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अलीगढ़: एएमयू का भोपाल रियासत से है गहरा संबंध, जानिए क्या है इसका इतिहास - हमीदुल्ला

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का भोपाल से बड़ा करीबी संबंध है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहली चांसलर बेगम सुल्तान जहां के बेटे और भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्ला ने विश्वविद्यालय के लिए बहुत योगदान दिया है.

एएमयू का इतिहास.
एएमयू का इतिहास.
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Published : Aug 27, 2020, 3:07 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ का भोपाल से बड़ा करीबी संबंध है. एएमयू की आधार शिला रखने वाले सर सैय्यद अहमद खान मॉर्डन एजुकेशन के लिए राजा और रियासतों से मदद लिया करते थे. उस समय हैदराबाद, रामपुर और भोपाल आदि रियासत से चंदा लेकर एएमयू की नींव रखी थी. भोपाल रियासत की बेगम सुल्तान जहां ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये एएमयू में मदद की थी. उन्होंने मुस्लिम एजुकेशन के लिये बिल्डिंग बनवाई. एएमयू में साइंस को बढ़ावा देने के लिए लैब बनवाई. सन् 1920 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने पर वायसराए ने बेगम सुल्तान जहां को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का पहला चांसलर बनाया था. बेगम सुल्तान जहां के पुत्र हमीदुल्लाह ने भी एएमयू से शिक्षा अर्जित की थी. जिसके बाद हमीदुल्लाह ने भी एएमयू की तरक्की के लिये कई बिल्डिगें बनवाई.

एएमयू का इतिहास.

हमीदुल्ला भोपाल को बनाना चाहते थे इंडीपेंडेंट स्टेट
एएमयू में तालीम की तरक्की में भोपाल रियासत का बड़ा योगदान रहा. उस समय भोपाल रियासत हमीदुल्ला संभाल रहे थे. बेगम सुल्तान जहां के बाद हमीदुल्ला भी एएमयू के दूसरे चांसलर भी बने. देश की आजादी के समय हमीदुल्ला भोपाल को इंडीपेंडेंट स्टेट बनाना चाहते थे. उनकी लार्ड माउंट बेटन ने गहरी दोस्ती थी. वह काउंसिल ऑफ प्रिंसेस के अध्यक्ष भी थे, लेकिन सरदार बल्लभ भाई पटेल के सामने नवाब हमीदुल्ला की एक नहीं चली. जिसके बाद एक जून 1949 को भोपाल रियासत का विलय कर दिया गया. बता दें कि एक्टर सैफ अली खान के नाना भी इसी रियासत से ताल्लुक रखते हैं.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भोपाल रियासत द्वारा खड़ी की गई इमारत आज भी है. जो उनके योगदान को दर्शाती है. आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में सर सैय्यद अहमद खान ने जो नींव रखी थी, उसकी आधार शिला को भोपाल की बेगम सुल्तान जहां ने मजबूती दी थी. बेगम सुल्तान जहां ने समाज सुधारक का काम करते हुए कई महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थानों की स्थापना भी की. उन्होंने 1918 में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की स्थापना की. उन्होंने कई तकनीकी संस्थानों और स्कूलों का निर्माण भी कराया. वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की संस्थापक चांसलर और एएमयू की पहली महिला चांसलर भी बनी थी. उनके पुत्र नवाब हमीदुल्लाह 1930 से लेकर 1947 तक एएमयू के कुलाधिपति भी रहे. नवाब हमीदुल्लाह, नेहरू, जिन्ना के करीबी थे. उनके वायसराय से भी बहुत अच्छे संबंध थे. वह भोपाल रियासत के अंतिम नवाब थे. पढ़े लिखे होने के साथ में नवाब हमीदुल्लाह रियासत का कुशल संचालन करते थे.

हमीदुल्लाह नहीं चाहते थे कि हिंदुस्तान के साथ रियासत का विलय हो
सुल्तान जहां बेगम ने अपने जीवन काल में ही हमीदुल्लाह को भोपाल रियासत का शासक बनाया था. नवाब हमीदुल्ला चेंबर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर भी बने, जो कि हिंदुस्तान की देसी रियासतों के हुक्मरानों की कमेटी थी. हमीदुल्लाह हिंदुस्तान के साथ रियासत का विलय नहीं चाहते थे. वह 14 अगस्त 1947 तक विलय पर कोई फैसला भी नहीं ले पाए थे. उन्होंने भोपाल को स्वतंत्र रहने की घोषणा भी कर दी थी और भोपाल रियासत का खजाना उन्होंने पाकिस्तान भिजवा दिया था, लेकिन सरदार पटेल से उनको चेतावनी मिल गई थी. उन्होंने भोपाल रियासत के मंत्रिमंडल का भी गठन किया, लेकिन जिन्ना की मौत के बाद नवाब टूट गए थे. जिसके बाद भारी मन से 1 जून 1949 को उन्होंने भोपाल रियासत का विलय भारत में कर दिया.

नवाब हमीदुल्ला ने हाकी को बढ़ावा देने का किया था काम
सर सैयद अहमद खान ने जब मोहम्मडन एग्लो ओरियंटल कॉलेज की नींव रखी तो उन्हें भोपाल रियासत से बहुत मदद मिली. एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि मॉडर्न एजुकेशन के मामले में भोपाल की सुल्तान जहां बेगम ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एएमयू के स्कूलों में मदद की थी. अब्दुल्ला कालेज में सुल्तानिया हॉस्टल उन्हीं की देन है. उन्होंने मुस्लिम एजुकेशन कॉन्फ्रेंस की बिल्डिंग भी बनवाई. राहत अबरार ने बताया कि नवाब हमीदुल्ला ने सुलेमान हॉल में भोपाल हाउस का निर्माण कराया. यहां पर भोपाल से पढ़ने आने वालों की तादात ज्यादा होती थी. नवाब हमीदुल्ला को हॉकी से बहुत लगाव था और एएमयू में हाकी को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने काम किया.

एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने जानकारी दी कि आजादी के बाद नवाब हमीदुल्लाह भोपाल को इंडिपेंडेंट स्टेट बनाना चाहते थे. हालांकि इससे विश्वविद्यालय का कोई ताल्लुक नहीं है. इस पर एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार कहते है कि वे नवाब खानदान से संबंध रखते थे और तालीम के क्षेत्र में उन्होंने अहम रोल अदा किया है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को बनाने और तरक्की देने में भोपाल रियासत का अहम योगदान है.

अलीगढ़: अलीगढ़ का भोपाल से बड़ा करीबी संबंध है. एएमयू की आधार शिला रखने वाले सर सैय्यद अहमद खान मॉर्डन एजुकेशन के लिए राजा और रियासतों से मदद लिया करते थे. उस समय हैदराबाद, रामपुर और भोपाल आदि रियासत से चंदा लेकर एएमयू की नींव रखी थी. भोपाल रियासत की बेगम सुल्तान जहां ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये एएमयू में मदद की थी. उन्होंने मुस्लिम एजुकेशन के लिये बिल्डिंग बनवाई. एएमयू में साइंस को बढ़ावा देने के लिए लैब बनवाई. सन् 1920 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने पर वायसराए ने बेगम सुल्तान जहां को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का पहला चांसलर बनाया था. बेगम सुल्तान जहां के पुत्र हमीदुल्लाह ने भी एएमयू से शिक्षा अर्जित की थी. जिसके बाद हमीदुल्लाह ने भी एएमयू की तरक्की के लिये कई बिल्डिगें बनवाई.

एएमयू का इतिहास.

हमीदुल्ला भोपाल को बनाना चाहते थे इंडीपेंडेंट स्टेट
एएमयू में तालीम की तरक्की में भोपाल रियासत का बड़ा योगदान रहा. उस समय भोपाल रियासत हमीदुल्ला संभाल रहे थे. बेगम सुल्तान जहां के बाद हमीदुल्ला भी एएमयू के दूसरे चांसलर भी बने. देश की आजादी के समय हमीदुल्ला भोपाल को इंडीपेंडेंट स्टेट बनाना चाहते थे. उनकी लार्ड माउंट बेटन ने गहरी दोस्ती थी. वह काउंसिल ऑफ प्रिंसेस के अध्यक्ष भी थे, लेकिन सरदार बल्लभ भाई पटेल के सामने नवाब हमीदुल्ला की एक नहीं चली. जिसके बाद एक जून 1949 को भोपाल रियासत का विलय कर दिया गया. बता दें कि एक्टर सैफ अली खान के नाना भी इसी रियासत से ताल्लुक रखते हैं.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भोपाल रियासत द्वारा खड़ी की गई इमारत आज भी है. जो उनके योगदान को दर्शाती है. आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में सर सैय्यद अहमद खान ने जो नींव रखी थी, उसकी आधार शिला को भोपाल की बेगम सुल्तान जहां ने मजबूती दी थी. बेगम सुल्तान जहां ने समाज सुधारक का काम करते हुए कई महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थानों की स्थापना भी की. उन्होंने 1918 में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की स्थापना की. उन्होंने कई तकनीकी संस्थानों और स्कूलों का निर्माण भी कराया. वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की संस्थापक चांसलर और एएमयू की पहली महिला चांसलर भी बनी थी. उनके पुत्र नवाब हमीदुल्लाह 1930 से लेकर 1947 तक एएमयू के कुलाधिपति भी रहे. नवाब हमीदुल्लाह, नेहरू, जिन्ना के करीबी थे. उनके वायसराय से भी बहुत अच्छे संबंध थे. वह भोपाल रियासत के अंतिम नवाब थे. पढ़े लिखे होने के साथ में नवाब हमीदुल्लाह रियासत का कुशल संचालन करते थे.

हमीदुल्लाह नहीं चाहते थे कि हिंदुस्तान के साथ रियासत का विलय हो
सुल्तान जहां बेगम ने अपने जीवन काल में ही हमीदुल्लाह को भोपाल रियासत का शासक बनाया था. नवाब हमीदुल्ला चेंबर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर भी बने, जो कि हिंदुस्तान की देसी रियासतों के हुक्मरानों की कमेटी थी. हमीदुल्लाह हिंदुस्तान के साथ रियासत का विलय नहीं चाहते थे. वह 14 अगस्त 1947 तक विलय पर कोई फैसला भी नहीं ले पाए थे. उन्होंने भोपाल को स्वतंत्र रहने की घोषणा भी कर दी थी और भोपाल रियासत का खजाना उन्होंने पाकिस्तान भिजवा दिया था, लेकिन सरदार पटेल से उनको चेतावनी मिल गई थी. उन्होंने भोपाल रियासत के मंत्रिमंडल का भी गठन किया, लेकिन जिन्ना की मौत के बाद नवाब टूट गए थे. जिसके बाद भारी मन से 1 जून 1949 को उन्होंने भोपाल रियासत का विलय भारत में कर दिया.

नवाब हमीदुल्ला ने हाकी को बढ़ावा देने का किया था काम
सर सैयद अहमद खान ने जब मोहम्मडन एग्लो ओरियंटल कॉलेज की नींव रखी तो उन्हें भोपाल रियासत से बहुत मदद मिली. एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि मॉडर्न एजुकेशन के मामले में भोपाल की सुल्तान जहां बेगम ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एएमयू के स्कूलों में मदद की थी. अब्दुल्ला कालेज में सुल्तानिया हॉस्टल उन्हीं की देन है. उन्होंने मुस्लिम एजुकेशन कॉन्फ्रेंस की बिल्डिंग भी बनवाई. राहत अबरार ने बताया कि नवाब हमीदुल्ला ने सुलेमान हॉल में भोपाल हाउस का निर्माण कराया. यहां पर भोपाल से पढ़ने आने वालों की तादात ज्यादा होती थी. नवाब हमीदुल्ला को हॉकी से बहुत लगाव था और एएमयू में हाकी को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने काम किया.

एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने जानकारी दी कि आजादी के बाद नवाब हमीदुल्लाह भोपाल को इंडिपेंडेंट स्टेट बनाना चाहते थे. हालांकि इससे विश्वविद्यालय का कोई ताल्लुक नहीं है. इस पर एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार कहते है कि वे नवाब खानदान से संबंध रखते थे और तालीम के क्षेत्र में उन्होंने अहम रोल अदा किया है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को बनाने और तरक्की देने में भोपाल रियासत का अहम योगदान है.

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