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Aligarh News : जिले में बकरा-बकरियों की संख्या कम होने की वजह तलाशेगा AMU

जनपद अलीगढ़ में बकरे- बकरियों की तादात में लगातार गिरावट आ रही है. एक पशु गणना से दूसरी पशु गणना में जिले में करीब 36 हजार बकरे -बकरियां कम पाए गए हैं. इसको लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय शोध कराएगा.

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Published : Apr 4, 2023, 10:11 AM IST

Aligarh News : जिले में बकरा-बकरियों की संख्या कम होने की वजह तलाशेगा AMU.

अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में बकरे- बकरियों की तादात में भारी गिरावट आई है. एक पशु गणना से दूसरी पशु गणना में करीब जिले में 36 हजार बकरे -बकरियां कम पाए गए. इसकी वजह तलाशने के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के द्वारा एएमयू के भूगोल विभाग को शोध करने की जिम्मेदारी सौंपी है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग को 2 वर्ष के अंदर अपनी शोध रिपोर्ट सामाजिक विज्ञान अनुसंधान विभाग नई दिल्ली को रिपोर्ट सौंपनी है. इस शोध के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से उन्हें 10 लाख रुयये भी मिले हैं.

जनपद अलीगढ़ में लगातार बकरे- बकरियों की तादात में गिरावट देखने को मिल रही है. इसकी वजह तलाशने के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, (ICSSR) नई दिल्ली ने शोध कराने के लिए और इसकी वजह तलाशने की जिम्मेदारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के भूगोल विभाग के प्रोफेसर निजामुद्दीन खान को सौंपी है. शोध के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने उन्हें 10 लाख रुपये का बजट जारी किया है. बताया जा रहा है कि यह शोध 2 वर्ष के अंदर पूरा कर सामाजिक विज्ञान अनुसंधान विभाग नई दिल्ली को सौंपना होगा.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रोफ़सर निजामुद्दीन खान ने बताया कि वर्तमान में बकरा और बकरी का सेवन करने वालों की तादाद बढ़ गई है. इसकी वजह से बकरे बकरियों की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है. उनकी पूरी टीम इस पर शोध करेगी. हालांकि प्रथम दृष्टया बकरे और बकरियों की संख्या कम होने का कारण लोगों द्वारा सेवन करना बताया जा रहा है. दूसरी चीज़ यह है कि बकरियों का पालन देश के अंदर खासतौर से अलीगढ़ जिले के अंदर ट्रेडिशनल वे में है. घरों में दो चार बकरियां पाली जा रही हैं. इसमें औरतें ज्यादा शौकीन हैं. छोटे किसान हैं या बहुत ही गरीब लोग घरों में कुछ आमदनी के लिए खासतौर पर बकरियों को पालते हैं. क्योंकि बकरियों को पालने में कोई ज्यादा खर्च नहीं है, घर का खाना खा लेती है दाना खा लेती है उससे साल भर में 4 से 6 बच्चे मिल जाते हैं. जिससे 40 से 50 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है.



यह भी पढ़ें : दारोगा सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज कर एफआईआर कॉपी कोर्ट भेजने का आदेश

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अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में बकरे- बकरियों की तादात में भारी गिरावट आई है. एक पशु गणना से दूसरी पशु गणना में करीब जिले में 36 हजार बकरे -बकरियां कम पाए गए. इसकी वजह तलाशने के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के द्वारा एएमयू के भूगोल विभाग को शोध करने की जिम्मेदारी सौंपी है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग को 2 वर्ष के अंदर अपनी शोध रिपोर्ट सामाजिक विज्ञान अनुसंधान विभाग नई दिल्ली को रिपोर्ट सौंपनी है. इस शोध के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से उन्हें 10 लाख रुयये भी मिले हैं.

जनपद अलीगढ़ में लगातार बकरे- बकरियों की तादात में गिरावट देखने को मिल रही है. इसकी वजह तलाशने के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, (ICSSR) नई दिल्ली ने शोध कराने के लिए और इसकी वजह तलाशने की जिम्मेदारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के भूगोल विभाग के प्रोफेसर निजामुद्दीन खान को सौंपी है. शोध के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने उन्हें 10 लाख रुपये का बजट जारी किया है. बताया जा रहा है कि यह शोध 2 वर्ष के अंदर पूरा कर सामाजिक विज्ञान अनुसंधान विभाग नई दिल्ली को सौंपना होगा.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रोफ़सर निजामुद्दीन खान ने बताया कि वर्तमान में बकरा और बकरी का सेवन करने वालों की तादाद बढ़ गई है. इसकी वजह से बकरे बकरियों की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है. उनकी पूरी टीम इस पर शोध करेगी. हालांकि प्रथम दृष्टया बकरे और बकरियों की संख्या कम होने का कारण लोगों द्वारा सेवन करना बताया जा रहा है. दूसरी चीज़ यह है कि बकरियों का पालन देश के अंदर खासतौर से अलीगढ़ जिले के अंदर ट्रेडिशनल वे में है. घरों में दो चार बकरियां पाली जा रही हैं. इसमें औरतें ज्यादा शौकीन हैं. छोटे किसान हैं या बहुत ही गरीब लोग घरों में कुछ आमदनी के लिए खासतौर पर बकरियों को पालते हैं. क्योंकि बकरियों को पालने में कोई ज्यादा खर्च नहीं है, घर का खाना खा लेती है दाना खा लेती है उससे साल भर में 4 से 6 बच्चे मिल जाते हैं. जिससे 40 से 50 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है.



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