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अलीगढ़ में छात्रों पर जिला बदर की कार्रवाई, कैंपस में विरोध प्रदर्शन

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Published : Nov 10, 2020, 4:15 AM IST

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े दो छात्रों पर जिला बदर के खिलाफ कार्रवाई करने पर कैंपस में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कैंपस के बाहर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी.

aligarh muslim university
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े दो छात्रों पर जिला बदर के खिलाफ कैंपस में प्रोटेस्ट मार्च निकाला गया. इस दौरान प्रदेश सरकार के खिलाफ छात्रों ने नारेबाजी की. छात्रों ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया है. छात्रों का कहना है कि एएमयू, जेएनयू, बीएचयू और जामिया में छात्रों के एक्टिविज्म को निशाना बनाकर खत्म करने की कवायद की गई. छात्रों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंप कर जैद शेरवानी और शरजिल उस्मानी पर जिला बदर की कार्रवाई हटाने की मांग की है.

एक्टविस्ट छात्रों पर कानून का शिकंजा
एएमयू से जुड़े दो छात्रों पर जिला बदर की कार्रवाई पर एएमयू छात्रों में आक्रोश है. और देर शाम को जिला बदर की कार्रवाई को लेकर प्रोटेस्ट मार्च निकाला. डक प्वाइंट से बाबे सैय्यद गेट तक छात्रों ने नारे बाजी करते हुए प्रोटेस्ट किया. इस दौरान कैंपस के बाहर भारी पुलिस फोर्स तैनात थी. 15 दिसम्बर 2019 की घटना को देखते हुए एएमयू के पूर्व छात्र शरजिल उस्मानी और जैद शेरवानी पर जिला बदर की कार्रवाई की गई. छात्रों ने कहा है कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्रों को टार्गेट किया जा रहा है और गुंडा एक्ट और जिला बदर जैसे कानून छात्रों पर लगाए जा रहे हैं.

कोर्ट ने की जिला बदर की कार्रवाई
छात्र नेता आरिफ ने कहा कि छात्र पर जिला बदर की कार्रवाई पर फिर से विचार करें. सरकार छात्रों पर तानाशाही रवैया अपनाए हैं. छात्रों के एक्टिविज्म को खत्म करने के लिए कानूनी कार्रवाई की जा रही है. छात्र शोएब ने कहा कि जिला बदर की कार्रवाई बेबुनियाद है. वहीं एसीएम रंजीत सिंह ने कहा कि जिला बदर की कार्रवाई कोर्ट द्वारा की जाती है. इसके लिए छात्र के पास विकल्प खुले हैं. वे अपील कर सकते हैं, लेकिन कोर्ट के फैसले को चैलेंज नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में पुनर्विचार का अधिकार उपलब्ध हैं.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े दो छात्रों पर जिला बदर के खिलाफ कैंपस में प्रोटेस्ट मार्च निकाला गया. इस दौरान प्रदेश सरकार के खिलाफ छात्रों ने नारेबाजी की. छात्रों ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया है. छात्रों का कहना है कि एएमयू, जेएनयू, बीएचयू और जामिया में छात्रों के एक्टिविज्म को निशाना बनाकर खत्म करने की कवायद की गई. छात्रों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंप कर जैद शेरवानी और शरजिल उस्मानी पर जिला बदर की कार्रवाई हटाने की मांग की है.

एक्टविस्ट छात्रों पर कानून का शिकंजा
एएमयू से जुड़े दो छात्रों पर जिला बदर की कार्रवाई पर एएमयू छात्रों में आक्रोश है. और देर शाम को जिला बदर की कार्रवाई को लेकर प्रोटेस्ट मार्च निकाला. डक प्वाइंट से बाबे सैय्यद गेट तक छात्रों ने नारे बाजी करते हुए प्रोटेस्ट किया. इस दौरान कैंपस के बाहर भारी पुलिस फोर्स तैनात थी. 15 दिसम्बर 2019 की घटना को देखते हुए एएमयू के पूर्व छात्र शरजिल उस्मानी और जैद शेरवानी पर जिला बदर की कार्रवाई की गई. छात्रों ने कहा है कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्रों को टार्गेट किया जा रहा है और गुंडा एक्ट और जिला बदर जैसे कानून छात्रों पर लगाए जा रहे हैं.

कोर्ट ने की जिला बदर की कार्रवाई
छात्र नेता आरिफ ने कहा कि छात्र पर जिला बदर की कार्रवाई पर फिर से विचार करें. सरकार छात्रों पर तानाशाही रवैया अपनाए हैं. छात्रों के एक्टिविज्म को खत्म करने के लिए कानूनी कार्रवाई की जा रही है. छात्र शोएब ने कहा कि जिला बदर की कार्रवाई बेबुनियाद है. वहीं एसीएम रंजीत सिंह ने कहा कि जिला बदर की कार्रवाई कोर्ट द्वारा की जाती है. इसके लिए छात्र के पास विकल्प खुले हैं. वे अपील कर सकते हैं, लेकिन कोर्ट के फैसले को चैलेंज नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में पुनर्विचार का अधिकार उपलब्ध हैं.

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