद्दीकी के एक शोध को अमेरिका के रक्षा मंत्रालय द्वारा एक महत्वपूर्ण शोध के रूप में चयनित किया था.

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